कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता वापसी होती है तो डीके शिवकुमार होंगे प्रदेश के नए सीएम!

कर्नाटक में सबसे अमीर और रसूखदार विधायकों में से एक हैं डीके शिवकुमार, पॉलिटिकल मैनेजमेंट के लिए जाने जाते हैं डीके, वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं जिनका प्रभाव प्रदेश की 48 सीटों पर काबिज, 30 साल की उम्र में मंत्री बनने वाले डीके पिछले 7 विस चुनावों से चुनावी मैदान में अजेय.

dk shivkumar
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karnataka Vidhansabha election 2023: कर्नाटक में विधानसभा चुनावों के लिए मतदान चालू हो गया है.  भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के साथ साथ जेडीएस भी यहां जमकर चुनावी प्रचार में पसीना बहाया है, बीजेपी यहां नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है. वजह है कि डॉ. बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा (बीएस येदियुरप्पा) के बाद बीजेपी के पास कोई पाॅपुलर चेहरा नहीं है. हालांकि अगर बीजेपी यहां बहुमत हासिल करती है तो वर्तमान मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई का फिर से सीएम बनना तय है. वहीं अगर कांग्रेस फिर से सत्ता काबिज होती है तो इस बार डीके शिवकुमार का मुख्यमंत्री बनना तय नजर आ रहा है. हमारा मानना है कि इस बार पार्टी सिद्धारमैया की जगह 60 वर्षीय डीके शिवकुमार को प्रदेश की सत्ता की बागड़ौर देने के मूड में है.

कांग्रेस के मुश्किल समय में डीके शिवकुमार की सोच और मैनेजमेंट ने डीके को सीएम की दौड़ में आगे खडा कर दिया है. डीके शिवकुमार को पॉलिटिकल मैनेजमेंट के लिए जाना जाता है. बीते कुछ सालों में जब भी पार्टी मुश्किल में घिरी है, उसने शिवकुमार को ही सामने किया है. वहीं कर्नाटक की राजनीति में अब उनका ओहदा सिद्धारमैया से कम भी नहीं हैं. इस समय डीके कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और कांग्रेस को हासिए से अर्स पर लाने का क्रेडिट जितना सिद्धारमैया को जता है, पिछले कुछ सालों से उससे कहीं अधिक डीके को जाता है.

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डीके पेशे से बिजनेसमैन हैं और कर्नाटक के सबसे अमीर विधायकों में से सबसे पहले पायदान पर हैं. इस समय कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज मल्लिकार्जुन खरगे भी कर्नाटक से ही आते हैं. ऐसे में बीते कुछ महीनों में डीके शिवकुमार से खरगे से अच्छे संबंध और गहरी नजदीकियां भी रही हैं.

डीके शिवकुमार कर्नाटक के प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं. राज्य में वोक्कालिगा समुदाय की आबादी करीब 11 फीसदी है जिनका सीधा असर प्रदेश की 48 सीटों पर है. वैसे वोक्कालिगा समुदाय जेडीएस का वोटबैंक माना जाता है क्योंकि पार्टी के फाउंडर एचडी देवगौड़ा इसी समुदाय से आते हैं. वहीं बीजेपी के पास वोक्कालिगा समुदाय का कोई असरदार चेहरा पार्टी में नहीं है.

डीके शिवकुमार ने पहला चुनाव 1985 में लड़ा था. सामने थे जेडीएस के सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा. शिवकुमार ये चुनाव हार गए थे, 1989 में शिवकुमार ने निर्दलीय दोबारा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, उसके बाद डीके कभी चुनाव नहीं हारे उस साल कांग्रेस भी सत्ता में आई. 1991-92 में सिर्फ 30 साल की उम्र में वे मंत्री बन गए, 1999 में शिवकुमार ने एचडी देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी को साथनूर सीट से हराया था, यहीं से उनकी और देवगौड़ा परिवार के बीच प्रतिद्वंद्विता शुरू हो गई थी, एसएम कृष्णा मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने शिवकुमार को अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर बनाया, यहीं से राजनीति में शिवकुमार का कद और बिजनेस तेजी से बढ़ा.

राजनीतिक सफर के आंकड़ों पर नजर डालें तो डीके शिवकुमार ने साथनूर विधानसभा सीट पर लगातार चार बार कब्जा जमाया है. वहीं कनकपुरा सीट पर जीत की हैट्रिक जमाई है, चैथी बार भी डीके इसी सीट से मैदान में हैं जबकि उनके सामने बोम्मई सरकार में राजस्व मंत्री आर.अशोक और बीआर रामचंद्र हैं. यहां डीके का एकतरफा मामला माना जा रहा है, पिछले बार डीके को इस सीट पर 69 फीसदी वोट हासिल हुए थे जबकि बीजेपी की नंदिनी गौड़ा की जमानत जब्त हो गई थी.

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जैसा कि पहले भी बताया जा चुका है कि डीके शिवकुमार को पॉलिटिकल मैनेजमेंट के लिए भी जाना जाता है, इसका एक किस्सा गुजरात में राज्यसभा चुनाव से जुड़ा है. 2017 में जब कर्नाटक की तीन राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने थे। दो पर बीजेपी की जीत पक्की थी जबकि तीसरी सीट फंसी हुई थी. अहमद पटेल कांग्रेस उम्मीदवार थे पटेल को जिताने के लिए शिवकुमार गुजरात से सारे कांग्रेस विधायकों को बेंगलुरु ले गए थे, बीजेपी पूरी ताकत लगाकर भी तीसरी सीट नहीं जीत पाई कहा जाता है कि इसी के बाद अमित शाह और शिवकुमार के बीच तल्खी बढ़ गई थी.

बात करें डीके के कारोबार की तो आप कर्नाटक विधानसभा के सबसे अमीर विधायकों की फेहरिस्त में सबसे टाॅप पर हैं, 60 साल के डीके शिवकुमार ने चुनावी एफिडेविट में अपनी संपत्ति 1413 करोड़ रुपए बताई है. ईडी, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और सीबीआई उनके पीछे लगी है. ईडी दो मामलों में जांच कर रही है, जिनमें एक नेशनल हेराल्ड से जुड़ा है, सीबीआई आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में जांच कर रही है.

2019 में डीके शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार भी किया गया था, 50 दिन तिहाड़ जेल में रहे, फिर जमानत पर बाहर आए, डीके शिवकुमार का मैसूरु रीजन में मजबूत सपोर्ट बेस है, शिवकुमार की गिरफ्तारी को समर्थकों ने वोक्कालिगा कम्युनिटी का अपमान बताया था.

वर्तमान विधानसभा चुनावों में जितनी मेहनत सिद्धारमैया कर रहे हैं, उतना पसीना डीके भी बहा रहे हैं, सिद्धारमैया पार्टी के सीनियर लीडर हैं और इस बात में दोराय नहीं है कि वे सीएम पद के प्रथम दावेदार हैं लेकिन पार्टी अब शिवकुमार को मौका देना चाहती है. सिद्धारमैया पहले ही कह चुके हैं कि वर्तमान विस चुनाव उनका अंतिम चुनाव होगा. वहीं डीके भी सीएम बनने की इच्छा जता चुके हैं. देखा जाए तो डीके और सिद्धारमैया दोनों ही सीएम की रेस में हैं और पार्टी ने भी किसी को सीएम फेस अभी तक नहीं बनाया है लेकिन यहां मध्यप्रदेश और राजस्थान की तरफ सीएम पद को लेकर कोई गतिरोध नहीं है, फिर भी 2018 में कांग्रेस और जेडीएस की मिलीजुली सरकार गिरने के बाद सिद्धारमैया की साख पर असर पड़ा है.

वहीं से डीके का कद कांग्रेस आलाकमान के सामने बढ़ा है, अब तो कांग्रेस अध्यक्ष भी कर्नाटक से आते हैं. ऐसे में पूरी पूरी संभावना बनती है कि अगर प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस वापसी करती है तो प्रदेश को डीके शिवकुमार के रूप में नया मुख्यमंत्री मिलना तय है.

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