Politalks.News/FarmersProtest. केंद्र सरकार भले ही एक साल से किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर चुप्पी साधे हुए है. लेकिन मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक लगातार किसानों के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद करते नजर आ रहे हैं. बीते रोज रविवार को जयपुर में तेजा फाउंडेशन के कार्यक्रम में मोदी सरकार के खिलाफ खुलकर सामने आए सत्यपाल मलिक के बयान के बाद अब प्रदेश कांग्रेस के नेता भी खुलकर मलिक के समर्थन में आ गए हैं. गहलोत सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सत्यपाल मलिक के बयान को मौजूदा किसान की आवाज करार दिया है, तो वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राठौर ने मलिक की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व और मेघालय के वर्तमान राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा जयपुर में दिए बयान के बाद प्रदेश कांग्रेस के दिग्गजों को बीजेपी पर निशाना साधने का मौका मिल गया है. सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने सत्यपाल मलिक के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि ‘मुझे खुशी है कि संवैधानिक पद पर होने के बावजूद भी सत्यपाल मलिक का जमीर जिंदा है. संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति इस तरह की अगर कोई बात करता है तो उसके बहुत बड़े मायने होते हैं.’ जोशी ने आगे कहा कि ‘सत्यपाल मलिक ने अपने पद को दांव पर लगाकर ऐसी बातें कही हैं. मैं सत्यपाल मलिक की बात का स्वागत करते हुए उन्हें बधाई देता हूं कि उन्होंने अपने जमीर को मरने नहीं दिया. यह सच्चाई है कि एक भी किसान के प्रति पीएम और बीजेपी के किसी नेता ने संवेदना नहीं जताई और यह अमानवीय कृत्य है. केंद्र को अब भी सबक लेना चाहिए. किसानों के साथ न्याय करें. किसानों से बात करके किसान हक में फैसले करने चाहिएं.’
जोशी के साथ ही राजस्थान सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि, ‘मैं मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को बधाई देना चाहता हूं, उनके बयान से साफ है कि आज भी सच्चाई की आवाज जिंदा है. जो गवर्नर आगे बढ़कर सच्चाई स्वीकार करे, सच्चाई की आवाज को बोले, उनका सम्मान होना चाहिए. मलिक ने सही कहा कि देश का किसान मर रहा है और केंद्र सरकार घमंड में है’. खाचरियावास ने आगे कहा कि ‘सरकारें, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बदलते रहते हैं, लेकिन हमारी सोच में मानवता खत्म नहीं होनी चाहिए. मलिक ने देश के किसान की आवाज को बुलंद किया है. मलिक की आवाज सुनकर केंद्र समझ ले. अब उनके बनाए राज्यपाल भी किसानों के समर्थन में आ गए हैं. केंद्र सरकार घमंड छोड़कर किसानों की आवाज सुनकर काले कानून वापस ले.’
वहीं लालकिले पर किसानों द्वारा लहराए गए धर्म विशेष एवं तिरंगे का जिक्र करते हुए खाचरियावास ने कहा कि ‘लालकिले पर जोश में आकर नौजवानों ने तिरंगा फहरा दिया और पास में एक धर्म का झंडा लगा दिया तो उस समय बीजेपी ने पूरे देश में कितना बड़ा माहौल बना दिया. केंद्र सरकार ने किसान के मुद्दे को तो कुचल दिया और झूठी बात का ऐसे प्रचार किया जैसे उन्होंने कोई गुनाह कर दिया हो. आप किसी की आवाज नहीं सुनोगे तो ऐसे रिएक्शन होते हैं, युवा तो ऐसा करते ही हैं. मैं खुद आंदोलनकारी रहा हूं, यूथ के मूवमेंट किए हैं.’
तो वहीं मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान पर राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष एवं दिग्गज बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने आपत्ति जताई है. राठौड़ ने कहा कि ‘सत्यपाल मलिक एक संवैधानिक पद पर है और राष्ट्रपति के प्रतिनिधि हैं. इस पद पर रहते हुए उन्हें केंद्र पर यह टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी. उन्होंने केंद्र पर बेजा टिप्पणी की है.’
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आखिर क्या कहा था सत्यपाल मलिक ने?
दरअसल, रविवार को जयपुर में तेजा फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने खुलकर किसान आंदोलन के पक्ष में बयान दिया. साथ ही बीते 1 साल में दिल्ली की सीमाओं पर शहीद हुए किसानों की आवाज उठाते हुए मलिक ने कहा कि ‘किसान आंदोलन में अब तक 600 लोग शहीद हो चुके हैं, लेकिन किसानों की शहादत पर अब तक कोई नेता कुछ नहीं बोला, जबकि एक कुतिया भी अगर मरती है तो दिल्ली के नेताओं का शोक संदेश आता है. मलिक ने आगे महाराष्ट्र का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि अभी हाल ही में महाराष्ट्र के अस्पताल में 5-7 लोग आग से मरे, उनकी मौत पर दिल्ली से शोक संदेश गए लेकिन किसानों की मौत पर हमारे वर्ग तक के लोग संसद में शोक प्रस्ताव के लिए नहीं बोले.’
इसके साथ ही 26 जनवरी पर लालकिले पर लहराए गए झंडे को लेकर मचे बवाल का जिक्र करते हुए मलिक ने कहा कि ‘लालकिले पर झंडा फहराकर किसानों ने कोई गुनाह नहीं किया. लालकिले पर झंडा फहराना किसानों का अधिकार है.’ मलिक ने आगे कहा कि ‘अख़बार वाले मीडिया वाले कहते हैं अगर मैं किसानों के मुद्दे पर कुछ कहूंगा तो विवाद हो जायेगा. इसके बाद मैं दो हफ्ते तक इंतजार करता रहता हूँ कि अब दिल्ली से कोई टेलीफोन आएगा.’ मलिक ने आगे कहा कि ‘गवर्नर को हटाया नहीं जा सकता. लेकिन मेरे जो मेरे शुभचिंतक हैं वो ये सोचते हैं ये मैं कुछ बोलू और मुझे हटा दिया जाए. लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि क्या आपके पिता जी ने मुझे बनाया था गवर्नर? मैं जानता हूँ कि मुझे दिल्ली के जिन 2-3 बड़े लोगों ने गवर्नर बनाया था मैं उनकी इच्छा के खिलाफ बोल रहा हूं, लेकिन इसे लेकर जिस दिन वो कहेंगे कि हमें अब दिक्कत हो रही है पद छोड़ दो तो उस वक़्त में अपना पद छोड़ने में एक मिनट भी नहीं लगाऊंगा.’