यूपी-उत्तराखंड में चुनाव से पहले पार्टी को स्थापित करने में जुटी आप, दिल्ली मॉडल को ही बनाया ‘ब्रांड’

दो दिन के दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे सिसोदिया, 22 को यूपी में सीएम योगी के मंत्री को देंगे चुनौती, मोदी के गुजरात मॉडल की तर्ज पर आप ने शुरू की दिल्ली मॉडल की ब्रांडिंग, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस नेताओं में बढ़ी बेचैनी

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Politalks.News/UP-Uttrakhand. आम आदमी पार्टी के नेता अपनी पार्टी की ‘ब्रांडिंग’ करने के लिए अपने आप को सबसे बेहतर समझते हैं. कोई भी चुनाव हो, उससे पहले ही आम आदमी पार्टी अपने प्रचार-प्रसार का जनता के बीच जाकर ऐसा ताना-बाना बुनते हैं जैसे कि वह भारत की राजनीति में नया प्रयोग करने के लिए चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. हालांकि यह सच है कि आम आदमी पार्टी को देश की राजधानी दिल्ली में पिछले तीन बार हुए विधानसभा चुनावों में जबरदस्त सफलता भी मिली है. दूसरी ओर दिल्ली के बाद पंजाब में पार्टी का थोड़ा बहुत जनाधार दिखाई पड़ता है. अब आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की नजर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सवा साल बाद यानी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में आकर टिक गई है. इसी को लेकर राजधानी से आप नेताओं के यूपी और उत्तराखंड में ताबड़तोड़ दौरे किए जा रहे हैं.

आज हम पहले बात करेंगे उत्तराखंड की सियासत की. आम आदमी पार्टी के दूसरे नंबर के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया उत्तराखंड में अपनी जमीन तलाशने के लिए एक बार फिर दो दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे हैं. सिसोदिया ने हरिद्वार से अपने दौरे की शुरुआत की और शनिवार को देहरादून में ही रुके. यहां आपको जानकारी दे दें कि अभी पिछले हफ्ते ही सिसोदिया उत्तराखंड के कुमाऊं के दो दिनी दौरे पर पहुंचे थे. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले आप नेताओं की सक्रियता बढ़ने से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में बेचैनी बढ़ा दी है.

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यहां आपको बता दें, दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने यूपी के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री सतीश द्विवेदी की चुनौती स्वीकार कर ली है, सिसोदिया ने कहा है कि यूपी और दिल्ली के स्कूलों को लेकर खुली बहस के लिए तैयार हूं. ‘मुझे योगी के मंत्रियों की चुनौतियां कुबूल है और मैं 22 दिसंबर को लखनऊ आ रहा हूं’. गौरतलब है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के यूपी के सरकारी स्कूलों पर निशाना साधने पर सतीश द्विवेदी ने उन्हें और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को चुनौती दी थी.

आम आदमी पार्टी ने कहा, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खत्म हो जाएगा अस्तित्व-

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की दस्तक से भले ही भाजपा और कांग्रेस ‘आप’ को अपना प्रतिद्वंदी मानने से इंकार कर रहीं हों लेकिन कहीं न कहीं दोनों पार्टियों में घबराहट जरूर है. उत्तराखंड की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की मनीष सिसौदिया पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘आप’ का उत्तराखंड में कोई अस्तित्व नहीं है. दूसरी ओर प्रीतम सिंह के बयान के बाद उत्तराखंड आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया ने कहा कि जो गलती और भूल कांग्रेस ने दिल्ली में की थी, वही भूल अब प्रीतम सिंह उत्तराखंड में कर रहे हैं.

मोहनिया ने कहा कि जो प्यार और समर्थन आप को उत्तराखंड की जनता दे रही है, उससे ‘आप’ को काफी ताकत मिली है. दिनेश मोहनिया ने कहा कि प्रीतम सिंह एक डूबे हुए जहाज के कप्तान हैं, वह कांग्रेस की चिंता करें. मोहनिया ने कहा कि सिसोदिया के उत्तराखंड दौरे से कुमाऊं में कार्यकर्ताओं में काफी जोश देखने को मिला था और वही जोश अब गढ़वाल के तमाम जिलों के कार्यकर्ताओं में भी देखने को मिलेगा. आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड प्रभारी ने कहा कि आने वाला चुनाव बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच होगा जिसमें कांग्रेस का बचा-खुचा अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा.

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दिल्ली मॉडल बताकर देश में केजरीवाल अपनी और पार्टी की ब्रांडिंग करने में जुटे हैं-

बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले आपको बता दें कि आज से लगभग 7 वर्ष पहले भारतीय जनता पार्टी जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के लिए देश की जनता के बीच में ‘गुजरात मॉडल’ का खूब जमकर प्रचार प्रसार किया था, ठीक उसी तर्ज पर पिछले कुछ वर्षों से आम आदमी पार्टी के नेता पूरे देश भर में ‘दिल्ली मॉडल’ बता कर जनता के बीच अपनी ब्रांडिंग करने में जोर-शोर से लगे हुए हैं. वहीं अगर आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन की बात करें तो अभी तक कुछ खास जनाधार नहीं बन पाया है.

वहीं यह भी सही है कि उत्तर प्रदेश में पिछले छह महीनों से आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह जरूर मुख्यमंत्री योगी सरकार के कई फैसलों का विरोध करने में जरूर कुछ हद तक सफल होते दिख रहे हैं. बता दें कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव एक साथ होने हैं उससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि दोनों राज्यों में जनता के बीच दिल्ली मॉडल का जितना अधिक से अधिक प्रचार कर लिया जाए उतना ही आम आदमी पार्टी को चुनाव में फायदा मिलेगा. लेकिन अरविंद केजरीवाल को यह भी समझना होगा कि उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड की राजनीति
राजधानी दिल्ली से अलग है.

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