INDIA vs Bharat. मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए बने विपक्षी दलों के I.N.D.I.A. गठबंधन पर अब बहस शुरू हो गयी है. वजह है इंडिया. जिस तरह कुछ समय पहले तक बीजेपी की कोई बात सही हो या गलत, कांग्रेस के गले नहीं उतरती थी, उसी तरह अब बीजेपी को भी कांग्रेस की किसी भी बात से इतफाक नहीं रखना है. फिर चाहे वो सही हो या गलत या बेमतलब की हो. ऐसा ही कुछ इस बार भी हुआ जब भारत के राष्ट्रपति को President of India की जगह President of Bharat, भारत के प्रधानमंत्री को पीएम ऑफ भारत कहकर पुकारा गया. ऐसा इसलिए कि ‘इंडिया’ शब्द को विपक्षी गठबंधन के शॉर्ट नेम के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. संविधान के पहलू से देखा जाए तो भारत या हिंदुस्तान का अंग्रेजी अनुवाद INDIA या इंडिया है. पर लगता है कि अब तो बीजेपी उलटी गंगा बहाने के पूरी तरह से पक्ष में है.
देश की राजधानी दिल्ली में जब जी20 समिट के लिए महामहीम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की ओर से सभी अतिथियों को डिनर के लिए आमंत्रित किया गया, तो जिस बात से सभी को सकते में डाल दिया, वो था ‘द प्रेसिडेंट ऑफ भारत’. इसके बाद इंडिया बनाम भारत पर बहस भी तेज हो चली है. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने तो स्पष्ट तौर पर कहा है कि गठबंधन की अगली बैठक में गठबंधन का नाम बदलकर भारत कर देना चाहिए. ऐसे में तो बीजेपी को देश का भी नया नाम सोचना शुरू कर देना चाहिए.
हालांकि इस बयान को किसी ने ज्यादा सीरियस नहीं लिया है लेकिन बात में दम तो है. अगर गठबंधन का नाम फिर से बदलकर भारत या इससे कुछ मिलता जुलता रख दिया जाएगा तो क्या सच में बीजेपी अपने देश का नाम बदलकर कुछ अलग रख देगी. हालांकि इस बात पर बीजेपी के कुछ नेताओं का तर्क है कि सनानत धर्म और देश की प्राचीन भाषा हिन्दी को महत्व देने के लिए ऐसा किया गया है. अगर एकबारगी इनकी बात पर विश्वास कर भी लें तो भी क्या अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नाम बदलकर रिजर्व बैंक ऑफ भारत कर दिया जाएगा. ऐसे ही देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का नामकरण अब स्टेट बैंक ऑफ भारत में परिवर्तित हो जाएगा. ऐसे कई उदाहरण देश में भरे पड़े हैं जो अब इंडिया की जगह भारत होने का इंतजार कर रहे हैं. गेटवे ऑफ इंडिया भी इनमें से एक है.
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बीजेपी इस बात को कितना सीरियस ले रही है, इस बात का पता तो आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत के बयान से ही लग जाना चाहिए. मोहन भागवत ने एक सितंबर को एक जनरैली में कहा कि सनातन धर्म की रक्षार्थ हमें इंडिया की नहीं बल्कि भारत की जरूरत है. अत: देश को इंडिया नहीं, बल्कि भारत कहकर बुलाया जाए. दरअसल, इस बार बीजेपी कांग्रेस एवं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सियासत में फंस गए. खड़गे ने विपक्षी गठबंधन के नामकरण के तुरंत बाद कहा था कि अब बीजेपी वाले इंडिया पर जुबानी वार करते हुए घबराएंगे. उन्होंने ये भी कहा था कि इंडिया केवल एक नाम नहीं, बल्कि पूरा देश है.
अब चूंकि चुनाव सिर पर है, तो बीजेपी भी विपक्ष को कोई ऐसा मौका नहीं देना चाहती जब खुदको ही घेरने का मौका मिल जाए. हालांकि देर सवेर बीजेपी ने ये मौका भी दे ही दिया. अब विपक्ष के कई नेता बीजेपी को इस बात पर घेर रहे हैं. बीजेपी के अधिकांश नेताओं ने इस बयान से दूर हट रहे हैं लेकिन सच तो ये है कि ये निर्णय केंद्र के आला नेताओं के साथ पीएम नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लिया गया है. खैर बीजेपी ने कुछ निर्णय लिया है तो कुछ सोचकर ही लिया होगा लेकिन सच तो ये है कि चुनावी समर में गठबंधन पर आरोप प्रत्यारोप लगाने के लिए अब उन्हें इंडिया पर निर्भर नहीं रहना होगा.