MadhyaPradesh Politics: मध्यप्रदेश में जैसे जैसे विधानसभा चुनाव परवान चढ़ रहा है, राजनीतिक दलों की बयानबाजी पहले से तीखी होती जा रही है. सियासत की चुनावी पिच पर महारथी उतर चुके हैं और फिल्मी स्टोरी भी शुरू हो चुकी है. इनमें सबसे अच्छी और लोगों की जुबान पर चढ़ चुकी राजनीति की शोले सबसे हिट स्टोरी है. फिल्म डायरेक्ट रमेश सिप्पी की आॅल टाइम हिट फिल्म के जय-वीरू के किरदारों की तरह मप्र की फिल्म में भी जय, वीरू, गब्बर और ठाकुर सभी तो मौजूद है तो फिल्म का हिट होना भी लाजमी है. बीजेपी और कांग्रेस के ये किरदार इशारों इशारों में बहुत कुछ कह रहे हैं. बस जरूरत है तो इन्हें समझने भर की.
जय-वीरू की जोड़ी तैयार, बस गब्बर का है इंतजार
दरअसल इस स्टोरी की शुरूआत कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने की थी. उन्होंने कहा था कि जय-वीरू की जोड़ी को तोड़ने की गब्बर की कोशिश नाकाम रही थी. ऐसे ही मध्य प्रदेश में बीजेपी की कोशिश भी इस जोड़ी को तोड़ने में नाकाम रहने वाली है. सुरजेवाला का इशारा दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की ओर था. दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से मनमुटाव की खबरे आ रही थी. इस पर सीएम शिवराज सिंह ने तंज कसते हुए कहा था, ‘फिल्मी जय-वीरू और मध्य प्रदेश में जय-वीरू की जोड़ी में एक ही समानता है..दोनों चोरी की फिराक में रहते हैं कि जनता का माल कैसे लूटे और फुर्र हो जाएं. वैसे एक समानता दोनों में नहीं है, वो है कि फिल्म में दोनों एक दूसरे से जी जान से प्यार करते थे और यहां तो कपड़े फाड़ने में लगे हैं.’ शिवराज सिंह ने फिल्मी स्टाइल में कहा, ‘बाबू मोशाय..रील और रियल लाइफ में यही अंतर है….
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जय-वीरू की जोड़ी ने ही किया गब्बर का हिसाब
अब शिवराज सिंह ने कुछ कह दिया तो भला हमारे कमलनाथ कैसे चुप रह सकते हैं. उन्होंने पलटवार में शिवराज सिंह को ही गब्बर कह दिया. कमलनाथ बोले कि बता दिया. जय-वीरू की जोड़ी ने ही गब्बर का हिसाब किया था. प्रदेश 18 साल से अत्याचारों से त्रस्त है. अंत का समय आ गया है..बाकी आप सभी समझदार हैं.
कैलाश खुद को बता चुके हैं ‘ठाकुर’
कैलाश विजयवर्गीय नंबर 2011 में खुद को इंदौर में शोले का ठाकुर बता चुके हैं. तब विजयवर्गीय ने कहा था, ‘इंदौर के मामले में मेरे हाथ बंधे हुए हैं. मेरा हाल शोले के ठाकुर जैसा है.’
मध्यप्रदेश के चुनावी समर में सीएम शिवराज सिंह, कमलनाथ और दिग्गी राजा के बीच कहा सुनी और वार पलटवार आम है लेकिन फिल्मी स्टाइल में एक दूसरे पर आघात को जनता भी चटकारे लेकर सुन व समझ रही है. तीनों नेताओं के बीच की ये फिल्मी दुनिया, जय-वीरू की जोड़ी और गब्बर का किरदार वाकयी में मजेदार है. अब देखना ये रोचक रहने वाला है कि मध्य प्रदेश की जय-वीरू की जोड़ी फिल्म शोले की तरह गब्बर पर भारी पड़ती है या फिर 21वीं सदी का सियासी गब्बर मप्र की जय-वीरू की जोड़ी की इस बार ठिकाने लगा पाता है या नहीं. इसके लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. 3 दिसंबर तक फिल्म का क्लाइमेक्स सभी के सामने चुनावी परिणाम के रूप में सामने आने ही वाला है.