Politalks.News/BiharPolitics. आखिर क्या वजह है कि बीजेपी और जदयू के बीच सबकुछ तय होने के बाद भी नीतीश मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है. कब होगा नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार, इस प्रश्न का जवाब सिर्फ राजनीति से जुड़े लोग ही नहीं बल्कि नई सरकार चुनने वाले वोटर भी जानना चाहते हैं. लेकिन इसी बीच पहले बसपा से एक मात्र विधायक का जदयू में शामिल होना, फिर गुरुवार को लोजपा से एकमात्र विधायक और एआईएमआईएम के विधायकों की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है.
दरअसल असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के विधायकों की गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद कयासों के दौर शुरू हो गए हैं. हालांकि एआईएमआईएम विधायक दल के नेता अख्तरुल ईमान ने कहा कि वह अल्पसंख्यकों के मुद्दे के साथ सीमांचल की समस्याओं और वहां के विकास को लेकर विधायकों के साथ मुख्यमंत्री से मिलने गए थे. इससे पहले गुरुवार को ही लोजपा विधायक राजकुमार सिंह भी सीएम से मिले थे. उनका भी यही कहना है कि अपने क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की. गौरतलब है कि इससे पहले जदयू में शामिल हुए बसपा से एकमात्र विधायक जमा खां भी अपनी पूर्व की मुलाकातों को क्षेत्र के विकास को लेकर मिलने का बयान ही बता रहे थे.
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मुलाकात को लेकर एआईएमआईएम के विधायक पार्टी प्रदेशाध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि हम विधायक हैं और हमारी पार्टी के बाकी विधायक भी सीमांचल से आते हैं. नीतीश कुमार सूबे के मुख्यमंत्री हैं. हम सभी विधायक के नाते मुख्यमंत्री से मिलने गए थे. सीमाचांल में कटाव कई वर्षों से एक बड़ी समस्या है. कटाव से हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. अब तक उनके पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो पाई है. ईमान ने कहा जनप्रतिनिधि होने के नाते हमलोग सीमांचल की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने गए थे. बता दें, वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल के इलाके में अच्छा प्रदर्शन करते हुए पांच सीटों पर जीत का परचम लहराया था.
इससे पहले लोजपा के इकलौते विधायक राजकुमार सिंह ने गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके कार्यालय में मुलाकात की. दो दिनों पहले राजकुमार सिंह शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी से उनके आवा्स पर मिले थे. दोनों नेताओं से उनकी मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा हो रही है. हालांकि राजकुमार सिंह ने कहा है कि इन मुलाकातों को राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए. अपने क्षेत्र के विकास को लेकर वे मुख्यमंत्री से मिले हैं और सीएम ने उनके द्वारा उठाए गए विषय पर शीघ्र कार्य का आश्वासन दिया है.
आपको बता दें, कुछ दिन पहले ही मायावती की पार्टी बसपा के एक मात्र विधायक जमा खां जद (यू) में शामिल हो गए थे. इस पर ओवैसी के विधायक अख्तरुल ईमान ने जद (यू) या भाजपा का नाम लिए बिना कहा कि ऐसे भी परिवार हैं जिसके सदस्य शांति से एक साथ नहीं रह पाते हैं लेकिन संबंध तोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं तो उनके बच्चे भटक जाते हैं. यहाँ भी ऐसा ही है. राजनैतिक स्तर पर खींचतान, रस्साकशी ने नौकरशाही को आगे बढ़ाने का काम किया है. AIMIM विधायकों की नीतीश से मुलाकात को लेकर पैदा हुयी अटकलों के बारे में पूछे जाने पर इमान ने कहा कि यह मीडिया पर निर्भर है कि वह राई को पहाड़ बना दे.
दरअसल, यह सारी अटकलों की जड़ नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार में हो रही अप्रत्याशित देरी है. हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री और बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव के पटना पहुंचने के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि 31 जनवरी के पहले बिहार में नीतीश मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा. इस संदर्भ में भूपेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर नामों पर चर्चा भी कर ली थी. लेकिन वर्तमान हालात देख कर ऐसा कहीं नहीं लग रहा कि 31 जनवरी के पहले मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है.