पॉलिटॉक्स ब्यूरो. इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक ओर बीजेपी और जदयू के गठबंधन को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं तो वहीं बिहार के महागठबंधन में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. महागठबंधन की प्रमुख पार्टी कांग्रेस के बाद अब हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के महागठबंधन में मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं. हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार मानने से इनकार कर दिया है. वहीं बिहार महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का साफ कहना है कि जिसको महागठबंधन में रहना है रहे, नहीं रहना हो न रहे लेकिन मुख्यमंत्री के उम्मीदवार तो सिर्फ तेजस्वी यादव ही रहेंगे.
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि आरजेडी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है. जाहिर है कि नेतृत्व भी उसी का होगा. वैसे भी आरजेडी अपने राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुकी है फिर नेतृत्व पर सवाल उठने का कोई मतलब भी नही हैं. जैसे हम राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी मानकर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार मानते हैं. जेएमएम के हेमंत सोरेन को झारखंड में नेता मानते हैं तो बिहार में आरजेडी के नेता को नेता मानने में किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.
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बता दें, लोकसभा 2019 के चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए आरजेडी ने बड़ा बलिदान दिया था. जीतनराम मांझी की हम और मुकेश सहनी की वीआईपी जैसी पार्टियों को 3-3 सीट दी थीं. लेकिन अब यही दोनों पार्टियों के नेता नेतृत्व को लेकर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन इस बार आरजेडी दबाव में नहीं दिख रही है और आरजेडी ने अपनी शर्तों पर चुनाव लड़ने का मन लगभग बना लिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के सभी दलों को साथ लेकर चलने के चक्कर में RJD जीरो पर आउट हो चुकी है. लेकिन पार्टी 2020 के विधानसभा चुनाव में फिर वही गलती दोहराने नहीं जा रही है.
इससे पहले शनिवार हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर उन्हें तेजस्वी यादव की मुख्यमंत्री उम्मीदवारी से कोई परहेज तो नहीं है. आरजेडी ने तेजस्वी को महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन महागठबंधन में इसे लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला सभी घटक दलों के नेता मिल बैठकर लेंगे. वहीं मांझी ने यह भी बताया कि बिहार विधानसभा के आगामी चुनाव में 85 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा भी कर दिया है.
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वहीं दूसरी तरफ आरजेडी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार अगर लोकसभा का फॉर्मूला विधानसभा में अपनाया गया तो पार्टी में विद्रोह की स्थिति हो सकती है क्योंकि आरजेडी के पास सभी सीटों के लिए मजबूत उम्मीदवार हैं. आरजेडी पहले ही हिंट दे चुकी है कि अगर किसी को ये सौदा मंजूर नहीं है तो वो महगठबंधन से बाहर भी जा सकता है. आरजेडी ने यह तय कर लिया है कि मुख्यमंत्री के उम्मीदवार तेजस्वी यादव होंगे और महागठबंधन के कॉर्डिनेटर का काम आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव करेंगे.
सीटों के गणित पर फंसेगा पेंच
बिहार में 243 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव में आरजेडी 150 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है. वहीं पिछले 2015 के चुनाव में 41 सीटों पर चुनाव लड़कर 27 सीटें जीत कर धमाका करने वाली कांग्रेस पार्टी 80 सीटों के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रही है. दूसरी ओर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने भी 85 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर दिया है. वहीं वीआईपी, आरएलएसपी और अन्य पार्टियां भी अपनी-अपनी सीटों को लेकर दावा करने लगीं हैं. ऐसे में चुनाव से पहले ही बिहार में महागठबंधन में जबरदस्त तकरार की सम्भावना प्रबल हो गई है और ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं यह महागठबंधन बिखर न जाए, जिसका सीधा-सीधा फायदा बीजेपी और जदयू को होगा.