Politalks.News/Rajasthan. कोरोना महामारी की वजह से कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार पर कई मुद्दों पर ट्विटर के जरिए ही हमला बोल रही है. खासतौर पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी केंद्र सरकार पर आक्रामक रवैया अपनाए हुए हैं. लेकिन अब कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे सवाल करने और जवाब मांगने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. या यूं कह लीजिए अब राहुल गांधी ने मोदी सरकार से आमने-सामने की लड़ाई के लिए ताल ठोकने की तैयारी शुरू कर दी है. यहां हम बता दें कि राहुल गांधी मानसून सत्र में तमाम मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधी लड़ाई के मूड में हैं.
मानसून सत्र के लिए जहां केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह तैयार है, उससे अधिक कांग्रेस को इसका इंतजार है. गौरतलब है कि कोरोना संकट को लेकर संसद सत्र पिछले पांच महीने से स्थगित है. लेकिन अब उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से हरी झंडी मिलने के बाद मानसून सत्र इसी अगस्त माह के आखिरी सप्ताह या सितंबर के प्रथम सप्ताह में शुरू होने जा रहा है.
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कोरोना महामारी, चीन की घुसपैठ और नेपाल के तेवर, देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था, बढ़ती बेरोजगारी, 370 हटाए जाने के एक साल बाद जम्मू-कश्मीर में जनजीवन बहाली, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस को अस्थिर करने और फेसबुक-व्हाट्सएप पर भाजपा और आरएसएस का नियंत्रण जैसे तमाम मुद्दों पर राहुल गांधी पीएम मोदी सेे सीधा जवाब मांगेंगे . अभी तक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष है ट्वीटर के माध्यम से ही भाजपा पर कई गंभीर आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अब मानसून सत्र में राहुल गांधी केंद्र से सीधे तौर पर दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं. कांग्रेस के साथ बाकी विपक्ष को भी इस सत्र का बेसब्री से इंतजार है. दूसरी ओर केंद्र की भाजपा सरकार भी अपने कई फैसलों को देश के सामने रखने के लिए मानसून सत्र में तैयारी कर रही है. लंबे समय केेेे बाद शुरू होने जा रहे मानसून सत्र के जबरदस्त हंगामेदार होने के आसार हैं.
कोरोना महामारी के वजह से इस बार संसद का नजारा बदला नजर आएगा
कोविड-19 को देखते हुए संसद में पहली बार नई प्रक्रियाओं को अपनाया जाएगा. इनमें शारीरिक दूरी का पालन सुनिश्चित करने के नियमों के साथ ही बैठने की व्यवस्था में बदलाव सहित कई सुरक्षात्मक कदम उठाए जाएंगे. इस बार मानसून सत्र बदला हुआ नजर आएगा. यही नहीं लोकसभा और राज्यसभा का सत्र एक साथ नहीं चलेगा. आमतौर पर दोनों सदनों में एक साथ काम होता है, लेकिन इस बार स्पेशल परिस्थितियों की वजह से एक सदन सुबह और दूसरा शाम को चलेगा.
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कोरोना महामारी के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग के लिए लोकसभा और राज्यसभा में मेंबर्स के बैठने के लिए दोनों सदनों के चेम्बर और गैलरीज के इस्तेमाल जैसे कई प्रयोग पहली बार किए जा रहें हैं. मानसून सत्र के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, हवा में वायरस को मारने वाली मशीन, लार्ज डिस्प्ले स्क्रीन का प्रयोग होते हुए दिखाई देगा. इस बार संसद में सांसद और मंत्री, प्रधानमंत्री दूर-दूर बैठे नजर आएंगे. राज्यसभा चेंबर में प्रधानमंत्री समेत बड़े नेता बैठेंगे. विभिन्न पार्टियों को उनकी स्ट्रेंथ के मुताबिक राज्यसभा के चेंबर और गैलेरी में सीट अलॉट की जाएगी और बाकी को लोकसभा के चेंबर में दो ब्लॉक में (यानी रूलिंग पार्टी और अन्य) को बैठाया जाएगा. राज्यसभा चेंबर में प्रधानमंत्री, सदन के नेता, विपक्ष के नेता और अन्य पार्टी के नेताओं के लिए सीट तय की जाएगी.
छह माह के अंदर संसद सत्र बुलाना है अनिवार्य
यहां हम आपको बता दें कि संसद सत्र छह माह के अंदर बुलाना अनिवार्य होता है. संसद के अंतिम बजट सत्र को कोरोना की वजह से बीच में ही रोकना पड़ा था और दोनों सदनों को 23 मार्च को स्थगित कर दिया गया था. इसी के मद्देनजर संसद के दोनों सदनों में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. 1952 के बाद से भारतीय संसद के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब इस तरह की व्यवस्था की जा रही है, जिसके तहत 60 मेंबर राज्यसभा के चेंबर और 51 मेंबर गैलरी में बैठेंगे. बाकी 132 मेंबर्स को लोकसभा के चेंबर में बैठाया जाएगा.
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राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मानसून सत्र आयोजित करने के लिए विभिन्न विकल्पों की विस्तृत जांच के बाद दोनों सदनों के कक्षों और गैलरियों को इसके अनुरूप बनाने पर निर्णय लिया है. राज्यसभा कक्ष में प्रधानमंत्री, सदन के नेता, विपक्ष के नेता और अन्य दलों के नेताओं के लिए सीटें निर्धारित की जाएंगी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एचडी देवगौड़ा के अतिरिक्त रामविलास पासवान और रामदास अठावले भी यहां बैठेंगे. वहीं जो राज्यसभा के सदस्य नहीं हैं, वे मंत्री सत्ताधारी दल के लिए निर्धारित सीटों पर बैठेंगे.