पॉलिटॉक्स न्यूज़. एक जुमला बड़ा प्रचलित है कि दिवाली पर अगर धन की देवी को प्रसन्न करना है तो चारों ओर दीपों से सजावट करनी होगी ताकि घर संपन्न लगे. ऐसा ही कुछ दिख रहा है गुजरात (अहमदाबाद) में, जहां दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत सत्कार की तैयारियां जोरों शोरों से हो रही है. ट्रंप अपनी पत्नी संग 24 फरवरी को भारत आ रहे हैं. उनके स्वागत में अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में ‘नमस्ते ट्रंप‘ कार्यक्रम रखा गया है. उनके साथ ट्रंप की बेटी इवांका और दामाद भी आ रहे हैं. जैसा कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया, ‘ट्रंप के प्रोटोकॉल, सिक्योरिटी, सड़क, संसाधन से जुड़े खर्च सरकार उठा रही है लेकिन मोटेरा स्टेडियम में आयोजन का खर्च डोनाल्ड ट्रंप अभिनंदन समिति उठा रही है’.
माना यही जा रहा है कि ट्रंप के भारत दौरे के लिए करीब 100 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा. इतना भारी भरकम खर्च जिससे देश में कई विकास योजनाएं चलाई जा सकती हैं, उतना पैसा केवल दिखावे के लिए खर्च हो रहा है. वहीं दूसरी ओर, इतने सालों में पहली बार गंदगी लगने लगी यानि झुग्गी झोपड़ियां ट्रंप को न दिखे, इसके लिए पहले उसके आगे दीवार खींची जा रही थी. अब उन गरीबों का घर उजाड़ा जा रहा है.
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डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत से कुछ दिनों पहले गुजरात में बीजेपी की विजय रूपाणी सरकार ने अहमदाबाद हवाई अड्डे से साबरमती आश्रम के रास्ते में स्थित एक झुग्गी बस्ती को छुपाने के लिए लंबी दीवार खड़ी कर दी. सरदार वल्लभ भाई पटेल एयरपोर्ट से इंदिरा ब्रिज को जोड़ने वाली सड़क के किनारे ये दीवार अहमदाबाद नगर निगम बनवा रहा है. मकसद साफ है दीवार बनने की वजह से लोग खासतौर पर ट्रंप और उनका काफिला इन इलाकों में पड़ने वाली झोपड़ी और कच्चे मकान नहीं देख सकें.
झुग्गियों में रहने वालों का भी यही कहना है कि ऐसा केवल देश की गरीबी छुपाने के लिए किया जा रहा है. यहां तकरीबन दो हजार लोग रहते हैं. दीवार खींचने तक तो ठीक था लेकिन अब यहां के 45 लोगों को बस्ती खाली करने का नोटिस दिया गया है. स्लम में रहने वाले परिवारों का कहना है कि वे दो दशकों से यहां रह रहे हैं और ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम की वजह से उन्हें यहां से जाने को कहा गया है.
हालांकि नोटिस में जगह खाली करने के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है और म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने इस तरह का नोटिस देने की खबर से इनकार किया है. लेकिन स्लम इलाके में नोटिस दिए लोगों की तस्वीरें जमकर वायरल हो रही हैं. इन 45 परिवारों की झोपड़ियां ऐसे स्थान पर बनी हैं जहां दीवार से इन्हें छिपाया नहीं जा सकता. इन्हें रविवार तक जगह खाली करने के लिए कहा गया है. ऐसे में ट्रंप का दौरा देश के लिए तो पता नहीं लेकिन इन परिवारों के लिए किसी सदमे से कम नहीं है.
जब मेयर बिजल पटेल से बात की गई तो उन्होंने झुग्गी-झोपड़ी के सामने दीवार बनाने के मामले से पूरी तरह अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
एक ओर जहां देश की गरीबी को छिपाया जा रहा है, वहीं देश में फैली गंदगी को छिपाने के जतन भी कम नहीं हो रहे. ट्रंप का आगरा का ताजमहल देने का भी प्लान है. यहां मैली होती जा रही यमुना नदी की बदबू को फिलहाल खत्म करने के लिए योगी सरकार ने अनोखा फॉर्मुला अपनाया है. सिंचाई विभाग की ओर से यमुना के पानी में बुलंदशहर के गंगा नहर का 500 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा ताकि यमुना साफ और बहती हुई दिखाई दे. पानी में बहाव बढ़ेगा तो बदबू कम होगी और स्वच्छ वातावरण दिखाई देगा. सफाई अभियान भी जोरो पर चल रहा है.
वहीं मोटेरा स्टेडियम सहित अहमदाबाद शहर में ट्रंप की तैयारियों पर जमकर पैसा और पसीना बहाया जा रहा है. ट्रंप के स्वागत के लिए अहमदाबाद की सड़कें सज गई है. प्रवक्ता के अनुसार, ट्रंप के स्वागत में एक से दो लाख लोग आएंगे जबकि ट्रंप के हिसाब से तो अहमदाबाद की पूरी जनसंख्या भी स्वागत समारोह में कम लग रही है. हाल में उन्होंने कहा था कि अगर उनके स्वागत समारोह में एक करोड़ लोग न आए तो संतुष्टि नहीं होगी जबकि अहमदाबाद में रहने वालों की संख्या 70 लाख के आसपास है.
अब बात करें अमेरिकन राष्ट्रपति के भारत दौरे में होने वाले खर्चे की. दो दिन का खर्चा और तैयारियों पर मिलाकर करीब 100 करोड़ रुपये के करीब बताया जा रहा है. वो जिस होटल में रूकेंगे, वहां एक रात रूकने का खर्चा करीब 10 लाख रुपये है. उनकी सुरक्षा पर होने वाला एक दिन का खर्च करीब एक करोड़ रुपये से अधिक है. विपक्ष ने इस खर्चे को पैसे की बर्बादी बताया है. नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन ने तो ये तक कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति आ रहे हैं, कोई भगवान थोड़ी आ रहा है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस फंड को लेकर सवाल उठाया है.
वहीं खर्चे पर सफाई देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि ‘नमस्ते ट्रंप’ डोनाल्ड ट्रंप नागरिक अभियान समिति की तरफ से आयोजित किया जा रहा है. आमंत्रण के बारे में फैसले भी समिति ही ले रही है. उन्होंने इसे सरकारी नहीं बल्कि निजी कार्यक्रम बताया. वहीं गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने भी कहा कि स्वागत में सरकार की कोई सीधी भूमिका नहीं है. अहमदाबाद की मेयर बिजल पटेल को समिति का प्रमुख बताया जा रहा है. ‘नमस्ते ट्रंप’ के होर्डिंग्स में कई जगह प्रधानमंत्री मोदी की छोड़ किसी का नाम नहीं है लेकिन मामले में कुछ पेच तो जरूर है. इतनी जल्दी समिति कैसे बनी और समिति के पास इतना फंड कहां से आएगा, इसकी कोई जानकारी नहीं है.
खैर…जो भी हो लेकिन सवाल ये है कि जब सरकार इतना पैसा केवल अमेरिकन राष्ट्रपति और उनके परिवार के स्वागत में खर्च कर रहा है तो देश की गरीबी पर पर्दा क्यों डाला जा रहा है. उससे भी बड़ा सवाल ये है कि गरीबों को उनके घरों से बेदखल कर सरकार या समिति अपना कौनसा रूप विदेशी मेहमानों को दिखा रही है. जैसा कि रवीश कुमार ने ट्रेड डील के बारे में कहा कि हम कोई सौदा जल्दबाजी नहीं करना चाहेंगे क्योंकि इसमें शामिल मुद्दे जटिल हैं. इसमें समय लगेगा. जब ऐसा ही है और इसमें समय लगने वाला है तो ‘नमस्ते ट्रंप’ के लिए गरीबों की गरीबी के साथ खिलवाड़ क्यों कर रही है सरकार? यह सवाल सभी के जहन में है लेकिन जवाब किसी के पास नहीं.