Politalks.News/Rajasthan. हाल ही में बाड़मेर में हुए कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले में अब सियासत गरमा गई गई है. एनकाउंटर को लेकर उठ रहे सवालों के बीच राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग अब एनकाउंटर की जांच करेगा. राष्ट्रीय ओबीसी आयोग ने कमलेश एनकाउंटर मामले में राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब मांगा है. आयोग के उपाध्यक्ष लोकेश कुमार प्रजापति ने मुख्य सचिव, डीजीपी और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी किए हैं. कमलेश प्रजापत एनकाउंटर से सम्बंधित दो वीडियो वायरल होने के बाद से बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस के नेताओं ने भी मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं, वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कमलेश प्रजापत के फर्जी एनकाउंटर पर मुहर लगती नजर आ रही है.
आपको बता दें, कमलेश प्रजापत एनकाउंटर पर भाजपा और कांग्रेस के कई नेता सवाल उठा चुके हैं. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत, कांग्रेस नेता मदन प्रजापत ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की थी. वहीं अब विवाद को बढ़ता देख अब राष्ट्रीय ओबीसी आयोग की मामले में एंट्री हो गई है.
सीएस, डीजीपी और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को आयोग ने भेजा नोटिस
राष्ट्रीय ओबीसी आयोग ने कमलेश प्रजापत के एनकाउंटर के फर्जी होने संबंधी आरोपों पर तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब की है. यह नोटिस सुरेश प्रजापत और अन्य की ओर से आयोग को दी गई याचिका के बाद जारी की गई है. सुरेश प्रजापत ने 24 अप्रैल को आयोग को याचिका भेजकर कमलेश एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए इसकी सीबीआई से जांच की मांग की थी. इसके बाद ओबीसी आयोग ने सीएस, डीजीपी और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को 7 दिन में नोटिस का जवाब देने को कहा है. आयोग ने यह चेतावनी दी है कि अगर 7 दिन में नोटिस का जवाब तथ्यात्मक रिपोर्ट के साथ नहीं दिया तो संबंधित अफसरों को वारंट जारी कर तलब किया जाएगा.
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गौरतलब है कि कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले में दो वायरल वीडियो ने पुलिस की थ्यौरी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे. कमलेश के घर के बाहर एक फैक्ट्री के सीसीटीवी से लीक वीडियो वायरल वीडियो से यह खुलासा हो रहा है कि कमलेश की तरफ से गोली ही नहीं चली, गोली केवल पुलिस की तरफ से चली. पुलिसकर्मी डंडे से कमलेश की गाड़ी की विंड शीट तोड़ते हुए दिख रहे हैं. फिर एक पुलिसकर्मी रिवॉल्वर ताने दिखता है. कुछ ही देर बाद वीडियो में गाड़ी से एक युवक को पुलिसकर्मी दोनों हाथ और पांव पकड़कर उल्टा करके गाड़ी में डालते हुए दिख रहे हैं.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से गहराया शक, पुलिस के बयान और रिपोर्ट में भारी विरोधाभास:
आपको बता दें, तस्कर कमलेश प्रजापत के 22 अप्रैल की रात को हुए पुलिस एनकाउंटर पर विवाद लगातार गहराता जा रहा है. एनकाउंटर से जुड़ा सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद एनकाउंटर सवालों के घेरे में आ गया है. अब कमलेश प्रजापति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद संदेह का घेरा और बढ़ गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, तस्कर कमलेश को 4 गोली लगी थी. चारों गोली लेफ्ट साइड से लगी थी. एक भी गोली पांव पर नहीं लगी है. चारों गोली कमर और कमर से ऊपर लगी है. पुलिस की बताई कहानी की पोल पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोल दी है. मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर ने बताया कि कमलेश का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से करवाया गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तस्कर को 4 गोली लगी. चारों लेफ्ट साइड से लगी थी. लेफ्ट साइड में एक गोली ऊपरी भुजा पर, दो गोली छाती पर, एक गोली कमर के नीचे वाले भाग पर लगी है. ज्यादातर गोली के घाव शरीर के अंदर की तरफ थे.
दूसरी ओर इस मामले में पुलिस ने कमलेश की गाड़ी से जिस हेड कांस्टेबल को कुचलने का दावा किया, उसके और बाड़मेर एसपी के बयानों में विरोधाभास है. हेड कांस्टेबल ने कहा था कि कमलेश ने फायरिंग की जबकि बाड़मेर एसपी ने कहा-गोली नहीं चली. वीडियो देखने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है, जब कमलेश ने गोली नहीं चलाई तो फिर सीधे उसे हिट करके गोली क्यों मारी गई? पुलिस को अगर गाड़ी ही रोकनी थी तो गाड़ी के टायर पर फायर करके उन्हें रोका जा सकता था. वायरल वीडियो से यह साबित हो रहा है कि सामने से गोली नहीं चली और कमलेश पुलिस की गोली से घटनास्थल पर ही मारा गया.
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तस्कर कमलेश एनकाउंटर मामले में बनी संघर्ष समिति, सीबीआई जांच की मांग हुई तेज: प्रजापत समाज और सर्व समाज ने संघर्ष समिति बनाकर न्याय की मांग कर रही है. गुरुवार को संघर्ष समिति ने पत्रकार वार्ता कर सीबीआई जांच की मांग की. संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि सीबीआई जांच की घोषणा न होने पर सरकार बड़ा आंदोलन झेलने के लिए तैयार रहे. संघर्ष समिति के अध्यक्ष बलराम प्रजापत ने गुरुवार को प्रेस वार्ता कर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए गंभीर आरोप लगाये. बलराम ने कहा कि सरकार ने अभी तक उच्च स्तरीय और सीबीआई जांच पर कोई काम नहीं किया है. संघर्ष समिति का कहना है कि लोकल एसडीएम को जांच दी है इसका स्तर इतना नही है कि जिला स्तर के अधिकारियों से ऊपर जा सके. इस जांच का कोई मतलब नहीं है. हमारी एक ही मांग है कि सीबीआई से जांच करवाई जाए. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और भारत का कानून है अगर अपराधी है तो उसके खिलाफ विधिवत कानूनी कार्यवाही होनी चाहिये किसी को जान से मारने का अधिकार नहीं है.