वैट कम कराने के लिए राज्यों में प्रतिस्पर्द्धात्मक माहौल बनाना गलत- CM गहलोत ने लिखा PM मोदी को पत्र

पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर मरूधरा में 'सियासी जंग' मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी को लिखा खुला पत्र, कहा- 'केन्द्र घटाए स्पेशल-एडिशनल एक्साइज, राज्यों में VAT घटाने का कॉम्पिटीशन कराना 'कॉपरेटिव फेडरेलिज्म' के खिलाफ', साथ ही केंद्र सरकार राज्य की बकाया जीएसटी पुनर्भरण राशि का शीघ्र भुगतान करे और जीएसटी पुनर्भरण की अवधि वर्ष 2027 तक जाए बढ़ाई, सियासी सूत्रों का दावा दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ा गया है फैसला

CM गहलोत ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी
CM गहलोत ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतों को लेकर जारी सियासत के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पेट्रोल और डीज़ल की केंद्रीय पूल के अतिरिक्त एक्साइज़ ड्यूटी और विशेष एक्साइज़ ड्यूटी को कम करने का आग्रह किया है. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में पेट्रोल पर 10 रुपये लीटर और डीज़ल पर 15 रुपये अतिरिक्त कम करने के आग्रह के साथ इस बात का भी हवाला दिया है कि केंद्र जब Excise Duty कम करता है तो राज्य में VAT भी स्वतः ही कम हो जाता है. अगर केंद्र ये क़दम उठाएगी तो राजस्थान भी राजस्व में 3500 करोड़ रुपये प्रति वर्ष की हानि को उठाने के लिए तैयार है.

सीएम गहलोत ने पत्र में लिखा है कि, ‘राज्यों से वैट कम कराने के लिए आपसी कम्पिटीशन का माहौल बना दिया है, जोकि कॉपरेटिव फेडरेलिज्म की भावना के खिलाफ है’. इधर सियासी गलियारों में चर्चा है कि वैट कम करने का फैसला दिल्ली में ही होना है. बताया जा रहा है कि सीएम गहलोत का जोधपुर से सीधा दिल्ली जाने का कार्यक्रम है. विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पेट्रोल डीजल पर वेट कम करने का फैसला भी अब कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ा गया है. कांग्रेस शासित पंजाब ने जहां वैट की दरें कम कर दी है तो वहीं छत्तीसगढ़ और राजस्थान ने अभी तक वैट कम नहीं किया है, माना जा रहा है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ होने वाली बैठकों के दौरान वैट कम करने का फैसला हो सकता है.

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‘केंद्रीय पूल की अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी को कम करे केन्द्र सरकार’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि,’आमजन को राहत देने के लिए कि केंद्र सरकार पेट्रोल डीजल पर केंद्रीय पूल की अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी एवं विशेष एक्साइज ड्यूटी को और कम करे, ताकि आमजन को एक्साइज ड्यूटी एवं वैट में कमी का लाभ एक साथ मिल सके’. सीएम गहलोत ने तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल के मूल्य में निरंतर वृद्धि पर रोक लगाने के लिए पाबंद करने का भी आग्रह करते हुए कहा कि,’तेल कम्पनिया की रोज-रोज की जा रही बढ़ोतरी से केंद्र और राज्य सरकार द्वारा आमजन को दी गई राहत का लाभ शून्य हो जाएगा’.

‘3500 करोड़ प्रतिवर्ष की हो रही है अतिरिक्त हानि
अपने पत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लिखा कि हमारी अपेक्षा है कि केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी में पेट्रोल पर अतिरिक्त 10 रुपये प्रति लीटर व डीजल पर अतिरिक्त 15 रुपये प्रति लीटर की कमी करे. केंद्र के एक्साइज ड्यूटी कमकरने पर प्रदेश के वैट में भी 34 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल पर तथा 3.9 रुपये प्रति लीटर डीजल परआनुपातिक रूप से स्वतः ही कम हो जाएंगे. इसके परिणामस्वरूप राज्य के राजस्व में 3500 करोड़ रुपयेप्रतिवर्ष की अतिरिक्त हानि होगी जिसे जनहित में राज्य सरकार वहन करने के लिये तैयार है.

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‘राज्यों के हिस्से में की जा रही कमी वित्तीय संघवाद के सिद्धांतों के विपरीत’
सीएम गहलोत ने कहा कि,’केंद्र सरकार के 2016 से लगातार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली बेसिक एक्साइज ड्यूटी को कम कर राज्यों के साथ साझा किये जाने वाले हिस्से को घटा दिया गया तथा विशेष एवं अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी जिसका कोई हिस्सा राज्यों को नहीं मिलता, उसे लगातार बढ़ाया गया’. सीएम ने कहा कि, ‘अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि और एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट सेस का लाभ केवल केंद्रीय राजस्व को मिल रहा है, जबकि डिविजीबल पूल में आने वाली बेसिक एक्साइज ड्यूटी में उत्तरोत्तर कमी की गई है, इससे राज्यों को मिलने वाले करों के हिस्से में कमी आई है. राज्यों के हिस्से में लगातार की जा रही कमी वित्तीय संघवाद के सिद्धांतों के विपरीत है’.

‘राज्यों में वैट कम कराने के लिए परस्पर प्रतिस्पर्द्धात्मक माहौल बनाना गलत’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘लोकतंत्र में निर्वाचित सरकारों को प्रदेश के विकास एवं सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन जुटाने होते हैं. आमजन तक विकास योजनाओं का लाभ पहुंचाने में राज्यों की भौगोलिक स्थिति, आर्थिक परिदृश्य एवं स्थानीय परिस्थितियों का भी प्रभाव पड़ता है. इन परिस्थितियों में विभिन्न विकास योजनाओं के लिए आवश्यक राजस्व संग्रहण के लिए करारोपण करना राज्यों को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार है’.सीएम गहलोत ने कहा कि,’केंद्र द्वारा पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी और विशेष एक्साइज ड्यूटी को पहले अत्यधिक बढ़ाना एवं बाद में कम कर राज्यों से वैट कम कराने के लिए परस्पर प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाना भी सहकारी संघवाद की भावना के विपरीत है’.

‘पहले अत्यधिक बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी फिर दी गई मामूली राहत’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘कोविड संक्रमण में लॉकडाउन के दौरान 6 मई, 2020 को केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये एवं डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी. 4 नवम्बर, 2021 से पेट्रोल पर 5 रुपये एवं डीजल पर 10 रुपये कम कर जनता को राहत देने की बात की जा रही है. जबकि वास्तविकता यह है कि वर्ष 2021 में ही पेट्रोल की कीमत करीब 27 रुपये एवं डीजल की कीमत करीब 25 रुपये बढ़ी. अत्यधिक बढ़ाई गई अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी में से केवल कुछ छूट दी गई है. ऐसे में, केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी में की गई कटौती अपर्याप्त प्रतीत होती है.

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‘विपरीत परिस्थितियों में भी हमारी सरकार पूरे कर रही है वादे’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘राजस्थान राज्य के राजस्व का 22 प्रतिशत से अधिक पेट्रोल-डीजल के वैट से आता है. वैट में कमी के रूप में राजस्थान सरकार 29 जनवरी, 2021 से अब लगभग 3 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल पर और 3.8 रुपये प्रति लीटर डीजल पर कम कर चुकी है. इससे राज्य राजस्व में 2800 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की हानि हो रही है. कोविड-19 की परिस्थितियों के कारण इस वित्तीय वर्ष में राज्य के राजस्व में माह अक्टूबर तक 20 हज़ार करोड़ रुपये की कमी आई है. केंद्र के राज्य को 5963 करोड़ रुपये का जीएसटी पुनर्भरण उपलब्ध नहीं कराना भी इसका एक बड़ा कारण है. ऐसी स्थिति में भी हमारी सरकार ने कुशल वित्तीय अवयन में प्रदेश विकास की प्रबन्धन से प्रदेश में विकास की गति को कम नहीं होने दिया. राज्य सरकार जन घोषणा तथा बजट में किये वादों को समयबद्ध रूप से पूरा करने के लिये तत्पर है. पत्र में गहलोत ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि केंद्र सरकार राज्य की बकाया जीएसटी पुनर्भरण राशि का शीघ्र भुगतान करे और जीएसटी पुनर्भरण की अवधि वर्ष 2027 तक बढ़ाई जाए.

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