Politalks.news/Uttarpradesh. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले तमाम राजनीतिक दल सियासी उधेड़बुन में लग चुके हैं. इसी बीच जो उत्तप्रदेश की राजनीति में इस वक़्त सबसे ज्यादा चर्चा का विषय समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मुलाकात बनी हुई है. सपा सुप्रीमो और भाजपा प्रदेश ‘प्रधान’ की मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब पार्टी एक ओर जहां जातिगत जनगणना पर अपने रुख को स्पष्ट करने के लिए संघर्ष कर रही है, तो वहीं दूसरी और भाजपा ओबीसी में अपनी पैठ बढ़ाने का प्रयास कर रही है. मुलायम सिंह एवं स्वतंत्र देव की इस मुलाकात के बाद कई कयासों ने जन्म ले लिया है. क्या स्वतंत्र देव भाजपा के भीतर नाखुश हैं औऱ क्या वे जल्द ही सपा में शामिल हो सकते हैं?.
बताया जा रहा है कि 21 अगस्त को सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह की लखनऊ में आयोजित श्रद्धांजलि सभा का न्योता देने के लिए स्वतंत्र देव सिंह मुलायम सिंह से मिलने पहुंचे थे. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा भाजपा के दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि ना देने के बाद से वे भजापा के निशाने पर हैं. वहीं स्वतंत्र और मुलायम की इस मुलाकात को लेकर सपा ने दावा किया था कि स्वतंत्र देव भाजपा के भीतर नाखुश हैं और मुलायम सिंह ने उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था. हालांकि स्वतंत्र देव सिंह इसे भले ही शिष्टाचार मुलाकात कहें लेकिन कुछ तो है?
नेताजी से मुलाकात के बाद स्वतंत्र देव सिंह ने इस मुलाकात की तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा था कि ‘उन्होंने “नेताजी”का आशीर्वाद लिया और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली तथा उनके स्वास्थ्य एवं लंबी उम्र की कामना की’. वहीं दोनों नेताओं की इस मुलाकात को लेकर, सपा के डिजिटल मीडिया समन्वयक मनीष जगन अग्रवाल के एक ट्वीट को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रीट्वीट करके चर्चा में ला दिया. अग्रवाल ने सोमवार को ट्वीट किया था, ‘आज बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आदरणीय नेता जी से मिले! नेता जी ने स्वतंत्र देव सिंह को समाजवादी पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया. स्वतंत्र देव सिंह बीजेपी में पिछड़ों और दलितों की अनदेखी से शायद नाराज हैं. स्वतंत्र देव सिंह इसे भले ही शिष्टाचार मुलाकात कहें लेकिन कुछ तो है?’
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वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 30 अगस्त को सपा प्रवक्ता की टिप्पणी को री-ट्वीट करते हुए कहा, ‘नेताजी ने स्वतंत्र देव सिंह को समाजवादी पार्टी में शामिल होने की पेशकश की है क्योंकि वह शायद भाजपा में दलितों और पिछड़ों की उपेक्षा से नाखुश हैं.’ अब स्वतंत्र देव सिंह और मुलायम सिंह यादव की ये मुलाकात आगे क्या रंग लाती है ये तो भविष्य के गर्भ में छुपा है, लेकिन यूपी चुनाव से ठीक पहले दोनों नेताओं की इस मुलाकात को लेकर नया युद्ध जरूर छिड़ गया है. हालांकि स्वतंत्र देव सिंह ने इस मुलाकात को केवल औपचारिक मुलाकात बताते हुए कहा था कि, ‘भाजपा के दिवंगत एवं महान नेता कल्याण सिंह की शोक सभा के लिए मैं तो 40 से अधिक दलों को आमंत्रित करने गया था‘.
कौन है स्वतंत्र देव सिंह
स्वतंत्र देव सिंह का जन्म 13 फरवरी 1964 को मिर्जापुर में हुआ है. छात्र जीवन से ही स्वतंत्र देव राजनीति में सक्रिय हो गए थे. 1986 में उन्होंने यूपी के उरई में, डीएवी डिग्री कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव भी लड़ा था, हालांकि उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. स्वतंत्र देव सिंह अपने करियर के शुरुआती दिनों में एक अखबार में पत्रकार के तौर पर भी काम कर चुके हैं. तो वहीं 1992 में नौकरी छोड़कर उन्होंने संघ के स्वयंसेवक के तौर पर काम करना शुरू किया था.
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आपको बता दें कि स्वतंत्र देव सिंह की गिनती भाजपा के दिग्गज नेताओं में की जाती है. देव सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह का करीबी माना जाता है. स्वतंत्र देव सिंह का राजनैतिक इतिहास बेहद उतार चढ़ाव भरा रहा है. 2019 में यूपी चुनाव के वक़्त सीएम पद के दावेदार स्वतंत्र देव सिंह एक बार एमएलसी बने और उनके नाम की खूब चर्चा हुई, लेकिन बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का सीएम बना दिया. बता दें कि स्वतंत्र देव सिंह का नाम कांग्रेस सिंह था और इस नाम से संघ को बहुत कन्फ्यूज़न होता था जिसके बाद उनका नाम बदलकर स्वतंत्र देव सिंह रख दिया गया.