धड़ेबंदी और गुटबाजी के जरिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने का सपना देखना ठीक नहीं- मीणा

सीएम अशोक गहलोत के दिल्ली जाने के बाद प्रदेश में कांग्रेस के भीतर जारी गुटबाजी का भी हो जाएगा अंत, वैसे तो दिल्ली दूर नहीं है, इसलिए अशोक गहलोत दोनों पदों को एक साथ संभाल सकते हैं, भारतीय जनता पार्टी की तर्ज पर कांग्रेस में पहली बार एमएलए बने किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाने की नहीं है रवायत- रामनारायण मीणा

रामनारायण मीणा का बड़ा बयान
रामनारायण मीणा का बड़ा बयान

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से चली आ रही सियासी अदावत अब इस मोड़ पर आ चुकी है कि अब या तो यह हमेशा के लिए थम जाएगी और या फिर ये अब ये और ज्यादा खतरनाक हो जाएगी. कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 28 सितंबर को अपना नामांकन भर सकते हैं. सीएम गहलोत के नामांकन भरने के बाद निर्विरोध चुनाव जीतते हैं तो 1 तारीख के आसपास और नहीं तो 19 अक्टूबर के बाद कांग्रेस पार्टी के ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत के तहत सीएम गहलोत को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी. ऐसे में अगले मुख्यमंत्री के रूप में सचिन पायलट का नाम प्रमुखता से सबसे ऊपर चल रहा है. हालांकि सियासी गलियारों में पायलट के साथ साथ अन्य नामों की भी चर्चा जोरों पर है. कुछ नेताओं का कहना है कि अशोक गहलोत को फिर से राजस्थान की कमान सौंपी जाए तो कुछ पायलट के समर्थन में दम भरते हुए कह रहे हैं कि जो आलाकमान फैसला करेगा वो मंजूर होगा. इसी कड़ी में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पीपल्दा विधायक रामनारायण मीणा ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘पहली बार के MLA की जगह किसी अनुभवी नेता को संभालनी चाहिए राज्य की कमान.’

आपको बता दें कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की घडी जैसे जैसे पास आती जा रही है वैसे वैसे राजस्थान में सियासी घमासान अपने चरम पर है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कांग्रेस अध्यक्ष बनना लगभग तय है लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर सचिन पायलट के नाम पर अंतिम मुहर लगना अभी बाकी है. भले ही सियासी जानकार कह रहे हैं कि आलाकमान ने सचिन पायलट को अनुमती दे दी है लेकिन जिस तरह की बयानबाजी राजस्थान के विधायकों एवं दिग्गजों की आ रही है उससे ये कयास लगाए जाने लगे हैं कि सियासत के जादूगर अशोक गहलोत किसी भी तरह शायद पायलट का सपना अभी पूरा नहीं होने दें. इसी क्रम में अब पीपल्दा विधायक एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामनारायण मीणा ने शनिवार को डिजिटल नेटवर्क ETV भारत से बातचीत करते हुए बड़ा बयान दिया.

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रामनारायण मीणा ने कहा कि, ‘भारतीय जनता पार्टी की तर्ज पर कांग्रेस में पहली बार एमएलए बने किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाने की रवायत नहीं है. यहां पर अनुभव का ख्याल रखा जाता है.’ मीणा का ये बयान कई मायनों में बहुत अहम है क्योंकि सचिन पायलट सांसद के साथ साथ केंद्र की मनमोहन सरकार में मंत्री रह चुके हैं लेकिन विधायक के तौर पर यह उनकी पहली पारी है. यही कारण है कि रामनारायण मीणा ने अनुभव की बात छेड़कर एक नई बहस को जन्म दे दिया है. वहीं रामनारायण मीणा ने मुख्यमंत्री पद के लिए की जा रही लॉबिंग का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘धड़ेबंदी और गुटबाजी के जरिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने का सपना देखना ठीक नहीं है. आलाकमान को ही मुख्यमंत्री के पद पर एक राय होकर फैसला करना है. ऐसे में जरूरी है कि राजनीतिक अनुभव का पूरा ख्याल रखा जाए.’

वहीं राजस्थान में जारी गुटबाजी का जिक्र करते हुए रामनारायण मीणा ने कहा कि, ‘सीएम अशोक गहलोत के दिल्ली जाने के बाद प्रदेश में कांग्रेस के भीतर जारी गुटबाजी का भी अंत हो जाएगा. वैसे तो दिल्ली दूर नहीं है, इसलिए अशोक गहलोत दोनों पदों को एक साथ संभाल सकते हैं. फिर भी अगर मुख्यमंत्री के तौर पर फैसला करने की बारी आती है तो आलाकमान को एक राय होकर सीएम का चुनाव करना होगा. राजस्थान में मुख्यमंत्री कांग्रेसमैन बनेगा, न कि धडे़बंदी के आधार पर किसी चेहरे का चुनाव कर लिया जाएगा. जनता जिस चेहरे के आधार पर वोट देगी, अब उसी के आधार पर सरकार रिपीट करेगी. एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस की सरकार का फैक्टर इसी के साथ खत्म हो जाएगा.’

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फिलहाल संकेत तो यही मिल रहे हैं कि अशोक गहलोत के नामांकन के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में सचिन पायलट की ताजपोशी होनी है. यही कारण है कि कोच्ची में राहुल गांधी एवं दिल्ली में कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद जयपुर पहुंचे पायलट ने एयरपोर्ट से सीधे विधानसभा पहुंच पार्टी विधायकों से मुलाकात की. इस दौरान पार्टी के कई दिग्गज विधायक एवं निर्दलीय के साथ साथ बसपा से कांग्रेस में आए कई विधायक पायलट के साथ नजर आए. यही नहीं विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के कक्ष में सचिन पायलट ने पूर्व मंत्री रघु शर्मा के साथ करीब डेढ़ घंटे तक चर्चा भी की. वहीं इसके बाद सचिन पायलट ने विधानसभा से निकलकर राजभवन पहुंच राज्यपाल कलराज मिश्र से भी मुलाकात की. फ़िलहाल शनिवार को भी कई मंत्रियों विधायकों से मुलाकात के बाद सचिन पायलट दिल्ली पहुंच गए हैं. इन सभी घटनाओं के बाद ये साफ़ है कि सचिन पायलट ही प्रदेश की कमान संभालने वाले हैं लेकिन ये राजनीति है साहब ‘यहां जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दिखता नहीं.’

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