MadhyaPradesh Election: भारतीय जनता पार्टी ने अपनी छठी सूची जारी करने के साथ ही मध्यप्रदेश की सभ 230 सीटों पर विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. अंतिम सूची में विदिशा और गुना सीटों के प्रत्याशियों के नाम हैं. कांग्रेस अपनी सूची पहले ही जारी कर चुकी है. अन्य छोटी पार्टियों के नामों की घोषणा चल रही है. हालांकि मध्यप्रदेश में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होना है. ऐसे में दोनों पार्टियों की ओर से बगावती सुर भी उभर रहे हैं. कांग्रेस ने अपने 7 टिकट फिर से बदले हैं, वहीं बीजेपी की ओर से भी ऐसा किए जाने की संभावना तीव्र है. प्रदेश की 43 सीटों पर निर्णायक मुकाबला है और यहां बगावत भी अधिक है. ऐसे में दोनों पार्टियों के बागियों के लिए बसपा और आम आदमी पार्टी ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं. इन बागियों का बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही नुकसान पहुंचाना तय माना जा रहा है.
बीजेपी में बगावत हावी, बदल सकते हैं कुछ टिकट
मालवा से लेकर चंबल तक ‘महाराज’ और ‘नाराज भाजपा’ की लड़ाई बगावत में बदल चुकी है. इंदौर से उज्जैन के रास्ते में धार जिले का बदनावर कस्बा आता है. यहां केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के सामने भंवर सिंह शेखावत हैं. शेखावत टिकट वितरण से पहले पार्टी से नाराज चल रहे थे और कह चुके थे कि चुनाव हर हाल में लड़ेंगे. 2013 के विधानसभा चुनाव में शेखावत बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर दत्तीगांव को हराकर विधायक बने थे. 2018 में दत्तीगांव ने शेखावत को हराया.
देपालपुर में हिंदूवादी नेता राजेंद्र चौधरी निर्दलीय के तौर पर डटे रहते हैं तो भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी होगी. इसी तरह आलीराजपुर के जोबट में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके माधो सिंह डाबर की बगावत नुकसान पहुंचाएगी. बुरहानपुर में पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे के बागी तेवर पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस के लिए चुनौती बन सकते है.
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इधर, उज्जैन के नागदा में टिकट कटने से नाराज एक आरे पूर्व विधायक दिलीप सिंह शेखावत नाराज हैं तो वहीं पूर्व मंत्री पारस जैन भी अचानक टिकट काटे जाने से नाराज चल रहे हैं. दोनों का एक ही कहना है कि कम से कम पहले उन्हें तो बता दिया जाता कि टिकट नहीं दिया जा रहा है. कैलाश विजयवर्गीय को बागी नेताओं को शांत करने की जिम्मेदारी दी गयी है. विजयवर्गीय ने दिलीप सिंह शेखावत को तो अब मना लिया है लेकिन पूर्व मंत्री पारस जैन अभी तक नाराज हैं. ऐसे ही कुछ और भी वरिष्ठ नेतागण हैं जो टिकट कटने से नाराज हैं. ऐसे में आगामी सूचियों में कुछ एक नाम बदले जा सकते हैं.
कांग्रेस ने बगावत के सामने घुटने टेके, 7 टिकट बदले
एक ओर बीजेपी जहां बगावत कम करने की प्रत्याशी बदलने की नहीं बल्कि समझाकर शांत कराने की रणनीति पर जोर दे रही है, वहीं कांग्रेस ने नेताओं के बागावती सुर को कम करने के लिए प्रत्याशियों के सामने टेक रही है. यही वजह रही कि कांग्रेस ने अपनी पिछली दो सूचियों में 7 नामों को फिर से बदला है और पुराने उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा है. ग्वालियर-चंबल संभाग में सिंधिया समर्थक मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव के खिलाफ कांग्रेस ने यहां सिंधिया के धुर विरोधी रहे स्व.राव देशराज सिंह यादव के बेटे यादवेंद्र को टिकट दिया है. पिछले चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बावजूद कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह शेरा चुनाव लड़े थे और जीत भी गए. इस बार कांग्रेस ने गलती नहीं दोहराई है. शेरा कांग्रेस उम्मीदवार हैं.
बगावत की आग को ठंडा करने के लिए कांग्रेस ने 7 टिकट जरूर बदल दिए लेकिन जिनके टिकट बदले, अब वे पार्टी को आंख दिखा रहे हैं. महू में कांग्रेस को पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार की बगावत से नुकसान उठाना पड़ सकता है.
उज्जैन संभाग में कांग्रेस के सामने अजीब स्थिति है. कांग्रेस ने रतलाम जिले की जावरा सीट पर बगावत को शांत करने के लिए हिम्मत सिंह श्रीमाल से टिकट वापस लिया तो कांग्रेस के कई पदाधिकारियों ने इस्तीफे दे दिए. ऐसी ही स्थिति उज्जैन जिले की बड़नगर सीट पर है, जहां टिकट वापस लेने से नाराज राजेंद्र सिंह सोलंकी ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. भोपाल में बैरसिया और हुजूर में कांग्रेस की बगावत बरकरार रही तो पार्टी को नुकसान तय है. यदि इन बागियों के तेवर ऐसे ही रहे तो इस बात की चर्चा हो रही है कि कहीं पार्टी का दांव उल्टा न पड़ जाए.
बीजेपी-कांग्रेस के बागियों को बसपा-आप का ‘हम हैं ना’ ऑफर
भाजपा और कांग्रेस दोनों के बागियों के लिए बसपा के साथ आप आदमी पार्टी ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं. पिछली दोपहर सुमावली में कुलदीप सिकरवार से कांग्रेस ने टिकट वापस लिया तो शाम को बसपा ने उन्हें टिकट देकर पार्टी उम्मीदवार घोषित कर दिया. भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री बिहारी सोलंकी श्योपुर से और बीजेपी के पूर्व विधायक रसाल सिंह लहार से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह पर भरोसा नहीं किया तो वे बसपा के पास पहुंच गए और सतना के नागौद का टिकट ले आए. इसी तरह, रिटायर्ड आईपीएस रुस्तम सिंह शिवराज सरकार में मंत्री रहे हैं. मुरैना से उनके बेटे राकेश सिंह की दावेदारी थी. भाजपा ने सिंधिया खेमे के रघुराज कंसाना को टिकट दे दिया. नाराज रुस्तम अब बसपा के स्टार प्रचारक होंगे और राकेश बसपा प्रत्याशी. आम आदमी पार्टी (आप) में भी ऐसा ही ऑफर है. भाजपा के पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे सुधीर यादव सागर के बंडा से दावेदारी कर रहे थे. टिकट नहीं मिला तो आप ने मौका दे दिया.
उज्जैन उत्तर का उदाहरण मजेदार है- कांग्रेस ने माया त्रिवेदी को टिकट दिया तो नाराज विक्की यादव ने ऐसी पलटी मारी कि आम आदमी पार्टी भी चौंक गई. विक्की यादव गुस्से में आप के पास चले गए. तैयार बैठी आप ने उन्हें हाथोंहाथ टिकट भी दे दिया. इस बीच कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने बात की और विक्की कांग्रेस में लौट आए हैं.