कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस समय अपने एक विषैले बयान के चलते काफी चर्चा में हैं. यह बयान उन्होंने कर्नाटक की एक चुनावी रैली में दिया जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जहरीला सांप बता दिया. इस बयान के बाद बीजेपी के तमाम नेताओं ने खरगे और कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है. जहां तक की बीजेपी के एक नेता ने तो सोनिया गांधी तक को इस मामले में घसीट लिया और उन्हें विष कन्या कह दिया. विवाद को बढ़ता देख हालांकि खरगे ने माफी भी मांग ली लेकिन सोचने वाली बात ये है कि क्या चुनावी समर के बीच खरगे को इस तरह के बयान देने की जरूरत थी. वह भी तब, जब राहुल गांधी हाल ही में एक बयान में बढ़कर अपनी संसदीय सदस्यता खो चुके हैं.
गौरतलब है कि गुरुवार को मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक चुनाव प्रचार रैली के दौरान कहा था, ‘मोदी एक जहरीले सांप की तरह है. अगर आपको लगता है कि यह जहर है या नहीं और आप इसे चाटते हैं, तो आप मर जाएंगे. आप सोच सकते हैं. क्या यह जहर है. मोदी एक अच्छे इंसान हैं. उन्होंने इसे दिया है और हम इसे चख कर देखेंगे. यदि आप इसे चाटते हैं तो आप पूरी तरह से सो रहे हैं.’
आश्चर्य की बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस वक्त व्यक्तिगत हमले की जरूरत ही नहीं थी. वह भी ऐसे समय जब राजनीतिक पंडितों के मुताबिक आगामी कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस भाजपा पर बढ़त बनाए हुए है. एक नहीं बार.बार देखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमलों के बाद कांग्रेस को कभी फायदा नहीं हुआ है. इस तरह के हमलों ने कभी भी कांग्रेस को चुनावी लाभ नहीं दिया. राजनीतिक हलकों में ये माना जा रहा है कि इससे कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की संभावना को नुकसान पहुंच सकता है.
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इस मामले पर बीजेपी सांसद और बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या का एक बयान काबिलेगौर होगा जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘यह कर्नाटक चुनाव में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा. यहां के लोग किसी के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियों को स्वीकार नहीं करते हैं. हमारे सबसे प्यारे पीएम को छोड़ दें. बस इंतजार करें और देखें कि 10 मई को कांग्रेस के ताबूत पर आखिरी कील कैसे ठोकी जाएगी.’
हालांकि ये सूर्या का व्यक्तिगत बयान है लेकिन अमूमन देखा गया है कि चुनावी माहौल में पीएम मोदी पर की गई असहनीय टिप्पणी उल्टा बीजेपी की संभावना को ही मजबूत करती है. कई चुनावों में यह देखा गया है. उल्टा इस तरह के उजूल फिजूल बयानों का कांग्रेस को ही नुकसान हुआ है. मोदी सरनेम वाले बयान का भी कांग्रेस और राहुल गांधी को नुकसान उठाना पड़ा है. वीर सावरकर पर टिप्पणी भी हर बार राहुल गांधी को भारी पड़ती है. इधर मल्लिकार्जुन खरगे पर भी शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है. आशंका जताई जा रही है कि अगर वे दोषी साबित होते हैं तो उनकी भी संसदीय सदस्यता खतरे में पड़ सकती है. अगर ऐसा होता है तो कर्नाटक चुनाव के दौरान कांग्रेस को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.