पॉलिटॉक्स ब्यूरो. प्रशांत किशोर का नाम आज देश के सभी दिग्गज नेताओं की जुबान पर है. प्रॉफेशनल प्रमोटर से राजनीतिक सितारे बने पीके असल में किसके साथ हैं, किसी को नहीं पता चलता. वो हर चुनाव में किसी नए चेहरे के साथ होते हैं. पीके चुनाव जीतने की रणनीति को टाॅप गीयर में डालते हैं, चुनाव जिताते हैं और वहां से विदा होकर कहीं और किसी ओर चुनाव में किसी और चेहरे के साथ नजर आते हैं. एक मायने में पीके विशुद्ध रूप से व्यावसायिक यानि प्रॉफेशनल हैं. वो किसी भी विचार, विचारधारा या राजनीतिक दल के साथ नहीं हैं. इसलिए प्रशांत हर बार नए अंदाज में किसी नए जगह पर किसी नए साथी के साथ कुछ नया बुन रहे होते हैं.
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