Politalks.News/MP. मध्यप्रदेश में उपचुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है. कमलनाथ और शिवराज सिंह खेमे में सत्ता हासिल करने और सत्ता बरकरार रखने की कड़ी जंग चल रही है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ओर से चुनावी रणनीतियों पर फाइनल चर्चाएं शुरु हो चुकी है. इसी बीच कांग्रेस ने चुनावों में मंगल कनेक्शन का तड़का डालकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ाने का काम कर रही है. इसी बात को लेकर सरकार में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि अगर कमलनाथ इतने ही हनुमान भक्त होते हुए उनके साथ इतना बड़ा अमंगल कैसे होता.
दरअसल, मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों की घोषणा मंगलवार को हुई. मतदान की तारीख 3 नवंबर और मतगणना के दिन 10 नवंबर को भी मंगलवार पड़ रहा है. अब कांग्रेस इस अजब संयोग को कमलनाथ से जोड़कर और उन्हें हनुमान भक्त बताकर प्रमोट कर रही है. जहां कांग्रेस इस बात से उत्साहित होते दिख रही है, वहीं बीजेपी में हल्की ही सही लेकिन अंधविश्वास को मानने वाले कार्यकर्ताओं में फुसफुसाहट जरूर शुरु हो गई है.
कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे जीतू पटवारी के एक टवीट पर गौर करें तो वे लिखते हैं,’हनुमान भक्त कमलनाथ को मिला वरदान- मंगलवार दिनांक 29 सितंबर को चुनाव की घोषणा हुई, मंगलवार दिनांक 3 नवंबर को वोटिंग होगी और मंगलवार दिनांक 10 नवंबर को काउंटिंग होगी.’ ‘हनुमान लला की जय’ के साथ पटवारी ने टवीट खत्म किया है.
हनुमान भक्त कमलनाथ को मिला वरदान-
आज मंगलवार दिनांक 29 सितंबर को चुनाव की घोषणा हुई, मंगलवार दिनांक 3 नवंबर को वोटिंग होगी और मंगलवार दिनांक 10 नवंबर को काउंटिंग होगी।
”हनुमान लला की जय”
— Jitu Patwari (@jitupatwari) September 29, 2020
सीधा सा अर्थ है कि कांग्रेस कमलनाथ को हनुमान भक्त और उपचुनाव में मंगल फेक्टर जोड़कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ये मैसेज देने की कोशिश कर रही है कि भगवान भी हमारे साथ है और जीत पक्की है. इससे पहले कमलनाथ ने राम मंदिर के शिलान्यास के समय दो दिन के सुंदरकांड के पाठ कराकर अपने आपको हनुमान भक्त बताया था.
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कांग्रेस के इस मंगल कनेक्शन को लेकर मप्र के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तंज किया है. मिश्रा ने कहा कि हनुमान भक्त तो हम भी हैं. हनुमान भक्त कोई भी हो सकता है. अगर वो (कमलनाथ) इतने ही हनुमान भक्त होते तो अमंगल होता ही क्यों? सीधे तौर पर वे कांग्रेस और कमलनाथ की हंसी उड़ा रहे हैं.
हालांकि ये भी एक संयोग ही है मध्यप्रदेश में तीनों ही तारीखों पर मंगलवार पड़ रहा है. वहीं इसी साल फरवरी में हुए दिल्ली चुनावों में भी मंगल बीजेपी पर भारी पड़ रहा है. यहां 8 फरवरी को वोटिंग हुई थी, उस दिन शनिवार था जो भगवान हनुमान का वार माना जाता है. 11 फरवरी को चुनावों का परिणाम आया था, संयोगवश उस दिन भी मंगलवार था. यहां केजरीवाल की पार्टी ने बीजेपी को 8 के मुकाबले 62 सीटों से पीट दिया. यहां केजरीवाल भी अपने नामांकन के ठीक बाद दिल्ली के हनुमान मंदिर ही पहुंचे थे. कहने का मतलब ये है कि वहां भी केजरीवाल का मंगल बीजेपी पर भारी पड़ गया.
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अगर इस बात पर हल्का सा भी अंधविश्वास कर लिया जाए तो ये मंगल मध्यप्रदेश में बीजेपी पर भारी पड़ रहा है. वैसे ये बात तो केवल अंधविश्वास की है लेकिन अगर सर्वे रिपोर्ट को भी हकीकत माने तो यहां भी कांग्रेस सत्ताधारी पक्ष पर भारी पड़ रही है. 28 में से कांग्रेस को सर्वे रिपोर्ट्स में 27 सीटें मिल रही है, वहीं बीजेपी के खाते में केवल एक सीट आ रही है. बीजेपी के पास इस समय 107 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 88.
बीजेपी को फिलहाल सपा, बसपा और निर्दलीयों का समर्थन भी हासिल है. कमलनाथ सरकार में भी सपा और बसपा ने समर्थन दिया हुआ था. इन्हीं की बैसाखियों पर कांग्रेस सरकार टिकी हुई थी. बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए 9 सीटों की जरूरत है जबकि कांग्रेस को सत्ता वापसी के लिए करीब करीब सभी सीटो पर जीत दर्ज करनी होगी. ऐसे में कांग्रेस द्वारा बताया जा रहा रहा मंगल किससे रूष्ट होता है और किस पर पड़ता है भारी, देखना मजेदार रहेगा.