पॉलिटॉक्स ब्यूरो. देश-प्रदेश में होने वाले चुनाव और अन्य राजनीति की खबरों पर सटीक नतीजे देने के बाद पॉलिटॉक्स की खबर पर एक बार फिर से मुहर लग गई है. राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में मंडावा विधानसभा सीट पर कांग्रेस की रीटा चौधरी तो खींवसर में आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल (Narayan Beniwal) ने जीत दर्ज कर ली है. वहीं दोनों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की बुरी तरह से हार हुई है. पॉलिटॉक्स ने अपनी पिछली खबरों में पहले ही इस बात का जिक्र कर दिया था कि मंडावा से रीटा चौधरी (Rita Choudhary) तो खींवसर से रालोपा के नारायण बेनिवाल को मिलेगी जीत. इससे पहले लगातार दो चुनाव हार चुकीं रीटा चौधरी के लिए मंडावा उपचुनाव करो या मरो की स्थिति जैसा था. लेकिन यहां रीटा ने भाजपा की सुशीला सींगड़ा को 33704 मतों से पटखनी देते हुए एक बार फिर से मंडावा में कांग्रेस को खड़ा कर दिया है. (Narayan Beniwal) (Rita Choudhary)
बड़ी खबर: स्वीकार है हार, खींवसर में RLP ने अपने दम पर की जीत दर्ज, मंडावा में हुआ विश्वासघात- पूनिया
वहीं खींवसर विधानसभा क्षेत्र के लिए हमने शुरू से बताया कि यह क्षेत्र हनुमान बेनीवाल का गढ़ माना जाता है. यहां से खींवसर हनुमान के भाई नारायण बेनीवाल (Narayan Beniwal) ने आरएलपी-भाजपा गठबंधन की लाज रखते हुए कांग्रेस के दिग्गज हरेंद्र मिर्धा को 4370 वोटों से हराया. एक समय सातवें राउण्ड तक की वोटिंग में हरेंद्र मिर्धा बेनीवाल से आगे चल रहे थे. उस समय ऐसा लगने लगा था कि दोनों सीटें कांग्रेस के पक्ष में आ जाएंगी. भाजपा के खेमे में उस समय सन्नाटा पसरा हुआ था लेकिन उसके बाद बेनीवाल ने बढ़त बनाना शुरू किया और लगातार बढ़त बनाते हुए हरेंद्र मिर्धा को पीछे छोड़ दिया.
हालांकि सत्ताधारी कांग्रेस के हाथ से दो में से एक सीट निकल गई लेकिन गुटों में बंटी कांग्रेस को इस जीत से हौंसला जरूर मिलेगा और आगामी निकाय चुनावों में कांग्रेस को इससे भारी फायदा होगा.
यह पढ़ें:- आलाकमान ने दी पायलट की बात को तवज्जो, निकाय प्रमुख के चुनाव के लिए पार्षद होना होगा जरूरी
बात करें मंडावा विधानसभा उपचुनाव की तो जैसा पॉलिटॉक्स ने शुरू से अपने दर्शकों को बताया कि मंडावा में सुशीला सींगड़ा को पार्टी की आंतरिक गुटबाजी का नुकसान उठाना पड़ेगा. इस सीट से विधायक रहे नरेंद्र खींचड़ के झुंझुनूं से सांसद बनने के बाद मंडावा सीट खाली हुई थी. नरेंद्र खींचड़ यहां से अपने सुपुत्र अतुल खींचड को लड़ाना चाहते थे, अधिकांश कार्यकर्ता इससे सहमत भी थे. राजेश बाबल व गिरधारीलाल के नाम भी पैनल में रखे गए थे लेकिन इसी बीच नामांकन के एक दिन पूर्व चंद घंटों पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई सुशील सींगड़ा को उम्मीदवार बना दिया गया. पायलट प्रत्याशी को मैदान में उतारे जाने पर स्थानीय नेता अच्छे खासे नाराज थे. वहीं विधायक से सांसद बने नरेन्द कुमार यह कभी चाहेंगे कि भविष्य में मंडावा सीट पर खुद उनके या उनके परिवार की जगह किसी ओर का वर्चस्व कायम हो. बीजेपी कि इस आंतरिक कलह का बड़ा नुकसान सिंगड़ा को हुआ वहीं रीटा चौधरी ने यहां से भारी मतों से एक तरफा जीत हासिल की.
वहीं खींवसर में नारायण बेनीवाल (Narayan Beniwal) क्षेत्र में हनुमान बेनीवाल की पकड़ और आरएलपी के युवा मतदाताओं के दम पर अपनी लाज बचा पाए हैं. नारायण को हरेंद्र मिर्धा पर मिली सिर्फ 4370 वोट की लीड कांग्रेस के उम्दा प्रदर्शन की झलक दिखाती है. हरेंद्र मिर्धा ने इस क्षेत्र में विरोधी हवा के बीच जाकर हनुमान किले में फतेह करना कबूल किया लेकिन कुछ वोटों से पीछे रह गए. कुल मिलाकर कहा जाए तो वे किनारे पर आकर हार गए लेकिन टक्कर कांटे की रही.
यह भी पढ़ें: – एग्जिट पोल के नतीजे चौंकाने वाले…क्या सच में BJP को ले डूबे राष्ट्रीय मुद्दे?
ऐसे में यह कहा जाना बिलकुल गलत नहीं होगा कि लोकसभा चुनाव में मिले भारी बहुमत और उसके बाद देश में बीजेपी द्वारा राष्ट्रीय मुद्दों पर लिए गए बड़े-बड़े निर्णयों के बाद भी राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में खींवसर और मंडावा दोनों सीटों पर बीजेपी बुरी तरह चुनाव हार गई है. वहीं खींवसर में हनुमान बेनीवाल (RLP) और मंडावा में रीटा चौधरी ने जीत दर्ज की है.