बाहूबली को ‘हाथी’ से उतारने की तैयारी, साइकिल पर ‘सवारी’ की ताक में बैठे अंसारी की छुट्टी करेंगी बहनजी!

मुख्तार अंसारी और उनके सांसद भाई अफजाल को बाहर का रास्ता दिखाएंगी मायावती!, अंसारी परिवार का सैफई वाले परिवार से बढ़ रही है नजदीकियां, 16 साल से जेल में बंद बाहूबली का प्रभाव योगी सरकार में हुआ कम, पहले भी दो बार किया जा चुके पार्टी से बाहर, अगला ठिकाना कौनसा, क्या साथी अतीक की राह पकडेंगे अंसारी?

साइकिल पर 'सवारी' की ताक में बैठे अंसारी की छुट्टी करेंगी बहनजी!
साइकिल पर 'सवारी' की ताक में बैठे अंसारी की छुट्टी करेंगी बहनजी!

Politalks.News/Uttarpardesh. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने अपने समीकरण बनाने शुरू कर दिए हैं. पॉलिटॉक्स आपको बड़ी खबर बता रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती अंसारी बंधुओं पर बड़ा फैसला ले सकती हैं. सूत्रों की माने तो बांदा जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और गाजीपुर से बसपा के सांसद अफजाल अंसारी को बहुजन समाज पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. अंसारी परिवार की समाजवादी पार्टी से बढ़ रही नजदीकियों के चलते बसपा सुप्रीमो मायावती यह कार्रवाई कर सकती है. आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिगबतुल्लाह अंसारी ने अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी जॉइन की थी. साथ ही उनके बेटे ने भी सपा का दामन थामा था. कहा तो यह भी जा रहा है कि मुख्तार के ‘शहजादे’ आफताब भी अखिलेश भैय्या की साइकिल पर सवार होने की तैयारी में हैं.

साइकिल की सवारी की फिराक में अंसारी!
खबरों की माने तो चुनावों से पहले मुख्तार अंसारी और उनका परिवार भी समाजवादी पार्टी की ‘साइकिल की सवारी’ की फिराक में है. इसके साथ ही साथ मुख्तार अंसारी के तीसरे भाई अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर ही इस बार का चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि अफजाल अंसारी अभी बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर पूर्वांचल की गाज़ीपुर सीट से सांसद है.

मायावती नहीं चाहती छुटे कोई कसर!
पार्टी विरोधी और बहुजन समाज पार्टी के खिलाफ रहने के चलते बसपा सुप्रीमो उन पर कार्रवाई कर सकती हैं. इधर बहुजन समाज पार्टी में भी मायावती की एक्टिवनेस यह बताती है कि वे 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती.

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16 साल से जेल में बंद हैं अंसारी, योगी सरकार ने साम्राज्य की तोड़ी कमर!
मुख्तार अंसारी पिछले तकरीबन सोलह सालों से जेल में बंद हैं. इन दिनों वो यूपी की बांदा जेल में बंद हैं. बीएसपी का यह भी मानना है कि मऊ सीट पर अब मुख्तार अंसारी का दबदबा पहले जैसा नहीं रहा. योगी सरकार द्वारा मुख्तार और दूसरे माफिया के खिलाफ चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन नेस्तनाबूत’ अभियान के असर के चलते विपक्षी पार्टियों पर दागियों से दूरी बनाने का दबाव है.

अंसारी की छुट्टी कर बीजेपी से छीनेंगी एक बड़ा मुद्दा बहनजी!
इधर बसपा के कुछ रणनीतिकारों का मानना है कि मुख्तार अंसारी को एक बार फिर पार्टी का टिकट दिए जाने को बीजेपी मुद्दा बना सकती है. इसीलिए पार्टी पहले ही मुख्तार से पीछा छुड़ाने की तैयारी में है. टिकट कटने की आशंका के मद्देनजर ही मुख्तार ने पिछले दिनों अपने बड़े भाई सिबगतउल्ला को समाजवादी पार्टी में शामिल कराया है. मुख्तार के एक भाई अफजाल अंसारी बीएसपी के टिकट पर सांसद हैं लेकिन तकनीकी वजहों से फिलहाल अफ़ज़ाल को बीएसपी बाहर नहीं करेगी. ये तीसरा मौका होगा जब बीएसपी मुख्तार को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाएगी.

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अगला ठिकाना कौनसा, क्या अतीक की राह पकडेंगे अंसारी?
आपको बता दें कि मऊ जिले की मऊ सीट से मुख्तार लगातार पांच बार से विधायक हैं. 2 बार बीएसपी, 2 बार निर्दलीय और एक बार अपनी पार्टी कौमी एकता दल से वह विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. अहम सवाल यह है कि बीएसपी द्वारा पल्ला झाड़ने के बाद मुख्तार का नया सियासी ठिकाना क्या होगा. अपने माफिया साथी पूर्व बाहुबली सांसद अतीक की राह पर चलते हुए ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का दामन तो नहीं थामेंगे?.

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