BDC Election
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जम्मू-कश्मीर में तेज हो रही चुनावी सरगर्मियों के बीच भाजपा अपनी चुनावी संभावनाएं मजबूत करने के लिए जोरशोर से जुट गई है. इसके तहत 15 अगस्त को कश्मीर घाटी में स्वतंत्रता दिवस पर बड़ा जश्न मनाने की तैयारी है. इसके तहत सभी पंचायत प्रमुखों को स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रध्वज फहराने के लिए कहा गया है.

सूत्रों की मानें तो आल जम्मू एंड कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा ने कि इस बार सभी सरपंचों से स्वतंत्रता दिवस पर अपनी पंचायतों में तिरंगा फहराने की अपील की है. वहीं भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा है कि यह सरकारी फैसला नहीं है. फिर भी अगर राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के कार्यक्रम होते हैं तो उसमें हर्ज क्या है. बताया जाता है कि हाल ही भाजपा के जम्मू-कश्मीर कोर ग्रुप की दिल्ली में हुई बैठक में इस विषय पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया था. बैठक की अध्यक्षता भाजपा का कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की थी. इस बैठक में जम्मू-कश्मीर में भाजपा की चुनावी तैयारियों पर भी बातचीत हुई.

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में इन दिनों बड़े पैमाने पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि यह तैनाती स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से की जा रही है, जिससे कि स्वतंत्रता दिवस समारोह के कार्यक्रम निर्विघ्न संपन्न हो जाएं. कुछ लोग इसे विधानसभा चुनाव की तैयारी से जोड़ रहे हैं. कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने को लेकर हमेशा से विवाद होता रहा है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर का एक अलग झंडा है और अलग संविधान है. मुस्लिम बहुल इस राज्य को स्वायत्त राज्य का दर्जा मिला हुआ है.

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जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय ध्वज के साथ ही राज्य का झंडा भी फहराया जाता है. पूर्व पुलिस अधिकारी फारूख खान ने 2015 में इस परंपरा को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. फारूख खान भाजपा में शामिल होने के बाद लक्षद्वीप में प्रशासक नियुक्त किए गए हैं. उन्होंने तत्कालीन महबूबा मुफ्ती की सरकार के फरमान के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें राज्य की सभी संवैधानिक इमारतों और सरकारी वाहनों पर जम्मू-कश्मीर का झंडा फहराने के लिए कहा गया था. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद सरकारी फरमान पर रोक लगा दी थी.

कुछ लोगों ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की. 27 दिसंबर 2015 को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने राज्य में दोनों झंडे फहराने का आदेश दिया था. इसके बाद राज्य में कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए और भाजपा की एक विधान-एक निशान की नीति पर सवाल उठने लगे थे. इसके बाद भाजपा ने सिंगल बैंच के फैसले के खिलाफ खंडपीठ में अपील की थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर में भी पूरे देश की तरह राष्ट्र ध्वज ही फहराया जाएगा.

सरकार को फरमान जारी करने की जरूरत इसलिए पड़ी कि एक नागरिक अब्दुल कयूम खान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए राष्ट्र ध्वज के सम्मान के संबंध में अदालत से निर्देश मांगे थे. यह पीडीपी-भाजपा गठबंधन में पड़ी पहली दरार भी थी. विवाद होने पर सरकारी वेबसाइट से चुपचाप यह सर्कुलर हटा दिया गया था.

जम्मू-कश्मीर के झंडे में लाल पृष्ठभूमि पर हल का निशान और तीन खड़ी लाइनें हैं, जो कश्मीर, जम्मू और लद्दाख को दर्शाती है. इनका अपना इतिहास है, जो 1931 के बाद हुए राजनीतिक आंदोलनों से जुड़ा है. 13 जुलाई 1931 में तत्कालीन डोगरा सरकार ने श्रीनगर की सेंट्रल जेल के पास गोलीबारी करवा दी थी, जिसमें 21 लोगों की मौत हुई थी. इसके विरोध में किसी ने एक घायल व्यक्ति की खून से सनी कमीज को जम्मू-कश्मीर के झंडे के रूप में फहराया था. 11 जुलाई 1939 को डोगरा शासकों के खिलाफ आंदोलन शुरू करने वाली पार्टी जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस ने इसे अपने झंडा बना लिया.

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7 जून, 1952 को जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए इसे राजकीय ध्वज का दर्जा दे दिया. बताया जाता है कि 1947 से 1952 तक जम्मू-कश्मीर में इसे राष्ट्रीय ध्वज माना जाता था. नेशनल कांफ्रेंस का एक गीत भी था, जिसे मौलाना मोहम्मद सईद मसूदी ने लिखा था, लेकिन उसे राज्य की स्थापना में शामिल नहीं किया गया. यह गीत 2001 में उमर अब्दुल्ला के पार्टी अध्यक्ष बनने के मोके पर गाया गया था.

जम्मू-कश्मीर को लेकर 1952 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच समझौता हुआ था जिसमें केंद्र और राज्य के अधिकार परिभाषित किए गए थे. इसमें तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज और जम्मू-कश्मीर को राजकीय ध्वज माना गया और दोनों ध्वज साथ में फहराने की परंपरा शुरू हुई. राज्य में आंदोलनों से जुड़े ऐतिहासिक कारणों से अलग राजकीय ध्वज को मान्यता देने की जरूरत महसूस की गई. जम्मू-कश्मीर के संविधान में भी इसे मान्यता दी गई है. जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक आंदोलन 1947 से पहले किसानों के शोषण और उसके खिलाफ आवाज उठाने पर केंद्रित हुआ करते थे. नेशनल कांफ्रेंस का नया कश्मीर (न्यू कश्मीर) एजेंडा साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित था.

भाजपा राष्ट्र के एकीकरण के मुद्दे पर राजनीति कर रही है, इसलिए इस बार स्वतंत्रता दिवस पर कश्मीर में जगह-जगह राष्ट्रध्वज फहराए जाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. साथ ही भाजपा को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी जीतना है. इसी सिलसिले में इस बार स्वतंत्रता दिवस पर धूमधाम से हर पंचायत में राष्ट्र ध्वज फहराने की तैयारी चल रही है.

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