महाराष्ट्र में अगले चार महीनों में होंगे निकाय चुनाव, क्या बदलेंगे राजनीतिक हालात?

मनसे, शिवसेना यूबीटी, एनसीपी, कांग्रेस और एनसीपी-एसपी पर पैनी नजरें होंगी। अब देखते हैं कि निकाय चुनावों के बहाने प्रदेश में किस तरह से बनते हैं नए सियासी समीकरण

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Maharashtra Politics: सर्वोच्च्य न्यायालय ने महाराष्ट्र निकाय चुनाव को लेकर बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य चुनाव आयोग को आगामी चार महीने के भीतर निकाय चुनाव संपन्न कराने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को ये भी निर्देश दिए हैं कि वह चार सप्ताह के भीतर राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करे. महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव पिछले कई सालों से नहीं हुए हैं. इसका मुख्य कारण ओबीसी आरक्षण पर फंसा पेंच था, जिससे से जुड़ी कई लंबित कानूनी प्रक्रियाएं रही हैं, लेकिन अब सब कुछ स्पष्ट हो चला है.

महाराष्ट्र में बीएमसी समेत 29 नगर निगमों, 257 नगर पालिकाओं, 26 जिला परिषदों और 289 पंचायत समितियों के चुनाव लंबित है. महाराष्ट्र में आखिरी बीएमसी चुनाव वर्ष 2017 में हुए थे, जब शिवसेना (अविभाजित) ने 84 और भारतीय जनता पार्टी ने 82 सीटों पर जीत हासिल की थी. उसके बाद शिवसेना विधायकों-सांसदों के एक बड़े हिस्से ने जून 2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी और एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल हो गए. बाद में चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी.

अब चूंकि आगामी 120 दिनों में निकाय चुनावों का होना कंफर्म हो गया है, प्रदेश के राजनीतिक हालात बदलते हुए दिख रहे हैं. हालांकि इसकी शुरूआत भी हो चुकी है. हालांकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने मुंबई नगर निगम (BMC) चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान किया है, लेकिन बाकी दलों ने अपने पत्ते नहीं खोले है. बीजेपी और शिवसेना का एक साथ चुनाव लड़ना तय है, लेकिन सरकार में शामिल अजित पवार की एनसीपी अलग चुनाव लड़ने का मन बना रही है.

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इधर कांग्रेस और विधानसभा चुनाव के बाद गर्त में सिमटी शरद पवार की एनसीपी-एसपी मिलकर चुनाव लड़ सकती हैं. दोनों पार्टियां प्रदेश में एक बार फिर अपने पैर जमाने की कोशिश में हैं। वहीं सबसे अधिक नजर राज ठाकरे पर टिकी हैं. महाराष्ट्र नव निर्माण पार्टी (मनसे) प्रमुख निकाय चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए जोड़ तोड़ की राजनीति का प्रयास कर रहे हैं. निकाय ​चुनावों के बहाने ठाकरे परिवार के फिर से एक होने की सुगबुगाहट भी कुछ दिनों पहले सुनने को मिली थी. राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने अपना खोया वर्चस्व वापिस पाने और राज्य के सुखद भविष्य के लिए मन भेदों के साथ मतभेदों को भुलाने की बात की थी. इससे पहले शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे भी राज ठाकरे के निजी आवास पर देखे जा चुके हैं, जो इस बात को ​इंगित करता है कि राज ठाकरे ने अपने पैर सभी तरफ फैला रखे हैं. विधानसभा चुनावों से पहले राज ठाकरे ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी और कथित तौर पर अपने बेटे अमित ठाकरे के लिए समर्थन मांगा था.

अमित ठाकरे माहिम निर्वाचन क्षेत्र से अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत कर रहे थे लेकिन ऐन वक्त पर एकनाथ शिंदे ने पार्टी उम्मीदवार खड़ा कर उनके सपनों पर पानी फेर दिया. बताया जाता है कि उसी समय से राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच मनमुटाव शुरू हो गया था. शिंदे और राज ठाकरे की मुलाकात इसी मनमुटाव को समाप्त करने की दिशा में एक कदम था. कहा ये भी जा रहा है कि राज ठाकरे अपनी कट्टर मराठी मानुष वाली छवि के साथ जनता के बीच जाएंगे और केवल अपने मजबूत इलाकों में प्रतिनिधि उतार कर अपनी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे.

कोर्ट के आदेशों के बाद इसी साल सितंबर के शुरूआत में महाराष्ट्र में निकाय चुनाव होने हैं. ऐसे में प्रदेश में कई राजनीतिक गठजोड़ और समीकरण एक बार फिर मिलते बिखरते हुए दिखाई देंगे. मनसे, शिवसेना यूबीटी, एनसीपी, कांग्रेस और एनसीपी-एसपी पर पैनी नजरें होंगी। अब देखते हैं कि निकाय चुनावों के बहाने प्रदेश में किस तरह से नए सियासी समीकरण बनते हैं.

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