Wednesday, January 15, 2025
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कर्नाटक में फोन टेपिंग की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला

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कर्नाटक में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने फोन टेप मामले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला कर लिया है. आरोप है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस-जदएस सरकार के कार्यकाल में पुलिस ने राजनीतिज्ञों और अफसरों के फोन अवैध रूप से टेप किए थे. उस समय एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे. रविवार को येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस के नेता विपक्ष (सिद्धारमैया) सहित कई अन्य नेता इस मामले में जांच कराने की मांग कर रहे हैं, जिससे कि सच्चाई का पता लगाया जा सके. इसको देखते हुए वह बुधवार को मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश करेंगे. इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. बताया जाता है कि भाजपा हाईकमान से निर्देश मिलने के बाद उन्होंने यह फैसला किया है.

येदियुरप्पा दो दिन से दिल्ली में थे. वह 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं कर पाए हैं. वह इसी सिलसिले में दिल्ली गए थे. वहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष व गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक येदियुरप्पा को हरी झंडी मिल गई है और वह 20 अगस्त को मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे.

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फोन टेपिंग का मामला उस समय का है, जब बेंगलुरु के नए पुलिस आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थी. उस समय पुलिस अफसरों के बीच खींचतान होने से फोन टेप किए गए थे. पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि अवैध रूप से नेताओं और अफसरों के फोन टेप किए गए थे. येदियुरप्पा ने दिल्ली जाने से पहले मुख्य सचिव से पूरे मामले की रिपोर्ट मंगवाई थी.

कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने फोन टेप मामले की जांच सीबीआई से कराने के फैसले का स्वागत किया है. लेकिन साथ ही यह भी कहा कि लोग देख रहे हैं, भाजपा सीबीआई का इस्तमाल कठपुतली की तरह कर रही है और राजनीतिक बदले की भावना से इसका इस्तेमाल कर रही है. पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि उन्हें सीबीआई जांच का कोई भय नहीं है. उन्होंने कहा, इससे भी बड़ी एजेंसी से जांच कराई जा सकती है. विशेष जांच एजेंसी भेजने के लिए ट्रंप से भी अनुरोध किया जा सकता है. किसी को कुमारस्वामी के खिलाफ कुछ नहीं मिलने वाला है.

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कुमारस्वामी ने कहा कि सिद्धारमैया जैसे नेता के अनुरोध पर येदियुरप्पा इस मामले की सीबीआई जांच करवा रहे हैं. यह अच्छी बात है कि येदियुरप्पा सिद्धारमैया की मांग का इतना सम्मान कर रहे हैं. आने वाले समय में हमें पता चलेगा कि इन नेताओं के बीच किस तरह की मिलीभगत चल रही थी. फोन टेपिंग की जांच होने दीजिए. जब 2008 में येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे और उसके बाद सिद्धारमैया पांच साल मुख्यमंत्री रहे, उस समय भी फोन टेप किए जाते थे.

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