chirag paswan
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भारतीय जनता पार्टी के हनुमान यानी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) प्रमुख चिराग पासवान ने लोकसभा में हंगामा कर ​रहे विपक्ष को करारा जवाब दिया है। सदन के बाहर मीडिया के समक्ष आकर चिराग पासवान ने विपक्ष को आड़े हाथ लिया। चिराग ने कहा कि आप डेढ़ सौ साल पुरानी पार्टी है लेकिन हंगामे की परंपरा को स्थापित कर रहे हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। चिराग ने कहा कि विपक्ष के नेता ने सही गलत जो भी बातें की सबका जवाब दिया, लेकिन विपक्ष सुनने को तैयार नहीं. सच कहें तो प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष के नेता को पानी पिलाने का काम किया है.

आप अपनी मर्यादा नहीं समझ सके

राहुल गांधी की सदन में ‘हिंदू’ टिप्पणी पर चिराग ने कहा कि जब आप ऐसी हरकत करेंगे तो आपको ऐसे ही संबोधित किया जाएगा. बाल बुद्धि कहकर प्रधानमंत्री जी ने संबोधित किया. आप विपक्ष के नेता होने के बावजूद अभी तक अपनी मर्यादा को नहीं समझे. यह काम विपक्ष के नेता को शोभा नहीं देता है. आप जिम्मेदारी वाले पद पर बैठे हैं उसकी गरिमा को समझिए.” एनडीए नेता ने आगे कहा कि उनके आचरण की भर्त्सना की गई है और होनी भी चाहिए. ऐसी परंपरा को हम आने वाली पीढ़ी को सौंपकर नहीं जा सकते हैं.

विपक्ष का हंगामा शर्मनाक

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम नरेंद्र मोदी की चर्चा के दौरान विपक्ष के हंगामे पर चिराग ने आपत्ति जताई। चिराग ने कहा कि जिस तरह विपक्ष हंगामा कर रहा था, वह बहुत ही शर्मनाक था. उन्‍होंने कांग्रेस को लेकर कहा कि वह डेढ़ सौ साल पुरानी पार्टी है, वह किस तरह की परंपरा स्थापित कर रहे हैं. जब आपके पास कहने को कोई तर्क नहीं होता है, तभी आप इस तरह हंगामा करते हैं.

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चिराग ने आगे कहा कि मणिपुर सहित कई मुद्दों पर विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया. इसे लेकर चिराग पासवान ने कहा कि मणिपुर को लेकर अगर इतनी ही चिंता थी तो आप मणिपुर के सांसद को बोलने का मौका देते. आप उनको समय देते समय तो आपके पास था, लेकिन आपने नहीं दिया. एक घंटे से ज्यादा का समय विपक्ष को दिया गया. विपक्ष की प्राथमिकता में ही मणिपुर नहीं है.

पीएम मोदी ने सभी को पानी पिलाया

लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने पक्ष-विपक्ष के सदन में टकराव पर कहा कि टकराव से किसी को परहेज नहीं है. लोकतंत्र में टकराव होते रहने चाहिए, लेकिन इस तरह से नहीं कि आप सवाल कीजिए, सरकार जवाब दीजिए. इस तरह से नहीं कि जब जवाब देने की बारी आई तो आप सुनेंगे ही नहीं.

इस तरह सदन में हम लोगों ने कभी नहीं देखा, ऐसी परंपरा होनी भी नहीं चाहिए. सत्ता पक्ष और विपक्ष में इतना संयम होना चाहिए कि दोनों की बातों को सुनें. आज प्रधानमंत्री जी ने मर्यादित शब्दों में जवाब दिया है, कल विपक्ष के नेता ने सही गलत जो भी बातें की सबका जवाब दिया, लेकिन विपक्ष सुनने को तैयार नहीं. सच कहें तो प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष के नेता को पानी पिलाने का काम किया है.

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