Politalks.News/UttarPradesh. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी अपनी रणनीति के तहत काम कर रहे है. आगामी चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. आगामी चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच जहां मुख्य भिंड़त मानी जा रही है तो वहीं कांग्रेस के साथ साथ अब बसपा भी अपनी चुनावी जमीन बचाने में जुटी है. हालांकि कांग्रेस के साथ साथ अब बसपा भी एक अलग ही रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है. कांग्रेस जहां इस चुनाव को महिलाओं पर केंद्रित कर के लड़ना चाहती है तो वहीं बसपा ब्राह्मण कार्ड खेलकर सत्ता हासिल करने की तैयारी कर रही है तो वहीं दलित वोटों पर मजबूत पकड़ बनाए रखने का भी प्लान बना रही है. ब्राह्मणों को रिझाने के लिए मायावती ने सतीश चंद्र मिश्रा को बड़ी जिम्मेदारी दी है. साथ ही आगामी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा ब्राह्मण नेताओं को अपने पक्ष में लाने को लेकर रणनीति भी बनाई है.
बसपा आगामी चुनाव में ज्यादा ज्यादा सीट जीतने की जुगत में लगी है. इसलिए आज लखनऊ स्थित पार्टी कार्यलय पर आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी पदाधिकारियों की एक बैठक भी बुलाई गई. इस बैठक के बाद एक प्रेसवार्ता कर बसपा प्रमुख मायावती ने आगामी चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति से पत्रकारों को अवगत कराया. पत्रकार वार्ता के दौरान मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि अब सब एकजुट होकर आगामी चुनाव की तैयारी में जुटें. बसपा 2007 के चुनाव की तरह 2022 में भी परिणाम देगी. मायावती ने कहा कि ‘हमने 2007 से 2012 के दौरान सत्ता में रहते हुए जो विकास के कार्य किए. उनका प्रचार करके ही हम जनता से समर्थन मांगेंगे.’
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पत्रकार वार्ता के दौरान मायावती ने कहा कि ‘जैसा की मैंने कांशीराम की पुण्यतिथि पर कहा था कि चुनाव से पहले सभी विधानसभा क्षेत्रों में बूथ कमेटियों की समीक्षा बैठक करेंगे. तो उसी के मद्देनजर आज सभी विधानसभा अध्यक्षों को बुलाया गया है.’ मायावती ने आगे कहा कि ‘यूपी विधानसभा चुनाव में सुरक्षित सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए हमारी पार्टी ने चंद्र मिश्रा को बड़ी जिम्मेदारी दी है. सुरक्षित सीटों पर सतीश मिश्रा को यह जिम्मेदारी दी गई है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा ब्राह्मण वोटरों को पार्टी से जोड़ा जाए. बैठक के दौरान मायावती ने सुरक्षित सीटों पर जीत का परचम फहराने के लिए अपने प्रभारियों को जीत का मंत्र दिया.
सपा और बीजेपी पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि ‘जो काम हमारी सरकार के दौरान किये गए थे उन विकास कार्यों को सपा और बीजेपी अपना बताती रही है. ऐसे में लोगों तक यह जानकारी पहुंचाना बहुत जरूरी है, जिसके लिए एक फोल्डर तैयार किया जायेगा. इस फोल्डर में बसपा सरकार में किये गए विकास कार्यों के कामों का लेखाजोखा होगा, जिन्हें घर-घर और गांव-गांव पहुंचाया जाएगा.’ मायावती ने कहा कि ‘हमारी पार्टी कहने से ज्यादा काम करने में विश्वास रखती है. इसीलिए बसपा बिना किसी घोषणा पत्र के चुनाव मैदान में जाती है और इस बार भी कोई घोषणा पत्र जारी नहीं होगा.’
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किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून तो वापस ले लिए हैं लेकिन सरकार को किसान संगठनों के साथ बैठ कर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए. इससे किसान खुशी-खुशी अपने घर वापस जाकर अपने काम में लग जाएं. केंद्र सरकार को इस मामले को ज़्यादा नहीं लटकाना चाहिए. आपको बता दें की मायावती अब धीरे धीरे प्रदेश की राजनीति में एक्टिव नजर आ रही है. मायावती ये अच्छी तरह जानती है कि अगर इस बार उनकी पार्टी अच्छा नहीं कर पाती तो आगामी वर्षों में उनकी राजनीति पर इसका सीधा असर पड़ेगा. हालांकि अन्य पार्टियां जहां छोटे छोटे दलों से गठबंधन को तैयार है तो वहीं कांग्रेस के साथ साथ मायावती ने भी आगामी चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है. अब देखना यह होगा कि इन दोनों दलों की यह रणनीति कितनी कारगर साबित होगी.