Rajasthan Assembly Election Special. चूरू जिले के सरदारशहर विधान सभा में कभी कांग्रेस के चन्दन मल बैद की तृती बोलती थी. वे राज्य मंत्रिमंडल में प्रभावी मंत्री के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं. बाद में इस निर्वाचन क्षेत्र में पं. भंवर लाल शर्मा ने अपनी पेठ जमा ली. वे यहाँ से 6 बार विधायक रहे. उन्होंने चार बार यहाँ से विधायक रहे बैद का रिकार्ड तोड़ कर 6 बार विधायक रहने का नया रेकार्ड बनाया. उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र अनिल शर्मा वर्तमान में यहाँ से विधायक है. यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से काफी सजग रहा है. यहाँ से दो बार भाजपा के विधायक भी रहे हैं. मगर जाट बाहुल्य इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का ही कब्ज़ा रहा है.
सरदारशहर सीट पर एक बार फिर चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है. सभी पार्टियों ने अपनी अपनी कमर कस ली है. पं. भंवर लाल की मृत्यु के बाद दिसंबर 2022 में हुए उप चुनाव में उनके पुत्र और कांग्रेस प्रत्याशी अनिल शर्मा ने भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार पींचा को 26 हजार 852 वोटों से हराया है. आरएलपी उप. उम्मीदवार लालचंद मूंड तीसरे नंबर पर शी रहे. अनिल शर्मा को कुल 91 हजार र 357 वोट मिले. भाजपा के अशोक पींचा को 64 हजार 505 और आरएलपी के लालचंद मूंड को 46 हजार 753 वोट मिले. आजादी के बाद हुए 16 चुनावों में से 10 में यहाँ से कांग्रेस ने बाज़ी मारकर अपने दमखम का परिचय दिया.
सरदारशहर विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या करीब 289500 है. इनमें से 219500 मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों से हैं जबकि 67000 मतदाता शहर क्षेत्र से हैं. जातिगत मतदाताओं की बात करें तो सर्वाधिक मतदाता जाट समाज के हैं. यहां जाटों के कुल वोट करीब 74500 हैं जबकि दूसरे स्थान पर हरिजन आते हैं जिनके वोटों की संख्या करीब 55000 है. यहां ब्राह्मण वोटर करीब 40500 हैं जबकि करीब 23000 मुस्लिम वोटर हैं. राजपूत 20000, माली 10000, कुम्हार 8000, स्वामी 8500, सोनी 8000, सुथार 7000, जैन 4000 और अग्रवाल समाज के करीब 4000 मतदाता हैं. अन्य जातियों के करीब 20 हजार वोटर और हैं.
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सामाजिक वोटों को देखा जाए तो सबसे भारी पलड़ा जाट समाज का है. इस क्षेत्र में शुरू से जाट मतदाताओं का दबदबा रहा है. कांग्रेस से निवर्तमान विधायक अनिल शर्मा टिकट के सशक्त दावेदार है. भाजपा से वैसे तो अशोक पींचा सहित कई दावेदार है जिनमें पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा भी शामिल है. अशोक पिंचा तीन चुनाव हार चुके हैं. मगर ये सभी कमजोर उम्मीदवार गिने जा रहे हैं. इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री दौलतराम सारण की पुत्रवधु सुशीला सारण एक प्रबल दावेदार के रूप में सामने आयी है.
सुशीला एक बार दिल्ली विधानसभा से विधायक रह चुकी हैं. सुशीला कई बार सरदारशहर के ग्रामों का दौरा कर चुकी हैं और मतदाताओं विशेषकर महिलाओं में काफी लोकप्रिय है. हनुमान बेनीवाल की पार्टी यहाँ से 46 हजार वोट ले चुकी है, जिनमें अधिकांश जाट मतदाता शामिल थे. ग्रामीण क्षेत्रों में इनके स्व. ससुर दौलत राम सारण की लोकप्रियता का फायदा इन्हें मिल सकता है. यदि बीजेपी सुशीला को अपना उम्मीदवार बनाती है तो कांग्रेस को यहां से नाकों चने चबाने पड़ सकते हैं.