अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट में सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) पर एक सनसनीखेज खुलासा किया है, जिस पर खलबली मच गई है. इस रिपोर्ट के बाद SEBI और अडाणी पर मोदी सरकार घिर गयी है. विपक्ष ने भी इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सरकार पर हमला बोला है. वहीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मसले पर मोदी सरकार से तीन सवाल पूछे हैं. उन्होंने यह भी पूछा है कि अगर निवेशकों की कमाई डूबी तो कौन जिम्मेदार होगा.
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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मामले को गंभीर बताते हुए केंद्र सरकार से तीन सवाल पूछे. उन्होंने ये सवाल स्टॉक मार्केट के निवेशकों के नाम पर पूछे हैं. राहुल गांधी ने पूछा –
- सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया?
- अगर निवेशक की मेहनत की कमाई डूबी तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा- प्रधानमंत्री मोदी, सेबी अध्यक्ष या गौतम अडानी?
- सामने आए नए और बेहद गंभीर आरोपों के मद्देनजर, क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले की फिर से स्वतः संज्ञान लेकर जांच करेगा?
राहुल गांधी यही नहीं रूके. उन्होंने पीएम मोदी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा, ‘अब यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी जेपीसी जांच से इतना क्यों डरते हैं और इससे क्या पता चल सकता है.’
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी हिंडनबर्ग मामले को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है. खड़गे ने लिखा, ‘SEBI ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मोदी जी के परम मित्र अडानी को हिंडनबर्ग के जनवरी 2023 के ख़ुलासों में Clean Chit दी थी. आज उसी SEBI के मुखिया के तथाकथित वित्तीय रिश्ते उजागर हुए हैं.’
खड़गे ने हिंडनबर्ग मामले की जेपीसी से जांच करवाए जाने की मांग भी की. उन्होंने दावा किया कि जब तक इस महा-घोटाले में JPC जांच नहीं होगी, तब तक मोदी जी अपने A1 मित्र की मदद करते रहेंगे और देश की संवैधानिक संस्थाएं तार-तार होती रहेंगी.
क्या है हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का सच
अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी नई रिपोर्ट में मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच पर अडानी ग्रुप के साथ मिले होने का आरोप लगाया है. रिपोर्ट में दावा किया है कि दोनों के पास गौतम अडानी के ‘पैसे की हेराफेरी’ में इस्तेमाल किए गए दो ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी. हालांकि सेबी प्रमुख और अडानी ने आरोपों का खंडन किया है. अब इस रिपोर्ट के आधार पर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की एनडीए सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गयी है. इस मुद्दे का उच्च सदन और निम्न सदन में उठना तय है. अब देखना ये होगा कि सरकार इस संबंध में अपनी ओर से क्या सफाई रखती है.