पॉलिटॉक्स ब्यूरो. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में मोदी सरकार 2.0 का आम बजट पेश किया. लगातार 2 घण्टे 40 मिनट के भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि हम सभी विनम्रता और समर्पण के साथ भारत के लोगों के लिए खुद को प्रतिबद्ध करते हैं. देश वासियों ने हमारी सरकार की आर्थिक नीति में विश्वास को दोहराया है. वित्तीय वर्ष 2020-21 का यह बजट देशवासियों की आय बढ़ाने और उनकी क्रय शक्ति को बढ़ाने के लिए है. इस बजट का मुख्य फोकस गांव, गरीब और किसान पर है. वहीं लोकसभा में पेश हुए बजट को राजस्थान के कांग्रेस नेताओं ने इसे दिशाहीन और निराशाजनक बजट बताया है.
दिल्ली में पत्रकारों से रूबरू होते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2020-21 पर कहा कि ये लोग जो बजट लाते है उसमें हमेशा दिखावा करते है. पीएम मोदी कहते थे, ये देश मैं बिकने नहीं दूंगा. लेकिन आज चाहे रेल हो या हवाई जहाज सब पीपीपी मॉडल पर जा रहे हैं, इससे समझा जा सकता है कि ये देश को कहां ले जाना चाहते हैं. देश में राज्य सरकारें संकट में हैं क्योंकि केंद्र से बजट में प्रोविजन होने के बाद भी पैसा नहीं मिल रहा है. मोदी सरकार पेश किये हुए बजट को लागू करने में बहुत पीछे है. बजट में मुख्य तौर पर पानी और शिक्षा पर फोकस किया है, लेकिन इम्प्लीमेंट कितना होता है ये देखने वाली बात होगी.
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इससे पहले सीएम गहलोत ने आम बजट पर ट्वीट करते हुए लिखा कि, बजट 2020 बहुत ही निराशाजनक और अभावपूर्ण रहा. इतने लम्बे भाषण के बावजूद अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए इस बजट में कोई ठोस योजना नहीं है. देश के युवा रोजगार के अवसरों में वृद्धि का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उनकी उम्मीदों को पूरी तरह से धराशाही कर दिया है. यह बजट भाषण आम लोगों या उद्योगों को राहत देने पर ध्यान केंद्रित किए बिना केवल शब्दों की बाजीगरी थी. सरकार द्वारा एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी को बेचने की घोषणा निराशाजनक है. आम लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई एलआईसी में लगाई है, वे सभी लोग अब ठगा हुआ महसूस करते हैं. LIC का निजीकरण करने के लिए सरकार को लोगों की जमा राशि को खतरे में नहीं डालना चाहिए.
वहीं प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस आम बजट पर ट्वीट करते हुए लिखा, केवल भाषण से देश की आर्थिक स्थिति में बदलाव नहीं होगा. आज के बजट में युवाओं के लिए रोजगार की नीति का अभाव दुखद है. विकास दर सहित अन्य मुद्दों पर केंद्रीय बजट में स्पष्ट रोडमैप नहीं दिया है जिससे जनता के हाथ एक बार फिर निराशा लगी है.
विधानसभा में मुख्य सचेतक डॉ महेश जोशी ने इस आम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बजट पूर्णतया निराशाजनक है. इस बजट में ना तो रोजगार को बढ़ावा देने की बात नज़र आ रही है और ना ही आम आदमी को राहत देने की कोई बात नज़र आ रही है. मनरेगा में जो राशि आवंटित की गई है वह भी अपर्याप्त है. इन्कम टैक्स स्लैब में जो बदलाव किये गये है वह हाथ घुमाकर कान पकडने के समान है. कुल मिलाकर सरकार द्वारा पेश किया गया यह बजट पूर्णतया निराशाजनक है.
राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने इस बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि इस बजट में रोजगार के अवसर सृजित करने तथा देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोई रोड मैप प्रस्तुत नहीं किया गया है. इस बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक प्रावधानों की उम्मीद थी लेकिन स्वास्थ्य को लेकर कोई महत्वपूर्ण प्रावधान नहीं किया गया. देश में किसान अपनी उपज का सही दाम नहीं मिलने के कारण घोर निराशा में है. इस बजट में किसानों और मजदूरों के लिए भी किसी तरह का कोई महत्वपूर्ण प्रावधान नहीं किया गया है. इसके साथ ही मंत्री शर्मा ने इस बजट को नारों और जुमलों का पिटारा बताते हुये कहा है कि बजट ने सभी तबकों को निराश किया है. इस बजट में ना दृष्टिकोण है, ना प्रावधान.
जलदाय एवं ऊर्जा मंत्री बी. डी. कल्ला ने कहा ऐसे वक्त में जब देश की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, इस बजट से सभी लोगों को बड़ी उम्मीदें थी. यह बजट हर वर्ग की निराशा को और गहरा करने वाला है. ‘इकोनामिक स्लोडाउन’ को एड्रेस करने के लिए ठोस कदमों का केंद्रीय बजट में नितांत अभाव है. अपने भविष्य को लेकर चिंता में डूबे युवाओं, महंगाई की मार झेल रहे मध्यम वर्ग और इण्डस्ट्रीज की आशाओं पर भी इस बजट ने पानी फेर दिया है. यह बजट महंगाई और बेरोजगारी को बढ़ाने वाला साबित होगा. इस निराशाजनक बजट के परिणाम स्वरूप आज शेयर बाजार में आई बड़ी गिरावट इस बात को रेखांकित कर रही है.
अल्पसंख्यक मामलात मंत्री साले मोहम्मद ने कहा कि इस बजट से राजस्थान को बहुत उम्मीद थी लेकिन यह बजट राजस्थान के लिए तो निराशाजनक रहा. बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में 2 करोड युवाओं को नौकरी देने की बात की थी लेकिन आज तक किसी को नौकरी नहीं मिली. यह बजट देश के युवा, मजदूर, किसान सभी के लिए निराशाजनक है. देशवासियों की उम्मीद के हिसाब से यह बजट खरा नहीं उतरा है.
वहीं उप मुख्य संचेतक महेन्द्र चौधरी ने कहा कि यह आम बजट दिशाहीन बजट है. यह बजट उद्योग पतियों को प्रभावित करने वाला बजट है. शब्दों के आंकडों में इस बजट को पेश किया गया है निम्न वर्ग व मध्यम वर्ग इस बजट से दूर है. इस बजट से युवाओं में बहुत उम्मीद थी, अर्थव्यवस्था के लिए इस बजट में बहुत उम्मीद थी लेकिन उसके लिए भी कुछ नहीं किया गया. इस बजट को देखने के बाद जनता को मनमोहन सिंह जी के बजट की याद आ रही है. यह बजट पूर्णतया विफल और देश को कमजोर करने वाला बजट है.