राजस्थान में कहीं कोरोनिल दवाई बिकती नजर आई तो उसी दिन बाबा रामदेव जेल में होगा – रघु शर्मा

भारत सरकार को इन अपराधियों को इसकी सजा देनी चाहिए और बाबा रामदेव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए. मजाक बना दिया है, कल अगर कोई मर गया, कौन जिम्मेदार होगा? - रघु शर्मा

रघु शर्मा v/s बाबा रामदेव
रघु शर्मा v/s बाबा रामदेव

पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. योग गुरु बाबा रामदेव ने मंगलवार को हरिद्वार में कोरोना से शत-प्रतिशत इलाज का दावा करते हुए पतंजलि ब्रांड की दवाई कोरोनिल नाम से आयुर्वेद टैबलेट लॉन्च की थी. लेकिन, 5 घंटे बाद ही केंद्र सरकार ने इसके प्रचार पर रोक लगा दी. केन्द्र सरकार ने कहा कि दवा की वैज्ञानिक जांच नहीं हुई है. आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद से दवा के लाइसेंस समेत पूरा ब्योरा मांगा है. इस तरह कोरोनिल की लॉन्चिंग के साथ ही इस पर विवाद शुरू हो गया. बुधवार को प्रदेश के चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने बुधवार को बाबा रामदेव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की. शर्मा ने कहा कि महामारी से लड़ने का काम हम भारत सरकार के साथ मिलकर कर रहे हैं. ऐसे में इस तरह के प्रयोग अपराध की श्रेणी में आते हैं और इसमें शामिल लोगों को अपराध के दायरे में लेते हुए इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. चिकित्सा मंत्री शर्मा ने चेतावनी देते हुआ कहा कि अगर राजस्थान में कहीं यह दवाई (कोरोनिल) बिकती नजर आई तो उसी दिन बाबा रामदेव जेल में होगा.

मंत्री रघु शर्मा ने बाबा रामदेव द्वारा कोरोना की दवा बनाने के मामले में कहा कि मुझसे या प्रदेश के चिकित्सा विभाग से कोई स्वीकृति नहीं ली गई है. अभी आयुष मंत्रालय ने 21 अप्रैल 2020 को गजट नोटिफिकेशन के जरिए एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें ड्रग और कॉस्मेटिक एक्ट के तहत उन्होंने 9 पॉइंट दिए हैं. जिसके तहत कोई भी अगर क्लीनिकल ट्रायल करना चाहता है तो उसे एडवाजरी कमेटी के मुताबिक या आईसीएमआर की गाइडलाइन को फॉलो करते हुए करना चाहिए. इसमें कई पॉइंट्स जारी किए गए हैं. मंत्री शर्मा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि किसी स्वीकृति के बाद ये क्लीनिकल ट्रायल हुआ है, न भारत सरकार से और न ही राज्य सरकार से कोई स्वीकृति ली गई है जो पूरी तरह से गैरकानूनी है. ये कोई मार्केटिंग करने का टाइम नहीं है.

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स्वास्थ मंत्री रघुबशर्मा ने कहा कि जिस महामारी से दुनियाभर में लोग प्रभावित हैं, इलाज नहीं ढूंढ पा रहे हैं, डब्ल्यूएचओ के पास भी वैक्सीन नहीं है, आईसीएमआर के पास कोई दवा नहीं है, ऐसे में बिना सरकार की परमिशन और बिना प्रोटोकॉल को फॉलो किए कोई भी क्लीनिकल ट्रायल कर सकता है क्या? मंत्री शर्मा ने आगे कहा कि फिर उस दवा को जारी कर रहे हो, ये अपराध है. भारत सरकार को इन अपराधियों को इसकी सजा देनी चाहिए और बाबा रामदेव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए. मजाक बना दिया है, कल अगर कोई मर गया, कौन जिम्मेदार होगा?

बाबा रामदेव के साथ लॉन्चिंग कार्यक्रम में नजर आ रहे निम्स के एमडी बी.एस. तोमर के हॉस्पिटल निम्स को लेकर मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि जहां तक निम्स (जयपुर) का सवाल है, हमने इंस्टीट्यूश्नल क्वारैंटाइन के लिए कुछ दिन लोगों को रखा था. जिनका पता नहीं था कि वो पॉजिटिव हैं या नहीं, उनका क्लीनिकल ट्रायल कहां से हो गया? वहां व्यवस्थाएं ठीक नहीं थी, इसलिए अब उन लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया. हमारे लोग रुटीन में 7 दिन में ठीक हो जाते हैं. ये कहना कि दवा से लोग 7 दिन में ठीक हो जाएंगे, ये सिर्फ मार्केटिंग का काम है. इस तरह के प्रयोग अपराध की श्रेणी में आते हैं.

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गौरतलब है कि कोरोनिल दवा को पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (निम्स) यूनिवर्सिटी, जयपुर ने मिलकर तैयार किया है. गौर करने वाली बात यह है कि महज ढाई माह के वक्त में इस दवा को तैयार कर लॉन्च किया गया. जयपुर में अप्रैल की शुरुआत में पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम निम्स पहुंची थी और चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर से मुलाकात कर कोरोना बीमारी पर रिसर्च शुरू किया गया, जिसके तहत क्लीनिकल केस ट्रायल के लिए 280 मरीजों को चुना गया था.

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