पॉलिटॉक्स ब्यूरो. जिस दिन डॉ.अजय कुमार (Ajoy Kumar) आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे, उसी दिन राजनीतिक पंडितों ने इसका असर सियासी समीकरणों पर पड़ने के संकेत दे दिए थे. अब ये सच होते दिखाई देने लगे हैं. अजय कुमार के दम पर ही आम आदमी पार्टी इसी महीने झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में करीब 40 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है. राजधानी दिल्ली में बिहारियों की तादात ज्यादा होने से आप पार्टी का झारखंड में प्रदर्शन निश्चित तौर पर आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी असर डालेगा. ऐसे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कांग्रेस से आप पार्टी में शामिल हुए अजय कुमार के बहाने झारखंड में निशाना साध रहे हैं.
देखा जाए तो अजय कुमार (Ajoy Kumar) कोई छोटे मोटे नेता नहीं हैं. झारखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ.अजय कुमार सितम्बर में आप पार्टी में शामिल हुए थे. अजय पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और 15वीं लोकसभा में जमशेदपुर सीट से झारखंड विकास मोर्चा पार्टी के सांसद भी रह चुके हैं. यहां उन्होंने भाजपा के दिनेशानंद गोस्वामी को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने 23 अगस्त, 2014 में कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस की तरफ से 26 सितंबर, 2014 को अजय को पार्टी के प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया. 16 नवंबर, 2017 को उन्हें झारखंड कांग्रेस ईकाई का अध्यक्ष बनाया गया. दो साल बाद अजय कुमार 19 सितम्बर को आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए.
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झारखंड की राजनीति में लंबा समय बिताने के बाद अजय कुमार (Ajoy Kumar) की पकड़ स्थानीय तौर पर अच्छी है. हालांकि अभी तक आम आदमी पार्टी का झारखंड में खास वजूद नहीं है और ये उनका प्रदेश में पहला चुनाव है लेकिन जमीन बनाने का ये अच्छा समय है. अगर आप पार्टी यहां 5 से 6 सीट भी जीतने में सफल होती है तो भी आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिहारी वोटर्स पर इसका अच्छा असर पड़ेगा. वहीं अजय कुमार के रूप में झारखंड जहां स्थानीय पार्टियों का बोलबाला रहा है, पार्टी को एक बड़ा और स्थानीय चेहरा भी मिल जाएगा.
झारखंड में चुनावी जोड़-घटाव पर अजय कुमार की नजर गड़ी हुई है. इधर उनके आने से कार्यकर्ताओं में उत्साह है. राष्ट्रीय संगठन संयुक्त सचिव अंकुश नारंग के साथ राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और राष्ट्रीय पॉलिटीकल अफेयर्स कमेटी ने भी झारखंड में चुनाव लड़ने पर सहमति जता दी है. प्रदेश में प्रत्याशी चुनने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और इसलिए विधानसभाओं से संभावित उम्मीदवार बूथ स्तरीय कमेटी बनाकर कार्यकर्ताओं की लिस्ट चुनाव अभियान समिति को भेज रहे हैं. अलग-अलग विधानसभाओं में संभावित प्रत्याशी लगातार विधानसभा सम्मेलन कर रहे हैं. सूत्रों की माने तो झारखंड की करीब 30 सीटों पर पार्टी अपना उम्मीदवार निश्चित तौर पर उतारेगी.
झारखंड में फिलहाल भाजपा की रघुबर दास की सरकार है. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने झारखंड विकास मोर्चा के साथ मिलकर सरकार बनायी थी लेकिन बाद में पार्टी के 6 विधायकों ने भाजपा में विलय कर लिया. उसके बाद से दोनों पार्टियों में रार पैदा हो गयी. यहां कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन सीट बंटवारे को लेकर एकमत नहीं हो रहे. दोनों के बीच चार सीटों को लेकर एकराय नहीं बन रही. इस गठबंधन में झाविमो को भी शामिल करने पर विचार हो रहा है लेकिन बात बन नहीं रही. ऐसे में मौके का फायदा उठाते हुए अजय कुमार (Ajoy Kumar) झाविमो को अपने पाले में लाने में सफल हो गए तो 81 में से करीब 10 से 12 सीटें लाने में निश्चित तौर पर कामयाब हो जाएंगे.
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पिछले चुनाव की तुलना में मौजूदा चुनाव झारखंड में गतिरोध पैदा करने जैसा होगा. विधानसभा चुनाव-2014 में यहां झामुमो (JMM), झाविमो (JVM) और आजसु (AJSU) सहित तीन स्थानीय पार्टियां और कांग्रेस व भाजपा दो प्रमुख पार्टियां दंगल में उतरी थी. इस बार कांग्रेस, भाजपा, आप, झामुमो, झाविमो और आजसु के साथ बसपा, राजद और जेडीयू भी पूरे जोशो खरोश के चुनाव में उतर रही हैं. सभी दलों का अपने अपने राज्यों में एक खास औहदा है. ऐसे में इस बार मुकाबला आसान नहीं है. क्षेत्रप पार्टियां महत्वपूर्ण रोल अदा करेंगी, ये निश्चित है. ऐसे में अजय कुमार (Ajoy Kumar) का झाविमो से गठबंधन झारखंड में आम आदमी पार्टी के लिए जमीन तो तैयार करेगा ही, दिल्ली के चुनावों में भी भाजपा और कांग्रेस को चुनौती देने वाला साबित हो सकता है.