Politalks.News. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उत्तर प्रदेश पूर्वाचंल से भाजपा के दिग्गज नेता मनोज सिन्हा जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल बना दिए जाएंगे. लेकिन राजनीति में सबकुछ संभव है. मनोज सिन्हा को उप राज्यपाल बनाए जाने की खबर को दो नजरिए से देखा जा रहा है. मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में पहले नंबर के नेता थे. भाजपा को यूपी में स्पष्ट बहुमत मिला. लेकिन जब दिल्ली से मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हुई तो वह नाम मनोज सिन्हा का नहीं बल्कि योगी आदित्यनाथ का था.
अब कश्मीर में धारा 370 हटाने के ठीक एक साल बाद केंद्र सरकार ने एक राजनीतिक व्यक्ति को उप राज्यपाल बनाया है. मनोज सिन्हा अनुभवी है. चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके राजनीतिक अनुभवों का लाभ जम्मू कश्मीर में लेना चाहते हैं. केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने की तैयारी कर रही है. इससे पहले वहां परिसीमन भी होना है. दोनों ही काम बहुत ही चुनौती पूर्ण है. जम्मे कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों को इसके लिए तैयार करना, इस समय मोदी सरकार के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और चुनौती भरा काम है.
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मनोज सिन्हा को कश्मीर भेजने के दो नजरिये
कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से ही वहां के राजनीतिक दलों के लगभग सभी बड़े नेता या तो नजर बंद चल रहे हैं, या फिर सरकार ने उनको इस शर्त पर नजर बंदी से मुक्ति दी है कि वो अलगाववाद को बढ़ाने का कोई काम नहीं करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मनोज सिन्हा पर पूरा भरोसा है कि वो यह काम कर सकेंगे. यह तो है मनोज सिन्हा को लेकर खबर का पहला नजरिया.
दूसरे नजरिए से माना जा रहा है कि मनोज सिन्हा को उप राज्यपाल बनाने के साथ ही उनके सियासी सफर का अंत हो गया है. आम तौर पर माना जाता है कि जिसे भी राज्यपाल और उप राज्यपाल बनाया जाता है, उसका स्वत ही राजनीति से सन्यास हो जाता है. मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश के वो दिग्गज नेता थे, जो मुख्यमंत्री के नंबर 1 दावेदार थे. लेकिन नहीं बन सके. मनोज सिन्हा देखते रह गए और योगीजी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराज गए.
कश्मीर में चुनावी माहौल बनाने की है कोशिश
मनोज सिन्हा को दूरगामी और महत्वपूर्ण काम के लिए जम्मू कश्मीर भेजा गया है. यह काम कोई आईएएस अधिकारी के लिए संभव नहीं था. कश्मीर में चुनाव के लिए माहौल बनाने का काम कोई राजनीतिक व्यक्ति ही कर सकता है. वो भी ऐसे हालातों में जब कश्मीर से आतंकवाद पूरी तरह सामप्त नहीं हुआ है. पाकिस्तान मुस्लिम देशों के साथ मिलकर दुनिया के मंचो पर कश्मीर की आजादी का मामला उठाने का प्रयास कर रहा है.
ऐसे समय में जम्मू कश्मीर में सियासी माहौल तैयार करके वहां चुनाव कराना और लोकतंत्र से कश्मीर के लोगों को जोड़ना, उनमें भारत सरकार के प्रति भरोसा पैदा करना. बहुत आसान काम नहीं है. अब देखना यह है कि मनोज सिन्हा को उप राज्यपाल के रूप में मिली इस चुनौती पर वो कैसे विजय पाते हैं.