Politalks.News/JammuKashmir/Bharat. कश्मीर के नेताओं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लंबी बातचीत के बाद इतना तो तय हो गया है कि घाटी का मसला फिलहाल अभी ‘हल‘ होने वाला नहीं है. बैठक होने से पहले ही अनुमान लगाया जा रहा था कि इसमें कोई ठोस ‘निष्कर्ष‘ नहीं निकलने वाला है. बैठक के दौरान पीएम मोदी के सामने ही आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को ‘गैरकानूनी‘ बताया गया. ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम से साढ़े तीन घंटे की मुलाकात के दौरान कश्मीरी नेता 5 अगस्त को नहीं भूल पाए‘. बात को आगे बढ़ाने से पहले बता दें कि 5 अगस्त 2019 मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था. अच्छा यही कहा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर बातचीत करने का सिलसिला मोदी सरकार और घाटी के नेताओं की ओर से शुरू हो गया है.
जैसा कि पॉलिटॉक्स न्यूज़ ने सबसे पहले कल सुबह ही बता दिया था कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह अब जम्मू कश्मीर में सबसे पहले विधानसभा चुनाव करवाना चाहते हैं. हमने यह भी दावा किया था कि जम्मू कश्मीर के यह विधानसभा चुनाव उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव के साथ ही होंगे, हालांकि अभी पीएम मोदी या शाह ने इस बारे में खुलासा नहीं किया है. लेकिन अब केंद्र सरकार की मंशा है कि जम्मू कश्मीर में जल्द परिसीमन पूरा हो जिससे विधानसभा चुनाव कराए जा सके और कल की बैठक में पीएम मोदी और अमित शाह ने सबसे ज्यादा अगर किसी बात पर जोर दिया तो वो यही थी कि जम्मू कश्मीर में अब जल्द चुनाव करवाए जाएं.
यह भी पढ़े: बेरोजगारों को CM गहलोत की सौगात, LDC-2013 की भर्ती के पहले चरण में 4 हजार पदों पर होगी भर्ती
सर्वदलीय बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकता केंद्र शासित प्रदेश में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है. पीएम मोदी ने कहा कि ‘हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है.’ पीएम मोदी ने आगे कहा कि ‘परिसीमन तेज गति से होना है ताकि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो सकें और वहां एक चुनी हुई सरकार मिले जिससे राज्य मे चौतरफा विकास को मजबूती मिले’. वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वह पहले ही कह चुके हैं कि राज्य में चुनाव भी होगा और उसे पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिलेगा, उन्होंने कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा देने में चुनाव अहम कदम साबित होंगेे‘. संकेत साफ था कि पूर्ण राज्य के दर्जे का फैसला चुनाव बाद ही होगा.
वहीं दूसरी ओर कश्मीर के अधिकांश नेता आर्टिकल 370 की बहाली और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात करते रहे. बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कश्मीर से आए नेताओंं को भरोसा दिलाया कि ‘अब न दिल्ली की दूरी होगी और न दिल की दूूरी‘. बता दें कि इस बैठक के लिए कोई एजेंडा तय नहीं किया गया था बल्कि घाटी के सभी नेताओं को खुलकर अपनी बात कहने का अवसर दिया गया. इन नेताओं की बात सुनने के लिए मोदी सरकार सकारात्मक दिखी. सर्वदलीय बैठक में शामिल ज्यादातर राजनीतिक दलों ने भी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और जल्द से जल्द विधानसभा का चुनाव संपन्न कराने की मांग उठाई. बैठक के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के नेताओं ने आर्टिकल 370 की बहाली पर फोकस बना रखा. बता दें कि बैठक में पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ज्यादा ‘मुखर‘ थीं. पीएम मोदी से मुलाकात के बाद अधिकांश नेताओं ने कहा कि इस तरह की बैठक होनी चाहिए. दूसरी ओर जम्मू भाजपा के नेता निर्मल सिंह, कविन्द्र गुप्ता और रविन्द्र रैना ने केंद्र सरकार के ‘सुर में सुर’ मिलाते हुए कहा कि राज्य में परिसीमन के बाद चुनाव कराए जाने चाहिए.
महबूबा और उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिए देते रहे जोर
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद-370 को जिस तरह हटाया गया उसके खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा. मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग 5 अगस्त की घटना के बाद बहुत गुस्से में हैंं. महबूबा ने कहा कि जिस तरीके से अनुच्छेद 370 को हटाया गया वो गैरकानूनी है. इसके साथ ही महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर पाकिस्तान का राग अलापते हुए केंद्र सरकार पर पाकिस्तान से बातचीत करने के लिए दबाव बनाया. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि 370 हटाने के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके विरोध में कानून अपने हाथ में नहीं चाहते हैं. हमने पीएम के सामने अपनी बातें खुलकर रखी हैं. ‘जम्मू कश्मीर के लोग चाहते हैं कि उनको पहले की तरह पूर्ण राज्य का दर्जा मिले’.
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 5 अगस्त को जो फैसला हुआ वो उसका पूरा आइडिया ही यही था कि जम्मू कश्मीर को देश के साथ लाया जाए फिर जम्मू कश्मीर में परिसीमन की बात करना इस विचार के ठीक उलट है. अब्दुल्ला ने कहा कि परिसीमन की कोई जरूरत नहीं है, इससे बहुत संदेह पैदा होते हैंं. लोगों को अपनी पसंद की सरकार चुनने और सरकार को राज्य के लिए फैसले लेने का हक होना चाहिए. उमर ने कहा कि इस मीटिंग में कोई ‘एजेंडा‘ नहीं था इसलिए खुलकर हमने अपनी बातें सामने रखी. जबकि फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि अब एक नया कानून बन गया है तो उनकी लड़ाई कानूनी होगी.
यह भी पढ़े: बेनीवाल का अरुण सिंह पर जोरदार हमला, कहा- जनता के विश्वास से हूं आपकी तरह मेहरबानी से नहीं बना..
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दिए जाने की मांग की. वहीं ‘गुुपकार’ के संयोजक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि ये बैठक धारा-370 हटाए जाने के पहले बुलाई जाती तो अच्छा रहता. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता मुजफ्फर हुसैन बेग ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक बहुत शानदार रही. हुसैन बेग का कहना था कि 370 का मामला अदालत में है, सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 370 के मामले पर फैसला करेगा. जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के नेता अल्ताफ बुखारी ने कहा कि बैठक के दौरान हमें चुनाव के रोडमैप की दिशा में आश्वासन दिया गया है.
प्रधानमंत्री की इस बैठक में कश्मीर और जम्मू क्षेत्र के नेताओं का अलग-अलग राय रही. कश्मीर में अधिकांश नेताओं ने पूर्ण राज्य की बहाली और अनुच्छेद 370 बहाल करने की मांग की. वहीं जम्मू के नेताओं ने केंद्र सरकार की बात को ही दोहराते रहे.आपको यह भी बता दें कि जम्मू क्षेत्र के नेताओं में अधिकांश भाजपा के ही नेता थे.