Sonia Gandhi Emotional Letter: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान से राज्यसभा के लिए बुधवार को नामांकन दाखिल कर दिया है. संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के लिए कल जयपुर पहुंची थी. इस दौरान उनके साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा, पूर्व सीएम अशोक गहलोत,सचिन पायलट और गोविन्द सिंह डोटासरा समेत कई नेता मौजूद थे. बता दें सोनिया गांधी ने 1997 में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ली थी, इसके बाद अप्रैल 1998 में वह कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं, सोनिया गांधी 1999 में अमेठी से सांसद चुनी गईं थी.
राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद आज सोनिया गांधी ने रायबरेली के लोगों नाम एक इमोशनल चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी के जरिए सोनिया गांधी ने रायबरेली से हर वो बात कही है, जो वो कहना चाहती हैं. सोनिया गांधी ने इस चिट्ठी में लिखा है कि मेरा परिवार दिल्ली में अधूरा है. वह रायबरेली आकर आप लोगों में मिलकर पूरा होता है. यह नेह नाता बहुत पुराना है और अपनी ससुराल से मुझे सौभाग्य की तरह मिला है.
अपनी चिट्ठी में सोनिया गांधी ने आगे लिखा, रायबरेली के साथ हमारे परिवार के रिश्तों की जड़ें बहुत गहरी हैं, आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में आपने मेरे ससुर श्री फीरोज गाँधी जी को यहाँ से जिताकर दिल्ली भेजा, उनके बाद मेरी सास श्रीमती इंदिरा गाँधी जी को आपने अपना बना लिया. तब से अब तक, यह सिलसिला जिंदगी के उतार-चढ़ाव और मुश्किल भरी राह पर प्यार और जोश के साथ आगे बढ़ता गया और इस पर हमारी आस्था मजबूत होती चली गई.
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भावुक होते हुए आगे सोनिया गांधी ने लिखा कि इसी रौशन रास्ते पर आपने मुझे भी चलने की जगह दी, सास और जीवनसाथी को हमेशा के लिये खोकर मैं आपके पास आई और आपने अपना आँचल मेरे लिये फैला दिया, पिछले दो चुनावों में विषम परिस्थितियों में भी आप एक चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे, मैं यह कभी भूल नहीं सकती. यह कहते हुए मुझे गर्व है कि आज मैं जो कुछ भी हूँ, आपकी बदौलत हूँ और मैंने इस भरोसे को निभाने की हरदम कोशिश की है.
सोनिया गांधी ने आगे लिखा, अब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते में अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी, इस निर्णय के बाद मुझे आपकी सीधी सेवा का अवसर नहीं मिलेगा, लेकिन यह तय है कि मेरा मन-प्राण हमेशा आपके पास रहेगा. मुझे पता है कि आप भी हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही सँभाल लेंगे जैसे अब तक सँभालते आये हैं. अंत में सोनिया गांधी ने कहा कि बड़ों को प्रणाम ! छोटों को स्नेह जल्द मिलने का वादा.