झारखंड चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव के कुछ ही महीने पहले भारतीय चुनाव आयोग ने बिहार की सत्तासीन पार्टी जनता दल युनाइटेड को बड़ा झटका दिया है. चुनाव आयोग ने झारखंड में जेडीयू के सिंबल को प्रतिबंधित कर दिया है. इससे बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को धक्का पहुंचा है. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने बताया झारखंड में भारतीय जनता पार्टी के मंसूबों पर पानी फिर गया है.

झारखंड विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रत्याशी उतारने पर संकट खड़ा हो गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की मांग पर चुनाव आयोग ने जदयू के सिंबल ‘तीर’ को प्रदेश में प्रतिबंधित कर दिया है. पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग द्वारा 16 अगस्त 2019 के पत्र का हवाला देते हुए बताया कि चुनाव आयोग ने राज्य में जदयू के सिंबल (तीर) को प्रतिबंधित कर दिया है. इसका साफ मतलब है कि झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ पाएगी.

दरअसल चुनाव आयोग ने जेडीयू का झारखंड में सिंबल फ्रीज कर दिया है. इसको लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने शिकायत की थी. जेएमएम ने भारतीय चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि जेडीयू और जेएमएम का चुनाव चिह्न एक ही तरह का है, जिससे जनता में भ्रम पैदा होगा. बता दें कि जेडीयू का चुनाव चिन्ह ‘तीर’ है जबकि जेएमएम का चुनाव चिह्न ‘धनुष’ है.

झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) बिहार में इसलिए चुनाव नहीं लड़ पाई थी कि जदयू की शिकायत पर चुनाव आयोग ने झामुमो के सिंबल को वहां प्रतिबंधित कर दिया था. जदयू ने अपने आवेदन में कहा था कि झामुमो का सिंबल तीर-धनुष और जदयू का सिंबल तीर है. ऐसे में मतदाता भ्रमित हो सकते हैं. इसलिए इनके सिंबल को प्रतिबंधित किया जाए. इसके बाद झामुमो ने झारखंड में जदयू के सिंबल को प्रतिबंधित करने की मांग चुनाव आयोग से की थी, जिस पर एक्शन लेते हुए चुनाव आयोग ने अब जदयू के सिम्बल को झारखंड में बैन कर दिया.भट्टाचार्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) झारखंड में जदयू को चुनाव मैदान में उतार झामुमो के मतदाताओं को भ्रमित करने वाली थी, लेकिन अब उनके मनसूबों पर पानी फिर गया है. जदयू पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार में गलबहियां और झारखंड में अलग चुनाव लडऩे के नाटक को जनता समझती है. सुप्रीयो ने कहा कि जदयू को विधानसभा की सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ाकर आदिवासी मतदाताओं को भरमाने की भाजपा की योजना विफल हो गई है. झारखंड की जनता भाजपा सरकार से खफा है. चुनाव में इस आक्रोश की मार से बचने के लिए भाजपा तरह-तरह के खेल खेल रही है. जदयू के चुनाव चिह्न के जरिए इसी तरह की योजना थी, जो विफल हो गई है.

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संताल में सीएम के साथ सरकारी मशीनरी के सक्रिय होने के सवाल पर भट्टाचार्य ने कहा कि संताल वीर शहीदों की धरती है, सीएम रघुवर दास वहां जाकर प्रेरणा ले सकते हैं, लेकिन सीएम के वहां जाने का मकसद कुछ और ही है. सीएम सिर्फ अपनी पार्टी के जनाधार के लिए जाते तो ठीक था, लेकिन वो संताल क्षेत्र की खनिज संपदा को गौतम अडाणी जैसे पूंजीपतियों को सौंपने के लिए दौरा कर रहे हैं. सरकार वहां के आदिवासियों को फिर से बेदखल करने की फिराक में हैं. चुनाव में जनता इसका जवाब जरूर देगी.

सुप्रीयो भट्टाचार्य ने आगे बताया कि 19 अक्टूबर को मोरहाबादी मैदान में होने वाली झामुमो की रैली में भाजपा सरकार की ताबूत में अंतिम कील ठोक दी जाएगी. रघुवर सरकार से खफा जनता की भीड़ उस दिन देखने को मिलेगी. एक सवाल के जवाब में सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार के अगले निशाने पर मुंडा खूंटखट्टी एरिया की जमीन है, सोने की खानों के लिए सरकार इस इलाके की जमीन भी छीनेगी.

अब जदयू भी झामुमो के तीर-धनुष के खिलाफ जाएगा चुनाव आयोग

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा झारखंड में जदयू के सिंबल तीर को प्रतिबंधित किए जाने के बाद जदयू ने भी झामुमो के सिंबल तीर-धनुष के खिलाफ चुनाव आयोग जाने की बात कही है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि झारखंड में जदयू के सिंबल को प्रतिबंधित किए जाने की आधिकारिक जानकारी उन्हें नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यदि ऐसा आदेश आया है तो पार्टी झारखंड के लिए दूसरे सुरक्षित सिंबल प्रदान करने की प्रार्थना आयोग से कर सकता है.

सालखन मुर्मू ने यह भी कहा कि अब जदयू शीघ्र ही झामुमो के सिंबल पर झारखंड में भी प्रतिबंध लगाने के लिए निर्वाचन आयोग को आवेदन देगा, क्योंकि उसका सिंबल धार्मिक है और आदिवासियों की संस्कृति से जुड़ा है. आदिवासियों की संवेदना से जुड़े होने के कारण मतदाता सिंबल से प्रभावित हो जाते हैं.

गौरतलब है कि जदयू राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए का हिस्सा है, लेकिन झारखंड में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हाल में ही इसकी घोषणा पार्टी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने की थी.

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