‘मुसलमानों से कहना चाहिए कि अजान मराठी में दी जाए..’ भाषायी विवाद पर नितेश राणे

महाराष्ट्र में गर्मा रहा भाषायी विवाद, विपक्ष के बाद सत्ताधारी पक्ष के नेता भी देने लगे विवादित बयान, जातीय रंग देने की हो रही कोशिश

nitish rane marashtra bjp
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महाराष्ट्र में भाषायी विवाद तूल पकड़ता जा रहा है. विपक्ष के इस मुद्दे को पुरजोर उठाने के बाद अब बीजेपी इसे कवर करने में जुट गयी है. हालांकि महाराष्ट्र सरकार में बीजेपी कोटे से मंत्री नितेश नारायण राणे ने इस मुद्दे को राजनीतिक जातीय रंग देने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि मदरसों में उर्दू की जगह मराठी पढ़ाई जानी चाहिए और मुसलमानों को अजान मराठी में देनी चाहिए. राणे ने आगे कहा कि मदसरों में असली शिक्षा तभी होगी, जब वहां मराठी पढ़ाई जाएगी, वरन वहां से केवल बदूंक निकलती है.

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राणे ने कहा, ‘कांग्रेस को मराठी स्कूल चलाने की जरूरत क्यों है? विपक्ष को मुसलमानों से कहना चाहिए कि अजान मराठी में दी जाए. हमारे मंदिरों के बाहर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगते हैं, लेकिन दुकानों के अंदर ‘अब्दुल’ बैठा है.’ अब विपक्ष ने बीजेपी नेता के इन भड़काउ बयानों का विरोध करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इन नेताओं के बिगड़ेल बयानों पर रोक लगाने की मांग की है.

विपक्षी दलों ने जताया विरोध

नितेश राणे के बयान का विरोध करते हुए AIMIM नेता वारिस पठान ने कहा कि बीजेपी नेता धर्म और भाषा के नाम पर नफरत फैला रहे हैं. मुख्यमंत्री को ऐसे नेताओं पर रोक लगानी चाहिए.

कांग्रेस नेता अमीन पटेल ने कहा कि धर्म और भाषा दो अलग चीजें हैं. मदरसों में पहले से ही हिंदी और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है, और कुछ संस्थानों में मराठी भी सिखाई जाती है. वहां अजान अरबी में दी जाती है. वहीं

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सापकाल ने कहा कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जबरदस्ती तीसरी भाषा थोपने के खिलाफ हैं. हम मारपीट नहीं करेंगे, बल्कि मराठी सिखाएंगे.

पहले भी ​दे चुके हैं विवादित बयान

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं. 11 जुलाई को मुंबई में उन्होंने कहा, ”मैं हिंदुओं के वोट से विधायक बना हूं. गोल टोपी और दाढ़ी वालों ने उन्हें वोट नहीं दिया. इसलिए अगर मैं हिंदुओं का समर्थन नहीं करेंगे, तो क्या उर्दू बोलने वालों का समर्थन करूंगा. वे हरे सांप हैं. मुंबई का DNA हिंदू है.’

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