इस संबंध में जूनियर डॉक्टर्स के हवाले से कहा गया है कि सीएम ममता के साथ बैठक में हमें कुछ निर्देशों का आश्वासन मिला है, लेकिन राज्य सरकार का हाव-भाव सकारात्मक नहीं था. अनशन में आम लोगों ने पूरे दिल से हमारा समर्थन किया है. लोग और आरजी कर पीड़ित हमारी मृतक बहन के माता-पिता हमसे अनशन वापस लेने की बोल रहे थे, क्योंकि हमारा स्वास्थ्य बिगड़ रहा था. ऐसे में हमने भूख हड़ताल वापस ली है.
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इससे पहले ट्रेनी डॉक्टर के लिए न्याय और मेडिकल सुविधाओं में सुधार की मांग करते हुए जूनियर डॉक्टर पिछले 17 दिनों से भूख हड़ताल पर थे. अब तक 6 डॉक्टरों को खराब स्वास्थ्य के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जबकि आठ अन्य अनिश्चितकालीन अनशन पर थे. जूनियर डॉक्टर्स की सरकार से 9 मांगें की गयी है, इनमें शामिल हैं :—
- हेल्थ सेक्रेटरी को हटाया जाए और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की जवाबदेही तय हो.
- अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लिए सेंट्रलाइज्ड रेफरल सिस्टम बने.
- सीसीटीवी, ऑन कॉल रूम और वॉशरूम जैसी सुविधाओं के लिए टास्क फोर्स बने.
- अस्पतालों में बेड की निगरानी के लिए डिजिटल बेड वैकेंसी मॉनिटरिंग सिस्टम लागू हो.
- अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाई जाए. परमानेंट महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती हो.
- अस्पतालों में डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के खाली पदों को भरा जाए.
- छात्र परिषद के चुनाव हों, कॉलेजों की रेजिडेंट डॉक्टर्स ऐसोसिएशन की मान्यता मिले.
- ममता ने किया था लौटने का आग्रह
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी जूनियर डॉक्टर्स से काम पर लौटने का आग्रह किया था. इससे पहले जूनियर डॉक्टरों ने रेप-मर्डर घटना के खिलाफ 10 अगस्त से 21 सितंबर तक 42 दिन तक हड़ताल की थी. डॉक्टरों ने सरकार के सामने पहले 5 मांगें रखी थीं. इनमें से सरकार ने 3 मांगें मान लीं और सीएम ममता ने दो अन्य मांगों और शर्तों पर विचार करने का आश्वासन दिया था. इसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी थी. 27 सितंबर को सागोर दत्ता हॉस्पिटल में 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों से पिटाई का मामला सामने आया, जिससे नाराज होकर डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को फिर से हड़ताल शुरू कर दी. 4 अक्टूबर को जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली, लेकिन धरना जारी रखा था. अब मान मनुहार के बाद अब जाकर बात बन पायी है.