केन्द्रीय चुनाव आयोग की हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा उपचुनाव की घोषणा के साथ ही राजस्थान की खींवसर और मंडावा सीट पर होने वाले उप-चुनाव के लिए भी बिगुल बज गया है. अन्य राज्यों के साथ ही प्रदेश की दोनों विधानसभा सीटों के लिए भी 21 अक्टूबर को ही उप-चुनाव होगा. प्रदेश में होने वाले निकाय और पंचायत चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के लिए ही खींवसर और मंडावा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है. इन उपचुनाव में जितने वाली पार्टी को उसके बाद होने वाले निकाय व पंचायत चुनावों में इसका फायदा मिलना तय है.
खींवसर (Khinwsar) और मंडावा (Mandawa) दोनों ही जाट बाहुल्य (Jat majority) सीटें हैं. पिछले चुनावों का इतिहास देखें तो मंडावा में पिछले दो विधानसभा चुनाव से बीजेपी का पलड़ा भारी है तो खींवसर में हनुमान बेनीवाल का एक छत्र राज है, बेनिवाल ने यहां से एक बार भाजपा एक बार निर्दलीय और एक बार रालोपा के बैनर पर लगातार तीन बार जीत दर्ज की है. इसके साथ ही दोनों ही सीटों पर विधानसभा के बाद हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा है. हांलाकि प्रदेश में अपनी सरकार होने का फायदा कांग्रेस को जरूर मिल सकता है. जिसकी सरकार होती है उस पार्टी के उम्मीदवार का मनोबल थोड़ा बड़ा हुआ रहता ही है साथ ही उसके पास सरकारी मशीनरी का सपोर्ट भी रहता है.
मंडावा विधानसभा:
किसी जमाने में कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली मंडावा विधानसभा सीट (Mandawa Assembly) पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रामनारायण चौधरी ने लगातार जीत दर्ज की. उनके निधन के बाद उनकी बेटी रीटा सिंह ने कांग्रेस की जीत का क्रम जारी रखा. लेकिन 2013 में कांग्रेस ने रीटा सिंह का टिकट काटकर पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान को मैदान में उतारा और उनकी जमानत जब्त हो गई. हालांकि रीटा सिंह भी निर्दलीय चुनाव में खड़ी हुई थीं लेकिन बीजेपी के नरेंद्र खींचड़ ने दोनों को जबरदस्त मात दी. इसके बाद कांग्रेस ने फिर से 2018 में रीटा सिंह को टिकट दिया लेकिन इस बार भी भाजपा के नरेंद्र खींचड़ यहां से जीत दर्ज की. लगातार दो विधानसभा चुनाव जीतने वाले नरेंद्र खींचड़ 2019 के आम चुनावों में झुंझुनू से सांसद चुनकर लोकसभा पहुंच गए.
कांग्रेस में मंडावा के लिए दावेदारों की फेहरिस्त लम्बी है. कांग्रेस के दावेदारों में पूर्व विधायक रीटा चौधरी, पूर्व पीसीसी चीफ डॉ चंद्रभान, प्यारेलाल डूकिया, सुशीला सीगड़ा, राजेंद्र चौधरी और शाबीर अली प्रमुख हैं. लेकिन पिछले दो चुनाव को छोड़ दें तो यहां से रामनारायण चौधरी और बाद में रीटा चौधरी ने कांग्रेस को जीत दिलाई है इसलिए उनको होने वाले उपचुनाव में टिकट मिलना तय माना जा रहा है.
खींवसर विधानसभा:
पिछले तीन विधानसभा चुनाव में लगातार जीत दर्ज कर हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) इस सीट पर हैट्रिक पूरी कर चुके हैं. 2008 के विधानसभा चुनाव में बेनीवाल ने यहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और बसपा को हराया. 2013 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने निर्दलीय जीत दर्ज की. 2018 के चुनाव में बेनीवाल ने अपनी ही पार्टी रालोपा के बैनर पर कांग्रेस के सवाई सिंह को 16 हजार वोटों से मात दी और बड़ी जीत दर्ज की. इसके बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन कर कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को हरा हनुमान बेनीवाल अब नागौर से MP चुनकर लोकसभा पहुंच चुके हैं.
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कांग्रेस में खींवसर विधानसभा सीट (Khinwsar Assembly) से पूर्व सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा, कुचेरा नगरपालिका चैयरमेन तेजपाल मिर्धा एवं पूर्व चैयरमेन महेंद्र चौधरी, पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा और रिटायर्ड आईपीएस सवाई सिंह चौधरी को टिकट का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है. हालांकि इस सीट से पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा (Harendra Mirdha) को टिकट की हरी झंडी मिलने की बात की जा रही है. दूसरी और माना जा रहा है कि विधानसभा उपचुनाव में भी बेनीवाल की आरएलपी और भाजपा गठबंधन करने जा रही है, ऐसे में हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल को टिकट मिलने की संभावना प्रबल है.
बहरहाल, प्रदेश में झुंझुनू की मंडावा और नागौर की खींवसर विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं, क्योंकि प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में भी इन सीटों पर नहीं जीत पाई थी. अब 24 अक्टूबर को आने वाले नतीजों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब रहती है या प्रदेश में सत्तासीन कांग्रेस भाजपा के विजय रथ को रोक पाती है.