Politalks.News/UttarPradesh. उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी संस्थापक 82 वर्षीय मुलायम सिंह यादव का सोमवार सुबह निधन हो गया. नेताजी के नाम से देशभर में मशहूर मुलायम सिंह यादव को कुछ दिन पहले ही यूरिन और बीपी की प्रॉब्लम बढ़ने की वजह दिल्ली के मेदांता अस्पताल के ICU में भर्ती करवाया गया था. जहां आज यानी सोमवार सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर उनका निधन हो गया. मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी. मुलायम के निधन पर उत्तर प्रदेश में 3 दिन और बिहार में एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है. मुलायम सिंह यादव का उनके पैतृक गांव सैफई में अंतिम संस्कार होगा. मंगलवार दोपहर 3 बजे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.अंतिम संस्कार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी मौजूद रहेंगे.
मुलायम सिंह यादव के निधन पर देश के सियासी गलियारों में शोक की लहर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां अपनी गुजरात सभा में सबसे पहले मुलायम सिंह यादव को याद किया. पीएम मोदी ने कहा कि, ‘मुलायमजी का जाना देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है. मेरा मुलायमजी के साथ नाता विशेष प्रकार का रहा. हम दोनों मुख्यमंत्री के तौर पर मिला करते थे, वे भी और मैं भी दोनों के प्रति एक अपनत्व का भाव अनुभव करते थे.’ वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अस्पताल पहुंच नेता जी को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान अखिलेश यादव भी वहां मौजूद रहे. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने नेताजी के निधन पर शोक जताया. वहीं भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही राहुल गांधी ने भी नेता जी के निधन पर शोक सभा का आयोजन कर पुष्पांजलि अर्पित की.
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भले ही नेताजी आज हमारे बीच से चले गए हों लेकिन उनके कुछ फैसले और उनका व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा है कि सियासी गलियारों में उसकी गूंज कभी ख़त्म नहीं होगी. मुलायम सिंह यादव का सियासी सफर कैसा रहा इसकी एक झलक पॉलिटॉक्स अपनी इस खबर के जरिये आपके सामने पेश कर रहा है. सुघर सिंह यादव के घर 22 नवंबर 1939 को मुलायम सिंह यादव ने जन्म लिया. नेता जी ने शुरुआती शिक्षा गांव के परिषदीय स्कूल में हासिल की. 6 से 12 तक की शिक्षा उन्होंने करहल के जैन इंटर कालेज से हासिल की और बीए की पढ़ाई के लिए वे इटावा चले गए. 1962 के दौर में प्रदेश में पहली बार छात्र संघ के चुनाव की घोषणा हुई और राजनीति में अपनी खास रुचि रखने वाले मुलायम सिंह यादव ने ये मौका हाथ से जाने नहीं दिया और ताल ठोक दी. वह छात्र संघ के पहले अध्यक्ष बन गए. यहीं से राजनीति की शुरूआत करके एक युवा नेता के रूप में उभरकर सामने आए.
धीरे धीरे मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश की राजनीति में अपनी पकड़ बनानी शुरू की. मुलायम यादव की विधायक नत्थू सिंह से नजदीकियां बढ़ती गई. नत्थू सिंह ने 1967 के विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर की अपनी सीट छोड़कर मुलायम को सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ाया और किस्मत के धनी मुलायम सिंह यादव 28 साल की उम्र में पहली बार विधायक बन गए. राजनीति में एंट्री करने से पहले मुलायम कुश्ती लड़ते थे. बताया जाता है कि मुलायम सिंह एग्जाम छोड़कर कुश्ती लड़ने चले जाते थे. इसके बाद कभी भी मुलायम सिंह यादव ने पीछे पलटकर नहीं देखा. आपको बता दें कि मुलायम सिंह यादव ने 5 दिसंबर 1989 को पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि उनकी यह सरकार ज्यादा नहीं टिक सकी, लेकिन नेताजी हार कहां मानने वाले थे. एक बार फिर साल 1993-95 में वे मुख्यमंत्री बने. इसके अलावा नेताजी को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का मौका साल 2003 में मिला.
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बता दें कि मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी बनाने की घोषणा की थी. मुलायम सपा के अध्यक्ष, जनेश्वर मिश्र उपाध्यक्ष, कपिल देव सिंह और मोहम्मद आजम खान पार्टी के महामंत्री बने. वहीं साल 2012 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को पहली बार पूर्ण बहुमत मिला लेकिन इस साल मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को सूबे की कमान सौंप दी. अखिलेश यादव मुलायम सिंह यादव और उनकी पहली पत्नी मालती देवी के सुपुत्र हैं. लेकिन मालती देवी के निधन के बाद मुलायम सिंह यादव को साधना गुप्ता से प्रेम हो गया और उन्होंने उनसे शादी कर ली. यहां आपको बता दें 9 जुलाई 2022 को साधना का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में ही निधन हुआ था जहां ठीक 92 दिन बाद मुलायम सिंह यादव ने भी अंतिम सांस ली.
यूपी की राजनीति में दिग्गज नाम रहे मुलायम सिंह यादव के साथ कुछ रोचक किस्से भी जुड़े हुए हैं. भले ही मुलायम सिंह यादव 1989 में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बन गए हों लेकिन एक साल बाद ही अयोध्या में राम मंदिर पर आंदोलन तेज होने के बाद उनका एक फैसला आज भी लोगों के जेहन में तरोताजा है. 1990 में उन्होंने आंदोलनकारी कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था. इस घटना में कई लोग मारे गए. उनके इस फैसले की काफी आलोचना भी हुई थी. मुलायम ने खुद एक बार कहा था कि, ‘वह फैसला उनके लिए आसान बिल्कुल नहीं था.’ यही नहीं एक मौका वो भी था जब मुलायम सिंह यादव ने मनमोहन सिंह की सरकार बचाई थी. साल 2008 में अमेरिका के साथ परमाणु करार के बाद जब वामपंथी दलों ने यूपीए से अपना गठबंधन पीछे कर दिया तो उस वक्त मुलायम सिंह ही थे जो संकटमोचक बनकर सामने आए और यूपीए सरकार को गिराने से बचा लिया. मुलायम ने बाहर से समर्थन करके मनमोहन सरकार बचाई थी.