मोदी 2.0 सरकार ने सोमवार को कश्मीर पर एक ऐतिहासिक फैसला लिया. जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से चल रही धारा 370 और धारा 35ए को हटा दिया गया है (केवल धारा 370 का खंड-1 लागू है). साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया. पहला जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख. जम्मू-कश्मीर को विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला है. वहीं लद्दाख को बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है. इससे पहले जम्मू-कश्मीर अति विशेष दर्जा प्राप्त राज्य था. जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनते ही देश में अब 29 की जगह 28 राज्य रह गए जबकि केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या सात से बढ़कर नौ हो गयी. सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी करते हुए सभी सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया है.
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जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के साथ ही प्रदेश में बहुत कुछ बदल गया है. ऐसे में धारा 370 हटने के क्या हैं मायने, आइए इन पर चर्चा करते हैं…
1. अति विशेष राज्य का दर्जा समाप्त
धारा 370 हटने के साथ ही जम्मू-कश्मीर को प्राप्त अति विशेष राज्य का दर्जा अब समाप्त हो गया. अब से जम्मू-कश्मीर और नव निर्मित प्रदेश लद्दाख सामान्य राज्यों की श्रेणी में शामिल किए जाएंगे.
2. दोहरी नागरिकता खत्म
आर्टिकल 370 के समाप्त होते ही जम्मू-कश्मीर में दोहरी नागरिकता की अनिवार्यता खत्म हो गयी है. पहले जम्मू-कश्मीर में रहने वालों को भारतीय नागरिकता के साथ स्थानीय नागरिकता लेनी पड़ती थी. अगर यहां रहने वाला कहीं बाहर जाकर रहने लगे तो वो नागरिकता स्वत: ही समाप्त हो जाती थी. अब यहां इसकी अनिवार्यता पूरी तरह से खत्म हो गयी है. अब एकल नागरिकता का नियम लागू हो गया है. देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है और अन्य स्थानों पर विवाह कर सकता है.
3. अलग झंडा नहीं, अब होगा तिरंगा और राष्ट्रीय ध्वज/गान का सम्मान
अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से अब देशभर की तरह जम्मू-कश्मीर में भी सिर्फ तिरंगा फहराया जाएगा. पहले यहां तिरंगा नहीं अपितु अलग झंडा फहराया जाता रहा है. लेकिन अब से न सिर्फ तिरंगा फहराया जाएगा अपितु राष्ट्रीय गान भी गाया जाएगा. राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान/गीत का उसी तरह से सम्मान किया जाएगा जैसा पूरे देश में किया जाता है.
4. कश्मीर में जमीन ले सकेंगे, व्यवसाईयों के लिए द्वार खुलेंगे
धारा 35ए हटने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने और व्यवसाय करने के रास्ते प्रदेश के बाहर के लोगों को लिए भी पूरी तरह से खुल गए हैं. इससे पहले तक कोई बाहर का व्यक्ति यहां न जमीन खरीद सकता था और न ही कारोबार चला सकता था. अब दोनों ही बातें संभव हो गयी हैं.
5. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन
आर्टिकल 370 के खत्म होने के साथ ही कश्मीर में सुप्रीम कोर्ट के वे सभी आदेश लागू हो गए हैं जो पूरे देश में स्वीकृत हैं. राज्य की विधानसभा का कार्यकाल अब पांच साल का होगा, जो पहले 6 साल का था. RTI और RTE सहित अन्य कानूनी फैसले जम्मू-कश्मीर के सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होंगे.
6. धारा 356 लागू, राज्यपाल शासन की जगह राष्ट्रपति शासन
भारत के संविधान का अनुच्छेद-356, केंद्र की संघीय सरकार को राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता या संविधान के स्पष्ट उल्लंघन की दशा में तत्कालीन सरकार को बर्खास्त कर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार देता है. राष्ट्रपति शासन उस स्थिति में भी लागू होता है, जब विधानसभा में किसी भी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं हो. बिलकुल यही स्थिति जम्मू-कश्मीर में भी है. ऐसे में अब यहां राज्यपाल शासन की जगह राष्ट्रपति शासन तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. इससे पहले जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को ही राज्यपाल शासन कहा जाता था.