Politalks.News/Delhi. विपक्षी एकता को मज़बूत करने को लेकर दिल्ली कांग्रेस (Congress) की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Soniya Gandhi) के आवास पर विपक्षी दलों के बड़े नेताओं की बैठक हुई. सूत्रों के मुताबिक बैठक में अन्य कई मुद्दों के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) को समझाने को लेकर भी बातचीत हुई. बता दें कि ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (prashant kishor) ने पिछले दिनों अपने एक इंटरव्यू में कहा कि, ‘विपक्ष का नेतृत्व करना कांग्रेस का एकाधिकार (दैवीय एकाधिकार)नहीं है. उसी इंटरव्यू में पीके ने कहा कि दूसरी विपक्षी पार्टियों को भी अपना नेता प्रोजेक्ट करना चाहिए. पीके की सलाह की बात करें तो उनको नहीं दिख रहा क्या कि क्षेत्रीय क्षत्रप तो पहले से मैदान में हैं और कुछ ने दिग्गजों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ये सभी सही समय का इंतजार कर रहे हैं. अब इस मुश्किल दौर में कांग्रेस अध्यक्ष के घर हुई इस बैठक में यह तय हुआ कि ममता बनर्जी को नए सिरे से समझाने पर विस्तृत चर्चा हुई. सूत्रों की माने तो ममता को समझाने की जिम्मेदारी शरद पवार (Sharad Pawar) को दी गई है.
सीएम ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा था कि यूपीए नहीं है. उन्होंने कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता की वकालत की थी. सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी को नए सिरे से समझाने पर भी विस्तृत तौर पर चर्चा हुई है. सूत्रों का कहना है कि विपक्ष का कोई बड़ा नेता जल्द ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर बात करेगा. सूत्रों ने कहा है कि शरद पवार के कंधे पर ममता बनर्जी को समझाने की ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
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उधर तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के ‘रणनीतिकार’ प्रशांत किशोर चाहते हैं कि ममता दीदी देशभर में विपक्ष को एकजुट करें और वे नेता हों. इसको लेकर पीके ने एक मिशन भी छेड़ रखा है. ममता दीदी भी लगातार विपक्ष के नेताओं से मिल रही है. हालही में ममता दीदी ने महाराष्ट्र में शिवसेना नेता संजय राउत और ठाकरे सरकार के मंत्री आदित्य से मुलाकात की. इस दौरे के दौरान ही ममता ने शरद पवार के भी मुलाकात की और यूपीए के अस्तित्व पर सवाल उठा दिए. सियासी जानकारों का कहना है कि, ‘पवार की उम्र और सेहत उनके साथ नहीं है. लेकिन वे हार मानने वाले योद्धा नहीं हैं’.
ममता और शरद पवार के अलावा अगर आने वाले दिनों में किसी तरह से नीतीश कुमार भी इस राजनीति में कूदते हैं तो मुकाबले दिलचस्प हो जाएगा. नीतिश कुमार भी पीएम बनने का सपना संजोए बैठे हैं. हालांकि अभी नीतीश NDA के सहयोगी हैं. आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पहले से इस राजनीति में लगे हैं. वो अपनी ही तरह ‘मुफ्त वाली’ राजनीति के सहारे अपनी पहचान बना रहे हैं. विपक्ष संसद में सांसदों के निलंबन और लखीमपुर कांड को लेकर एकजुट हैं बैठकें और प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन केजरीवाल की पार्टी ने अपने आप को इससे दूर कर रखा है.
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बात करें अन्य दावेदारों की तो अखिलेश यादव भी कतार में है. हालांकि अब तक उन्होंने कभी इसको लेकर कोई बात नहीं की है. लेकिन यह तय है कि यूपी में अगर बंगाल वाला चमत्कार होता है तो अखिलेश भी दावेदारी ठोक सकते हैं. इधर हरियाणा के ताऊ ओमप्रकाश चौटाला भी कांग्रेस से अलग होकर तीसरा मोर्चा बनाने का सपना देखते हैं. हाल ही में उन्होंने मुलायम और लालू सहित अन्य दिग्गजों से मुलाकात की थी. लेकिन अभी ये प्लान पाइप लाइन में है.
तो इन दिग्गजों के बीच प्रशांत किशोर का जो प्लान है कि क्षेत्रीय क्षत्रप अगर अपने नेता को प्रोजेक्ट करें. तो टकराव तय है. सियासी जानकारों का मानना है कि अगर पार्टियां अपने आप को प्रोजेक्ट करेंगी और अलग अलग ही भाजपा का सामना करने उतरती हैं तो भाजपा को हराना नामुमकिन होगा. अब देखना यह होगा कि इस मुश्किल दौर में शरद पवार क्या इस उलझन को सुलझा पाते हैं या नहीं.