Politalks.News/Rajasthan. वैश्विक महामारी कोरोना के इस संकट के समय में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुरूआत से ही बेहद सजग और संवेदनशील है. प्रदेश में 2 मार्च को जब पहला कोरोना पॉजिटिव केस सामने आया था उस समय प्रदेश में कोरोना टेस्ट की सुविधा भी उपलब्ध नहीं थी. इसके बाद सीएम गहलोत की दूरगामी सोच के चलते प्रदेश में अधिक से अधिक जांच करने का निर्णय लिया गया. इसी का नतीजा है आज प्रदेश के 20 जिलों में कोरोना जांच की सुविधा विकसित हो गई है जिसके चलते अब प्रदेश में अब रोजाना 41 हजार कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं.
कोरोना काल की शुरूआत से ही सीएम गहलोत ने कोरोना को बेहद गंभीरता से लिया. इस दौरान सीएम गहलोत ने प्रदेश के सभी धर्मों के प्रमुखों, उद्योगपतियों, व्यवसायियों को विश्वास में लिया और देश में सबसे पहले लॉकडाउन का महत्वपूर्ण निर्णय लिया. इस दौरान सीएम गहलोत ने प्रदेशवासियों से आहवान किया कि प्रदेश में कोई भूखा ना सोए इसका भी ख्याल रखें. सीएम गहलोत की अपील पर प्रदेश में अनेकों भामाशाह, समाजसेवी, धार्मिक संस्थाए आगे आई और जरूरतमंदों को भोजन, राशन किट कई दिनों तक वितरित किए ताकि प्रदेश में कोई भूखा ना सोए.
यह भी पढ़ें: सीएम गहलोत का बड़ा फैसला, इस साल नहीं होंगी स्नातक व स्नातकोत्तर की परीक्षाएं, बिना परीक्षा होंगे प्रमोट
प्रदेश में कोरोना के शुरूआती दौर में जब भीलवाडा में संकम्रण तेजी से फैलने लगा तो सीएम गहलोत ने महत्वपूर्ण फैसला लिया और पूरे भीलवाडा में कर्फ्यू लगा दिया गया. इसके साथ ही भीलवाडा जिले कि सभी सीमाएं आवाजाही के लिए सील कर दी गई. इस दौरान पूरे भीलवाडा जिले में कई दिनों तक सघन स्क्रीनिंग का अभियान चला. इसका नतीजा यह रहा कि कुछ ही दिनों में भीलवाडा में तेजी से फैलते संक्रमण का दौर थम गया. इसी प्रकार शुरूआती दौर में जयपुर के रामगंज में संक्रमण तेजी से फैला. इस पर सीएम गहलोत ने बडा फैसला लेते हुए पूरे जयपुर परकोटे में कफ्र्यू लगाया. इस दौरान पूरे परकोटे में सघन स्क्रीनिंग का अभियान चला और नए पॉजिटिव केस की संख्या में कमी आने लगी.
प्रदेश के भीलवाडा मॉडल, जयपुर मॉडल, एसएमएस अस्पताल के चिकित्सकों की टीम द्वारा कोरोना के इलाज के लिए चार दवाओं की सहायता से स्वयं विकसित किए गए चिकित्सा प्रॉटोकॉल, बेहतर क्वारंटीन फेसिलिटी एवं प्रबंधन, कोरोना जांचों के लिए अपनाए गए मॉडल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा श्रमिक, दिहाड़ी मजदूरों और हर जरूरतमंद के लिए लागू किए गए राहत पैकेज, कोई भूखा नहीं सोए, पशु-पक्षियों का भी रखे ख्याल, किसी को नौकरी से नहीं निकाला जाए, श्रमिक कैम्पों की स्थापना, श्रमिक स्पेशल निशुल्क बस सेवा, मोक्ष स्पेशल बस सेवा, बिजली पानी के बिलों को स्थगित करने का फैसला, आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से बच्चों की पढाई की व्यवस्था शुरू करना जैसे कई महत्वपूर्ण निर्णयों की देश सहित दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है.
कोरोना काल के दौरान सीएम गहलोत ने प्रतिदिन लगातार 16 से 18 घंटे तक काम किया. इस दौर के दौरान सीएम गहलोत ने वीडियों कांफ्रेसिंग के जरिए प्रतिदिन हालातों पर जानकारी और निर्णय लेने के समीक्षा बैठकें ली. सीएम गहलोत कोरोना काल की शुरूआत से अब वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए प्रदेश के हर छोटे-बडे़ शहर एवं ग्रामीण अंचल पर नजर बनाए हुए हैं. सीएम गहलोत ने कोरोना काल के दौरान डॉक्टर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ, प्रशासन, पुलिसकर्मी, स्वच्छताकर्मी, शिक्षक, पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, अन्य सरकारी कर्मी, सामाजिक संगठनों, भामाशाह, सांसद-विधायक से लेकर सरपंच तक जनप्रतिनिधियों, धार्मिक गुरू, उद्यमीयों, 50 देशों में रह रहे प्रवासी राजस्थानियों, मीडिया कर्मियों की लगातार सराहना व उत्साहवर्धन करते हुए संकट के समय में सीधा संवाद रखा.
यह भी पढ़ें: अधिकारियों के तबादलों पर मंत्री विश्वेन्द्र सिंह की तीखी प्रतिक्रिया- आखिर हम क्यों नहीं रख सकते निरंतरता?
सीएम गहलोत के कोरोना काल में प्रबंधन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी राज्यों के मुख्यमंत्रीयों की वीसी में सराहना की. इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों की वीसी में विपक्ष के नेताओं ने भी सीएम गहलोत के प्रयासों को सराहा था. कोरोना संक्रमण की चुनौती से निपटने के लिए सीएम गहलोत के राजस्थान मॉडल की गूंज केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सुनाई दे रही है. यही वजह है कि विदेशों से लौटने वाले प्रवासी राजस्थानी भी यहां के सिस्टम की जमकर तारीफ कर रहे हैं. प्रवासी राजस्थानियों का कहना है कई देशों से अधिक आबादी और क्षेत्रफल होने के बावजूद राजस्थान के माइक्रो मैनेजमेंट और लीडरशिप ने जो दूरदर्शिता दिखाई है. उसकी मिसाल दुनिया के देशों में दी जा रही है.
प्रदेश के ‘भीलवाड़ा मॉडल’, ‘जयपुर मॉडल’ के बाद अब दुनियाभर में ‘राजस्थान मॉडल’ की भी सराहना की जा रही है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में विश्वास कर यूरोप, अमेरिका, मध्य एशिया से राजस्थान लौटे नागरिक इसकी गवाही दे रहे हैं. लंदन में पढ़ाई करने वाली प्रशस्ति शर्मा ने बताया कि राजस्थान लौटने के लिए बेहद मुश्किल लग रहा था, लेकिन राजस्थान सरकार के प्रयासों से हमारा लौटना संभव हुआ है. राजस्थान सरकार के इंतजामों की सराहना इंग्लैंड में भी हो रही है. ओमान में रहने वाले उदयपुर निवासी जाकिर हुसैन का कहना है कि कोरोना से निपटने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ ना केवल पूरे भारत में बल्कि विदेशों में भी है ओमान में उन्हें भारत का नंबर 1 मुख्यमंत्री बताया जा रहा है.
प्रदेश में विदेशों से पिछले दिनों लौटे प्रवासी राजस्थानियों के राजस्थान की धरती पर कदम रखते ही उनके चेहरों पर घर वापसी का सुखद अहसास था. इस अहसास का सबसे बड़ा कारण यह भी था कि बाहर रहकर भी सभी इस बात से वाकिफ थे कि पिछले 65-70 दिन में राजस्थान में क्या गुजरा है और किस कौशल के साथ सीएम गहलोत द्वारा कोराना महामारी का यहां प्रबन्धन किया गया है. ओमान से लौटे उदयपुर निवासी भरत जोशी ने कहा कि काफी तारीफ सुनी थी ओमान में कि यहां कोरोना पर काफी कंट्रोल रखा है. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अच्छा काम हो रहा है. रशिया से लौटे करौली निवासी मोहन चतुर्वेदी बताते है कि राजस्थान में रशिया से ज्यादा अच्छा काम हो रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में जिलों से लेकर गांव तक कोरोना से मुकाबले के लिए बेहतर काम का किए गए हैं.
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों और महाद्वीपों से राजस्थान लौटे प्रवासी राजस्थानी बताते हैं कई देशों से ज्यादा आबादी और कई देशों से अधिक क्षेत्रफल वाले राजस्थान में इस महामारी से मुकाबला बेहतर ढंग से किया जा रहा है. बाहर से लौटकर आने वालों में बड़ी संख्या उन युवाओं की है जो कजाकिस्तान, यूक्रेन, किर्गीस्तान, रशिया जैसे देशों में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. सभी ने यहां के भीलवाड़ा मॉडल, जयपुर मॉडल, एसएमएस अस्पताल में कोरोना के इलाज के लिए चार दवाओं की सहायता से स्वयं विकसित किए गए चिकित्सा प्रॉटोकॉल, बेहतर क्वारंटीन फेसिलिटी एवं प्रबन्धन, कोरोना जांचों के लिए अपनाए गए मॉडल की तारीफ की है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में अब तक किए गए कार्यों को लेकर कहा जा सकता है कि राजस्थान में हालात अभी तक नियंत्रण में है इसके पीछे सीएम गहलोत की दूरगामी सोच और सही समय पर लिए गए निर्णय है. प्रदेश में अब तक कुल 19256 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए चुके है जिसमें से करीब 80 प्रतिशत लोग रिकवर भी हुए है. प्रदेश में रिकवरी रेट 80 प्रतिशत होना अपने आप में बेहतर सिस्टम की ओर इशारा करता है. यही कारण है कि कोरोना काल में राजस्थान मॉडल को देश ही नहीं दुनियाभर में फोलो किया जा रहा है.