Kirodi Lal Meena on Gehlot Government. पुलवामा आतंकी हमले के शहीदों की वीरांगनाओं और उनके परिजनों की लंबित मांगों को लेकर दिग्गज बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा की सरकार के साथ वार्ता विफल रहने के बाद शहीद स्मारक पर ही अनिश्चितकाल के लिए धरने पर बैठ गए. जहां एक गद्दे पर सोकर सांसद किरोड़ी ने रात गुजारी. किरोड़ी लाल मीणा का कहना है कि सरकार लिखित में आश्वासन देने को तैयार नहीं है, जबकि वीरांगनाओं ने लिखित में आश्वासन दिया है. वीरांगनाओं का दर्द सुन भावुक हुए सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने सरकार से मांग की है कि पुलवामा आतंकी हमले के शहीदों की वीरांगनाओं और उनके परिजनों की लंबित मांगों को सरकार जल्द से जल्द पूरा करे. इस संबंध में सरकार ने त्वरित कार्रवाई नहीं की तो मजबूरन उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ेगा.
इससे पहले मंगलवार दोपहर अचानक सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा वीरांगनाओं और उनके परिजनों के साथ विधानसभा के गेट नंबर 6 पर पहुंचे. अचानक पहुंचे डॉ किरोड़ी मीणा को देख पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया और गेट से मीणा को हटाने के लिए पुलिस प्रशासन लगा. इस मौक़े पर पुलिस अधिकारी भरत लाल ने धक्का मुक्की की और वीरांगनाओं के साथ अभद्रता की. जिससे किरोड़ी लाल ग़ुस्से में आए ओर पुलिस प्रशासन ओर किरोड़ी में ज़बरदस्त बहस हुई. इसके बाद लगभग 2:15 बजे मीणा अपने समर्थकों के साथ पैदल ही अमर जवान ज्योति के लिए रवाना हो गए. जहां पुलिस और मीणा के समर्थकों में एक बार फिर बहस हो गई. इस दौरान सांसद मीणा के कुछ समर्थकों के कपड़े भी फट गए, इससे नाराज होकर सांसद मीणा ने पुलिस को जमकर खरी-खोटी सुनाई. इसके बाद डॉ किरोड़ी लाल मीणा वीरांगनाओं के साथ शहीद स्मारक पहुँच धरने पर बैठ गए. वहीं पुलिस आयुक्त्यालय में सरकार के प्रतिनिधि गृह राज्य मंत्री राजेन्द्र यादव के साथ डॉक्टर किरोड़ी लाल की वार्ता हुई पर असफल रही.
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वहीं धरने पर बैठे सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीना ने बताया की 14 फरवरी 2019 की देश की सीमाओं की रक्षा करने हेतु CRPF की एक टुकडी जम्मू से श्रीनगर जा रही थी. जिस पर अचानक हुए आतंकी हमले में राजस्थान के पांच वीर जवान शहीद हुए थे. उस समय शहीदों के अंतिम संस्कार में राज्य सरकार के कुछ मंत्री दाह संस्कार में शामिल होकर शहीदों की वीरांगनाओं व परिजनों को हजारों लोगों की उपस्थिति में बड़े-बड़े आश्वासन दिये थे. आज चार वर्ष पूरे होने के बाद भी शहीदों के परिजनों से किये गये वादों को राज्य सरकार द्वारा पूरा नही किया गया. ऐसे में वीरांगनाऐं को दर-दर की ठोकरें खा रही हैं.