Politalks.News/Kamalnath. मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ आज अपना 74वां जन्मदिवस मना रहे हैं. हालांकि मुख्यमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल 15 महीने का रहा और सियासी उठा पटक के चलते उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन इस छोटे से कार्यकाल में उन्होंने अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया. आज कमलनाथ मुख्यमंत्री नहीं है, इसके बावजूद छिंदवाड़ा के लोगों में उनके प्रति चाहत, सम्मान और अपनापन खत्म नहीं हुआ है. छिंदवाड़ा के लोगों के लिए वो दशकों से एक मुख्यमंत्री से कम नहीं रहे हैं. छिंदवाड़ा और कमलनाथ, आज के समय में इन दोनों को अलग कर के शायद नहीं देखा जा सकता है. छिंदवाड़ा कमलनाथ की कर्मस्थली रहा है. कमलनाथ दशकों से यहां महीने में दो बार जरूर आते हैं और ये करीब 40 सालों से चलता आ रहा है.
जैसा कि पहले भी बताया, कमलनाथ 2018 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, लेकिन छिंदवाड़ा के लोगों के लिए वो दशकों से एक मुख्यमंत्री से कम नहीं रहे हैं. कमलनाथ आज भी जब छिंदवाड़ा पहुंचते हैं, तो उनसे मिलने वालों की कतार लग जाती है. आज भी कमलनाथ महीने में दो बार छिंदवाड़ा आते हैं. जब भी वे यहां आते हैं दो या तीन दिन के लिए आते हैं और शिकारपुर स्थित उनके आवास पर सुबह से ही जिले भर के कार्यकर्ता और आम जनता उनसे मिलने के लिए पहुंचने लगती है.
छिंदवाड़ा में कमलनाथ का संपर्क समाज के हर तबके के लोगों से है. वे यहां सबको व्यक्तिगत रूप से जानते हैं. नौकरी, इलाज, बेटी की शादी हो या परिवार में किसी की मौत हुई हो, लोग बिना झिझक कमलनाथ के सामने अपनी समस्या सुनाते हैं. इसके तुरंत बाद ही कमलनाथ तमाम समस्याओं को हल करने की कोशिश में जुट जाते हैं और ये लगभग 40 वर्षों से चलता आ रहा है.
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कमलनाथ यहां से नौ बार जीतकर संसद पहुंच चुके हैं. पहली बार कमलनाथ छिंदवाड़ा से 34 साल की आयु में चुनाव जीते थे और लोकसभा पहुंचे थे. अब वो यहां से सांसद नहीं हैं, लेकिन छिंदवाड़ा की जनता के लिए उनका प्रेम अब भी बरकरार है. जब वो केंद्रीय मंत्री थे, उस वक्त भी छिंदवाड़ा के लोगों के लिए दिल्ली के एक तुगलक रोड स्थित उनके घर के दरवाजे हमेशा खुले रहे. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी छिंदवाड़ा में उनका कार्यक्रम पहले की तरह ही रहा. कमलनाथ जब भी छिंदवाड़ा आते हैं और लोगों से मिलने के लिए बाहर निकलते हैं तो उनके घर खाना जरूर खाते हैं. कमलनाथ को पढ़ने के साथ साथ ग्रामीण खाना बेहद पसंद है.
जिस तरह कमलनाथ ने छिंदवाड़ा का खास ध्यान रखा है, उसी तरह छिंदवाड़ा की तीन पीढ़ियां कमलनाथ के साथ खड़ी रही हैं. यहां के लोगों ने उन्हें नेता, मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं माना, बल्कि यहां के लोग उन्हें अपने परिवार का मुखिया मानते हैं. कमलनाथ यहां रह रहे हजारों लोगों को उनके नाम से जानते हैं. कमलनाथ आज जो भी हों, उनका छिंदवाड़ा के प्रति प्यार पहले जैसा ही है. यहां के लोगों का कहना है, ‘हमें सिर्फ कमलनाथ से लेना देना है. वे किसी भी पद पर रहें या नहीं, उनकी लोकप्रियता छिंदवाड़ा में बनी रहेगी.’
18 नवंबर, 1946 में जन्में कमलनाथ एक कुशल भारतीय राजनीतिज्ञ हैं. वे पूर्व में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एवं केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री भी रह चुके है और भारत के सबसे लंबे समय तक सेवारत लोकसभा सदस्यों में से एक हैं. कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में कायस्थ परिवार में हुआ. उन्होंने दून स्कूल में प्राथमिक पढ़ाई और सेंट जेवियर्स कॉलेज के विश्वविद्यालय के कलकत्ता से वाणिज्य स्नातक बी.कॉम किया है. 7वीं लोकसभा में 1980 से उन्होंने संसद का सफर तय किया. उसके बाद लगातार 16वीं लोकसभा तक उन्होंने कई पद और बड़ी जिम्मेदारियां निभाईं. कमलनाथ नेहरू और गांधी परिवार के बेहद करीबी हैं.
2006 में जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने सार्वजनिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कमलनाथ को डॉक्टर की मानक उपाधि से सम्मानित किया था.