अंकिता का आरोपी किसी और धर्म का होता तो राहुल गांधी और सोरेन मना रहे होते पॉलिटिकल पिकनिक

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका में 12वीं की छात्रा अंकिता की मौत पर जताया दुःख,10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का किया एलान, तो बोले मृतका के पिता- 'अगर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा घोषित मुआवजा पहले प्रदान कर दिया जाता तो आज वह जिंदा होती', बीजेपी ने खोला मोर्चा, गरमाई सियासत

दुमका कांड पर गरमाई सियासत
दुमका कांड पर गरमाई सियासत

Politalks.News/Jharkhand. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. प्रदेश के दुमका में एक सिरफिरे द्वारा पेट्रोल डालकर जला दी गई छात्रा अंकिता की मौत के बाद राज्यभर के लोगों में उबाल है. कई जिलों में धरना-प्रदर्शन का दौर चल रहा है. चौक-चौराहों पर प्रदर्शन के माध्यम से आक्रोशित लोग हत्यारे युवक को फांसी देने की मांग कर रहे हैं. वहीं बीजेपी ने घटना को बड़ा सियासी मुद्दा बनाते हुए प्रदेश की गठबंधन सरकार पर जमकर निशाना साधा. भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने इस मामले में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को सीधे कटघरे में खड़ा किया और साथ ही पुलिस-प्रशासन पर भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं. तो केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने कहा कि, ‘यदि अंकिता दूसरे धर्म की होती और आरोपी किसी का धर्म कुछ और होता राहुल गांधी यहां पॉलिटिकल पिकनिक कर रहे होते.’

बता दें कि, झारखंड में दुमका की 17 साल की अंकिता सिंह की उसकी कॉलोनी के ही युवक शाहरुख हुसैन ने जान ले ली. घर में साेते समय खिड़की से पेट्रोल डालकर आरोपी ने अंकिता को आग में झोंक दिया. रांची के रिम्स में 5 दिन इलाज चला, लेकिन डॉक्टर उसकी जान को नहीं बचा सके. अंकिता आईपीएस अफसर बनना चाहती थी. जिस जगह अंकिता रहती थी, वहां हिंदू और मुस्लिम की मिली-जुली आबादी है. उसके पिता संजीव सिंह बिस्किट कंपनी में सेल्समैन हैं और मां की एक साल पहले मौत हो चुकी है. अंकिता के पिता ने कहा कि, ‘मेरी बेटी अंकिता पिछले 2 साल से शाहरुख की हरकतों से परेशान थी. जब हमने इस मामले में पुलिस का सहारा लेना चाहा तो शाहरुख के बड़े भाई ने आकर माफी मांग ली.’

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अंकिता के पिता ने बताया कि, ‘कुछ दिन पहले शाहरुख़ फिर से अंकिता को परेशान करने लग गया और 10-15 दिन से रोज धमकी देता था. 22 अगस्त को उसने फोन पर धमकी दी. उसने जैसा कहा था, एक दिन बाद वैसा ही कर दिखाया.’ वहीं मौत से पहले अंकिता ने एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट चंद्रजीत सिंह और एसडीपीओ नूर मुस्तफा के सामने बयान दिया और कहा कि, ‘जब भी मैं स्कूल या ट्यूशन के लिए जाती, शाहरुख मेरा पीछा करता. हालांकि, मैंने कभी उसकी हरकतों को सीरियसली नहीं लिया, लेकिन उसने कहीं से मेरे मोबाइल का नंबर हासिल कर लिया था. उसके बाद अक्सर मुझे फोन करके मुझसे दोस्ती करने का दबाव बनाने लगा. मैंने उसे स्पष्ट कर दिया था कि मुझे इन सबसे कोई लेना-देना नहीं है.’

अंकिता ने आगे बताया कि, मैंने पापा को यह बात बताई तो उन्होंने कहा कि सुबह होने के बाद इस मामले का हल निकाला जाएगा, लेकिन इससे पहले कि इस समस्या का कोई हल निकल पाता, 23 अगस्त की सुबह शाहरुख ने पेट्रोल छिड़ककर मुझे जला डाला. 23 अगस्त की सुबह पांच बजे के आसपास मैं अपने कमरे में सो रही थी. अचानक कमरे की खिड़की के पास आग की लपटें देखकर मैं डर गई. मैंने देखा कि मोहल्ले का आवारा लड़का शाहरुख हुसैन हाथ में पेट्रोल का कैन लिए मेरे घर की तरफ से भाग रहा था. तब तक आग मेरे शरीर में भी लग चुकी थी और मुझे काफी जलन सी महसूस हो रही थी.’ पुलिस ने इस घटना के मुख्य आरोपी शाहरुख़ को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन पुलिस की गिरफ्त में होने के बावजूद भी वो हंसता हुआ दिखाई दे रहा है जिससे ये साफ़ है कि उसे अपने किये पर कोई पछतावा नहीं. वहीं अंकिता की मौत के बाद अब इस मामले में सियासत गरमा गई है. बीजेपी नेताओं प्रदेश की गठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

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भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘दुमका की बेटी के परिवार का सब्र का बांध कब का टूट चूका है, जनता के सब्र का बांध कब का टूट चूका है, कानून व्यवस्था कब का टूट चूका है. ये वेंटीलेटर पर पड़ी झारखंड सरकार को कोई फर्क पड़ा ? अपने लोभ, लालच और सत्ता के घमंड में चूर इस सरकार को सिर्फ और सिर्फ अपनी चिंता है. वहां के डीएसपी नूर मुस्तफा की इस मामले में भूमिका काफी संदिग्ध है. जिस दुमका ने शिबू सोरेन को शिबू सोरेन बनाया, जहां से आपके भाई विधायक हैं. दुमका आपका गढ़ है और अगर दुमका के लोग सुरक्षित नहीं हैं तो दुनिया में क्या होगा? कम से कम अपराधियों को सजा दिलवाइए. नूर मुस्तफा जैसे अधिकारी को निलंबित करिए, पूरे थाने को निलंबित करिए और संदेश दीजिए की झारखंड में कानून का राज है.’

वहीं केंद्र सरकार में मंत्री गिरीराज सिंह ने कहा कि, ‘अगर दूसरे धर्म की लड़की होती, लड़के दूसरे होते तो आज वहां पर पॉलिटिकल पिकनिक राहुल गांधी भी मना रहे होते और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी रहते. अंकिता और उसके परिवार के लोग पहले से शिकायत कर रहे थे और सरकार की नींद खुलती तुष्टिकरण से तो उसकी जान नहीं जाती. जब उसके ऊपर यह घटना हुई वह जीवन और मौत से जूझ रही थी. हेमंत सरकारी जश्न मना रही थी, पिकनिक कर रही थी. वह अपनी सरकार बचाने के लिए ले गए लेकिन अंकिता की जान गई तो सरकार की अनदेखी की वजह से. लेकिन जो प्रदर्शनकारी और उसके परिजन कह रहे हैं उन्हें जेल में बंद कर रहे हो. प्रदर्शन करने से क्यों मना कर रहे हैं?’

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका में 12वीं की छात्रा अंकिता की मौत पर दुख जताया है. मुख्यमंत्री ने अंकिता के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता के साथ इस घटना की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट से कराने का निर्देश दिया है. वहीं सीएम सोरेन की तरफ से मुआवजे के ऐलान पर अंकिता के पिता ने कहा कि, ‘अगर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा घोषित मुआवजा पहले प्रदान कर दिया जाता तो आज वह जिंदा होती.’

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