Politalks.News/Rajasthan. मंत्रिमंडल पुनर्गठन और विभागों के आवंटन के बाद नवनियुक्त मंत्रियों ने सीटें संभाल ली हैं. इसी कड़ी में प्रदेश के नए जल संसाधन और इंदिरा गांधी नहर परियोजना मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय ने ‘गद्दी’ सम्भालते ही बड़ा बयान दिया है. मालवीय ने माही डैम से गुजरात जाने वाला नर्मदा नदी का पानी रोकने की घोषणा कर दी है. मालवीय ने कहा कि, ‘अब एक बूंद भी नर्मदा का पानी गुजरात नहीं जाने दिया जाएगा. गुजरात जाने वाले 40 टीएमसी पानी रोककर राजस्थान को ही दिया जाएगा. इससे हमारे वागड़ के जिलों डूंगरपुर-बांसवाड़़ा के किसानों को बड़ा फायदा होगा.’ आपको बता दें कि 1966 में राजस्थान और गुजरात के बीच समझौता हुआ था. मालवीय के अनुसार जिसकी शर्तें पूरी हो चुकी है. अब माही के पानी पर राजस्थान का हक है. सियासी सूत्रों की मानें तो पंजाब के बाद अब एक और जल समझौते पर बवाल होना तय माना जा रहा है. महेन्द्रजीत सिंह मालवीय वागड़ की राजनीति से आते हैं और कुर्सी संभालते ही उन्होंने वागड़ की मांग को पूरा करने का ऐलान कर दिया है.
गुजरात को नहीं देंगे एक बूंद पानी- मालवीय
मंत्री महेन्द्र जीत सिंह मालवीय ने सचिवालय में विधिवत गणेश पूजा अर्चना कर कैबिनेट मंत्री का पद सम्भाला. इस दौरान मीडिया से रूबरू होकर मालवीय ने कहा कि,’ मैंने पदभार ग्रहण करने से पहले ही विभाग के अधिकारियों की बैठक ली है और कहा कि हम माही डैम से गुजरात जाने वाला 40 टीएमसी पानी अब रोकेंगे. क्योंकि यह समझौता दशकों पहले से किया हुआ है कि जब नर्मदा नदी का पानी गुजरात के खेड़ा जिले में चला जाएगा, तो माही का पानी अपने आप गुजरात सरकार छोड़ देगी. नर्मदा का पानी खेड़ा में सालों पहले पहुंच चुका है. पुराने समय के समझौते के मुताबिक सरकार राजस्थान में ही वह 40 टीएमसी पानी देगी. इससे हमारे वागड़ के जिलों डूंगरपुर-बांसवाड़़ा के किसानों को बड़ा फायदा होगा.
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‘पहले वाले मंत्री और सरकार ने क्या किया मुझे नहीं पता, मैं अपनी जिम्मेदारी करूंगा पूरी’
जल संसाधन मंत्री मालवीय ने कहा कि, ‘गुजरात से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह आते हैं, लेकिन यह डिस्कशन का लम्बा सब्जेक्ट होगा कि पानी अब तक क्यों नहीं रोका गया. केन्द्र में उनके सत्ता में आने के दशकों पहले से नर्मदा का पानी गुजरात जा रहा है’. जब पत्रकारों ने यह पूछा कि प्रदेश में आपकी कांग्रेस सरकार लम्बे समय से रही है और मौजूदा सरकार को भी 3 साल हो रहे हैं, अब तक गुजरात जाने वाला पानी क्यों नहीं रोका गया. इस पर मालवीय ने जवाब दिया कि, ‘पहले वाले मंत्री और सरकार ने क्या किया यह मेरा सब्जेक्ट नहीं है. मैं तो अपनी जिम्मेदारी पूरी कर सकता हूं’. मालवीय ने आंजना का नाम लिए बिना ये बयान दिया.
राजस्थान में ही होगा रोके गए पानी का इस्तेमाल
आपको बता दें कि राजस्थान और गुजरात सरकार के बीच 10 जनवरी 1966 को एक समझौता हुआ था, जिसमें गुजरात सरकार ने माही बांध के निर्माण के लिए 55 फीसदी लागत का पैसा दिया. जिसके बदले गुजरात को 40 टीएमसी पानी देने पर सहमति हुई. साथ ही समझौते की शर्त थी कि जब नर्मदा का पानी गुजरात के खेड़ा जिले में पहुंच जाएगा, तब गुजरात राजस्थान के माही बांध का पानी काम में नहीं लेगा. उस पानी का इस्तेमाल राजस्थान में ही होगा. सालों पहले नर्मदा का पानी खेड़ा तक पहुंच चुका है, लेकिन इसके बावजूद उस समझौते की पालना नहीं हो रही है. गुजरात अब तक माही के पानी पर अपना हक जताता आ रहा है.
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1972 में ग्रामीणों के साथ 300 इंजीनियर्स ने शुरू किया था निर्माण, 932 करोड़ खर्च
राजस्थान के सबसे खूबसूरत माही बांध को बने 38 साल पूरे हो चुके हैं. यह बांध इस साल अपने अब तक के 37 साल के इतिहास में 23वीं बार छलका था. मानसून के दौरान हुई बारिश के बाद माही के 16 दरवाजों को खोल दिया गया था. माही का पानी राजस्थान और गुजरात होता हुआ अरब सागर में जाकर मिलता है. माही बांध में मध्यप्रदेश से भी पानी आता है. इस बांध की भराव क्षमता 281.5 मीटर है