Politalks.News/UPPanchayatElection. सबसे बड़ी हैरानी तब होती है जब केंद्र सरकार कोरोना संक्रमण को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करके गाइडलाइन और दिशा-निर्देश जारी करती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए दिन इस महामारी को लेकर देशवासियों को सचेत रहने के लिए आगाह करते रहते हैं, लेकिन जब बात चुनाव की आती है तब प्रधानमंत्री इस सवाल पर ‘मौन‘ नजर आते हैं. ऐसे ही पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा था कि कोरोना अब ‘हवा‘ में भी फैल रहा है. इसके बावजूद योगी आदित्यनाथ बंगाल में तो ताबड़तोड़ चुनावी जनसभाएं करते रहे ही, साथ ही योगी ने यूपी में पंचायत चुनाव टाले जाने की भी कोई पहल नहीं की है.
आपको बता दें, कल यानी 15 अप्रैल गुरुवार को यूपी में पंचायत चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान होने जा रहे हैं. इसके बाद तीन चरण 19, 26 और 29 अप्रैल को होंगे. लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में कोरोना महामारी बेकाबू होती जा रही है. ऐसे में ये पंचायत चुनाव हालात को और बिगाड़ सकते हैं. खुद मुख्यमंत्री योगी आदिनाथ होम आइसोलेट में है, बुधवार को सीएम योगी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इसके अलावा यूपी सरकार के मंत्री आशुतोष टंडन भी आज संक्रमित हो गए हैं. यही नहीं योगी सरकार का कामकाज देख रहे और कुछ जिलाधिकारियों समेत करीब एक दर्जन आईएएस ऑफिसर भी महामारी की चपेट में आने से प्रशासनिक अमला भी सहमा हुआ है.
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ऐसे भयावह कोरोना माहौल में यूपी पंचायत चुनाव के दौरान गुरुवार को प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के तमाम मतदाता वोट डालने के लिए निकलेंगे. इस दौरान भीड़ बढ़ेगी और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करवाना शासन-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगा. हालांकि सरकार दावा कर रही है कि मुंह पर मास्क व दो गज की दूरी का पालन हर हाल में कराया जाएगा, लेकिन क्या ग्रामीण लोगों से कोरोना की गाइडलाइन का पालन करवाना संभव है? बल्कि सबसे ज्यादा ‘नेतागिरी‘ पंचायत चुनाव में ही देखी जाती है.
पिछले लगभग एक महीने से पंचायत चुनाव के लिए यूपी में ताबड़तोड़ प्रचार किया जा रहा है. मौजूदा हालात में संक्रमण को रोकने के लिए सख्त पाबंदियों की जरूरत है. नाइट कर्फ्यू एक सीमा तक ही प्रभावी रह सकता है. लेकिन बाजारों, सड़कों पर भीड़ को रोकने के लिए सरकार को बड़े और सख्त कदम उठाने की जरूरत है. प्रदेश सरकार के साथ निर्वाचन आयोग को भी इस और सख्त कदम उठाने होंगे. राज्य में जिस तेजी से संक्रमण अनियंत्रित हो रहा है, ऐसे में पंचायत चुनाव कराना सरकार के लिए मुसीबत बढ़ा सकते हैं.
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भाजपा सांसद ने की चुनाव टालने की मांग तो योगी सरकार के मंत्री ने बदहाली पर उठाए सवाल
उत्तरप्रदेश के जैसे हालात हैं ऐसे में कोई भी पंचायत चुनाव करवाने के मूड में नहीं है. लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से भाजपा सांसद कौशल किशोर पंचायत चुनाव कराए जाने के खिलाफ हैं. उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की है पंचायत चुनाव को कम से कम एक महीने के लिए टाल दिया जाना चाहिए. ‘सांसद कौशल किशोर ने ट्वीट करते हुए कहा कि लखनऊ समेत प्रदेश में कोरोना कंट्रोल से बाहर है. लखनऊ में कई हजार परिवार करोना की चपेट में बुरी तरह बर्बाद हो रहे हैं, श्मशान घाटों पर लाशों के ढेर लगे हैं‘. भाजपा सांसद के इस बयान को लेकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में यह महामारी अपना विकराल रूप ले चुकी है.
वहीं योगी सरकार में कानून मंत्री बृजेश पाठक द्वारा बदहाली पर स्वास्थ्य महकमे को लिखे पत्र को लेकर विपक्ष हमलावर है. प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा ने मंत्री के पत्र के बहाने राज्य सरकार पर खराब व्यवस्थाओं का आरोप लगाया. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि खुद सरकार के एक मंत्री ने चिट्ठी लिख कर कोरोना में बदइंतजामी के हालात बयान किए है. मुख्यमंत्री को क्या सबूत चाहिए? अखिलेश ने कहा कि कोरोना पर नियंत्रण का झूठा ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा सरकार को जवाब देना होगा कि उसने लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ क्यों किया?
दूसरी ओर यूपी पंचायत चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी मंगलवार को सख्त टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि अब योगी सरकार को लॉकडाउन जैसे कदम उठाने की जरूरत है. हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रभावित नगरों में राज्य सरकार को दो या तीन हफ्ते के लिए लॉकडाउन लगाने पर विचार करने का निर्देश दिया. बता दें कि प्रदेश में कोरोना के मामले 13 दिनों में 7 गुना बढ़ गए हैं. एक दिन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या भी 9 गुना अधिक बढ़ गई है. जबकि राज्य में कुल सक्रिय केसों की संख्या भी इस अवधि में करीब आठ गुना बढ़ी है.