पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो. किसी विचारक का यह कथन कितना सटीक है कि राजनीति का अपना कोई चरित्र नहीं होता, वह समय के साथ अपना रंग और ढंग सब बदल लेती है. कभी महाराष्ट्र में मराठावाद के कट्टर नारे के साथ शिवसेना का गठन करने वाले दिवंगत बालासाहब ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन ऐसा भी आएगा कि उनकी बनाई हुई शिवसेना मराठा से हिंदू और फिर हिंदू से राष्ट्रवाद और राष्ट्रवाद से लोकतंत्र और लोकतंत्र से सेक्यूलर सोच तक का सफर तय करेगी. बाला साहब तो ताउम्र सत्ता से दूर रह कर उसे चलाते रहे लेकिन उनके पुत्र उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए कांग्रेस से सारे वैचारिक मतभेद समाप्त कर हाथ मिला लिया.भले ही इसके लिए उन्हें वर्षों पुराना वैचारिक यार खोना पडा हो.
महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए बने महाविकास अघाड़ी गठबंधन की पार्टियों के बीच की सियासी गणित में शिवसेना की ओर से अहम भूमिका निभाने वाले संजय राउत इन दिनों अपने बयानों के कारण चर्चा में है. हाल ही में संजय राउत ने दो महत्वपूर्ण बयान दिए हैं. पहला बयान कांग्रेस की महानायिका और देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदरा गांधी से जुडा है तो दूसरा देश के वर्तमान गृहमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से जुड़ा है. दोनों ही बयानों में शिवसेना की स्थिति और बदलता चरित्र झलक रहा है.
संजय राउत ने पहला बयान अंडरवर्ल्ड और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच के रिश्तों को लेकर दिया. लेकिन शायद बयान देते समय संजय राउत भूल गए थे कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकारे कांग्रेस के समर्थन से मुख्मंत्री बने हुए हैं. ऐसे में बयान देने के बाद सियासी बवाल हुआ तो संजय राउत ने कांग्रेस से पहले माफी मांगी और फिर अपना बयान वापस ले लिया.
इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस की ताकत के आगे शिव सेना नेता संजय राउत लाचार से नजर आए. यह भी साफ हो गया कि कांग्रेस शिवसेना नेताओं की जुबान दबाने में पूरी तरह सक्षम और मजबूत है. इससे एक बात और साफ हो गई कि शिवसेना के नेता अतीत, वर्तमान और भविष्य को लेकर ऐसी कोई भी बात नहीं कह सकते हैं जो कांग्रेस को पसंद न हो, चाहे वो बात सोलह आने सच और प्रमाणिक ही क्यों न हो. खैर यह तो शिव सेना की हाल ही में चल रही स्थिति की एक बानगी भर है.
अब जानते हैं कि शिवसेना नेता संजय राउत ने कभी उनकी पार्टी की सच्ची साथी और हमसफर रही भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री अमित शाह के बारे में दिए गए बयान के बारे में. संजय राउत ने कहा कि, ‘अमित शाह कट्टर राष्ट्रवादी हैं, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि देश में लोकतंत्र है.’ अब संजय राउत का यह बयान भी चाल, चरित्र और चेहरे में आ रहे बदलाव की झलक दे रहा है. कभी इसी विचारधारा को लेकर आगे बढने वाली शिवसेना बीते कुछ ही दिनों में सेक्यूलर और लोकतंत्र का नया अर्थ न सिर्फ सीख रही है बल्कि अब वो भाजपा को समझाने की कोशिश भी कर रही है. ऐसे में अब शिवसेना को अमित शाह कट्टर राष्ट्रवादी नजर आने लग गए हैं.
शिवसेना को अगर यह याद है कि वर्तमान में उनका मुख्यमंत्री कांग्रेस के समर्थन के कारण है तो इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि कुछ दिनों पहले हुए चुनाव में इन्हीं अमित शाह की रैलियों को सफल बनाने के लिए शिवसेना के नेताओं ने रात और दिन एक कर दिए थे.