Politalks.News/Delhi. लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के एक्टिव रिस्पॉन्स को देखते हुए यह कहा जाने लगा है कि इससे कांग्रेस पार्टी में एक नई जान फूंकी गई है. सोशल मीडिया पर तो यह भी कहा जा रहा है की प्रियंका ने यूपी में कांग्रेस को ‘संजीवनी’ दे दी है. लेकिन असल में लखीमपुर कांड का राजनीतिक फायदा किसे होगा? क्या लखीमपुर कांड के मुद्दे पर जिस तरह से प्रियंका गांधी और अब राहुल योगी सरकार को घेर रहे हैं, उससे क्या कांग्रेस के यूपी में अच्छे दिन आएंगे? चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मानें तो ऐसा नहीं होने जा रहा है. प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए दिल तोड़ने वाला ट्वीट किया है. प्रशांत किशोर ने एक ट्वीट कर उसी कांग्रेस पर निशाना साधा है, जिसमें कुछ दिन पहले तक उनके शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं. पीके ने लखीमपुर हिंसा के बाद की राजनीतिक गतिविधियों को कांग्रेस की वापसी के तौर पर देखे जाने को गलतफहमी बताया है. पीके के इस ट्वीट को लेकर जबरदस्त सियासी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है.
लखीमपुर हिंसा को लेकर प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया है कि, ‘जिन लोगों को लगता है कि लखीमपुर कांड की वजह से कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष त्वरित वापसी करेगा, वह गलतफहमी में हैं.‘ बता दें कि सियासी खबरों के मुताबिक, प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच बातचीत अब टूट चुकी है और पीके ममता के लिए पर्दे के पीछे रहकर काम कर रहे हैं.
यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि पीके ने इस ट्वीट में कहीं भी कांग्रेस का नाम नहीं लिया है. हालांकि, पीके ने ट्वीट में कांग्रेस की बजाय ‘जीओपी‘ यानी ग्रैंड ओल्ड पार्टी लिखा है, जिससे साफ है कि उनका निशाना कांग्रेस की तरफ ही है. पीके ने यह भी लिखा है कि दुर्भाग्य से ग्रैंड ओल्ड पार्टी (कांग्रेस) की गहरी की समस्या और ढांचागत कमजोरी का कोई तात्कालिक समाधान नहीं है.
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कांग्रेस के सूत्रों से जानकारी मिली है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल नहीं किया जाएगा. पार्टी के आलाकमान ने वरिष्ठ नेताओं की सलाह पर ये फैसला लिया है. आलाकमान के निर्देश पर तीन सदस्यों वाली कमेटी ने इस मुद्दे पर चर्चा की थी. एके एंटनी,अंबिका सोनी और केसी वेणुगोपाल को कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से ये जिम्मेदारी दी गई कि वो वर्किंग कमिटी के सभी सदस्यों से छोटे-छोटे ग्रुप में बैठक कर उनकी राय लें. हालांकि प्रशांत किशोर सलाहकार या फिर रणनीतिकार के रूप में कांग्रेस के साथ आगे भी काम कर सकते हैं.
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प्रशांत किशोर जाने माने चुनावी रणनीतिकार हैं. पीके अपनी कौशल का लोहा कई बार मनवा चुके हैं. उनके लिए कहा जाता है कि वो कोई भी बात हवा में नहीं कहते हैं. बंगाल में पीके ने कहा था कि भाजपा 100 सीट नहीं जीत पाएगी और अंत समय तो वो इस बात को दोहराते रहे. रिजल्ट भी पीके के कहे अनुसार ही रहा था. पीके की हर बात के पीछे रिसर्च होती है. सियासी गलियारों में पीके के इस बयान को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. क्या वास्तव में पीके सही बोल रहे हैं. दरअसल बात तो पीके सही ही बोल रहे हैं. क्योंकि कांग्रेस का यूपी में संगठन इतना मजबूत नहीं है कि वो इस पूरे घटनाक्रम में माइलेज लेने के बावजूद वोटों में कनवर्ट कर पाएगी. असल परीक्षा तो वोट मिलने की है ना, और उसके लिए ग्राउंड पर आपका संगठन ही काम आता है. हालांकि चुनाव में अभी 100 दिन से ज्यादा का समय है देखना यह होगा कांग्रेस को कितने वोट मिलते हैं.