एकनाथ शिंदे नहीं बल्कि देवेंद्र फडणवीस ही हैं महाराष्ट्र के असली मुख्यमंत्री- संजय राउत का बड़ा बयान

पूर्ववर्ती ठाकरे सरकार के फैसलों पर शिंदे सरकार ने लगाई रोक, नहीं बदलेंगे औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम, नई सरकार आगामी दिनों में होगा इस पर फैसला, सांसद संजय राउत ने साधा निशाना- उपमुख्यमंत्री टिकट देते हैं, माइक खींचते हैं, शर्ट खींचते हैं, ऐसा लग रहा है कि एकनाथ शिंदे के हाथ में तो कुछ है ही नहीं क्योंकि सरकार तो देवेंद्र फडणवीस ही चला रहे हैं, संसद में हमें हाथ-पैर बांधकर चेहरे पर गोंद लगाना होता है और सरकार भी यही चाहती है ताकि उनके किसी भी फैसले पर सवाल ना उठाया जाए

‘औरंगजेब आपका रिश्तेदार कैसे बन गया?’
‘औरंगजेब आपका रिश्तेदार कैसे बन गया?’

Politalks.News/Maharashtra/SanjayRaut. औरंगजेब आपका रिश्तेदार कैसे बन गया? शिंदे सरकार महाराष्ट्र विरोधी है, इसीलिए औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने के फैसले को पलट दिया क्योंकि एकनाथ शिंदे के हाथ में तो कुछ है ही नहीं, सरकार तो देवेंद्र फडणवीस ही चला रहे हैं, ये बयान है शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत का. दरअसल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी पिछली कैबिनेट बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा लिए गए नाम को बदलने के फैसले पर रोक लगी दी है. इस्तीफा देने से पहले ठाकरे ने अपनी अंतिम कैबिनेट बैठक में औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर, उस्मानाबाद का धाराशिव और नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम डीबी पाटिल के नाम पर रखने की घोषणा की थी. महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ अब शिवसेना सांसद संजय राउत ने निशाना साधा है.

अपने दो दिनों के विदर्भ दौरे पर निकले संजय राउत ने नागपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि, ‘महाराष्ट्र की इस नवनिर्मित सरकार पर तो सुप्रीम कोर्ट की तलवार लटक रही है. हिंदुत्व के मुद्दे पर सरकार बनाने वाले लोगों ने ऐसा फैसला लिया है जो की पूरी तरह से महाराष्ट्र विरोधी है. यह फैसला ही नहीं ये सरकार भी महाराष्ट्र विरोधी है. औरंगजेब आपका रिश्तेदार कैसे बन गया? इसीलिए तो इन्होंने औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने के फैसले को पलट दिया. यही नहीं नवी मुंबई एयरपोर्ट का नाम बदलने का प्रस्ताव भी स्थगित किया है, जिसे हिंदू नेता डीबी पाटिल के नाम पर रखा गया था.’ एकनाथ शिंदे की चुटकी लेते हुए संजय राउत ने कहा कि, ‘एकनाथ शिंदे के हाथ में तो कुछ है ही नहीं क्योंकि सरकार तो देवेंद्र फडणवीस ही चला रहे हैं.’

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नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए एकनाथ शिंदे गुट की ओर से खुद पर हमला किए जाने राउत ने कहा, ‘क्या मैं शिवसेना का मालिक हूं? शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की है. बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना के लिए लाखों शिवसैनिक अपनी जान देने को तैयार हैं. अगर बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना के साथ रहना शिवसेना का अंत कहा जाता है, तो वफादारी की परिभाषा बदलनी होगी.’ इस दौरान संजय राउत ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि, ‘शिवसेना एक बार फिर से राज्य की सत्ता में आएगी क्योंकि जो शिवसेना को खत्म करना चाहते थे, वे भाजपा के साथ गए हैं.’ पत्रकारों से बात करते हुए सांसद ने लोकसभा सचिवालय द्वारा असंसदीय शब्दों की जारी हुई सूची को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

संजय राउत ने कहा कि, ‘संसद में हमें हाथ-पैर बांधकर चेहरे पर गोंद लगाना होता है और सरकार भी यही चाहती है ताकि उनके किसी भी फैसले पर सवाल ना उठाया जाए.’ संजय राउत ने आगे कहा कि, ‘उपमुख्यमंत्री टिकट देते हैं, माइक खींचते हैं, शर्ट खींचते हैं. ऐसा लग रहा है कि यह सरकार एकनाथ शिंदे की नहीं है बल्कि देवेंद्र फडणवीस ही असली मुख्यमंत्री हैं.’ वहीं राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर तंज कसते हुए राउत ने कहा कि, ‘वह ठाकरे सरकार के दौरान संविधान और कानून की बातें करते थे. अब देखना होगा कि क्या उन्होंने इन मुद्दों को समुद्र में फेंक दिया है.’

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आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जब औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के लिए कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया था उस वक़्त राज्यपाल ने बहुमत परीक्षण को साबित करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि, ‘फिलहाल आपकी सरकार अल्पमत में है, ऐसे समय में आप लोकलुभावन निर्णय नहीं ले सकते हैं.’ वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी यही मुद्दा उस समय उठाया था. सूत्रों ने बताया कि तीनों का नाम बदलने का फैसला शिंदे सरकार नए सिरे से करेगी. उद्धव ठाकरे सरकार की आखिरी कैबिनेट बैठक सरकार गिरने से पहले 29 जून को हुई थी. इस बैठक में औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर, उस्मानाबाद का नाम धाराशिव और नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को नया नाम दिया गया था.

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