पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. एक ओर कोरोना वायरस की जानलेवा महामारी देशभर में अपने पांव पसार रही है, वहीं दिल्ली सरकार और पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे सैंकड़ों की संख्या में निजामुद्दीन इलाके में स्थित जमात के मरकज (सेंटर) में सैकड़ों लोग एकत्रित हुए. इसके बाद अपने अपने देश और राज्यों में चले गए. मामला तब खुला जब यहां से तेलंगाना वापस लौटे 6 लोग अपनी जान गंवा बैठे. साथ ही तमिलनाडू के 64 वर्षीय बुजुर्ग को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाना पड़ा और उसकी भी मौत हो गई. जब पड़ताल की तो पता चला कि यहां तो कोरोना संक्रमणधारियों का पूरा जखीरा मौजूद है.
देश की राजधानी की यह खबर बेहद चौंकाने वाली है. आनन फानन में पुलिस और प्रशासन ने मरकज में जांच की तो यहां 100 विदेशियों के साथ 1800 से ज्यादा लोग मिले. इनमें से कईयों को खासी और जुकाम है. ढाई सौ से अधिक संदिग्ध मरीजों को बसों में भरकर तीन अस्पतालों में भर्ती कराया गया है जबकि अन्य 1500 लोग मरकज में ही क्वारेंटाइन किए गए हैं. 24 से अधिक कोरोना पॉलिटिव केस अब तक मिल चुके हैं. मामला सामने आने पर दिल्ली सरकार ने मरकज के मौलाना पर एफआईआर के आदेश दिए हैं. जबकि मरकज में बैठे लोग अभी भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं हैं.
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पता चला है कि दिल्ली की निजामुद्दीन कॉलोनी स्थित तब्लीगी जमात के मरकज (इस्लामिक धार्मिक आयोजन केंद्र) में 14-15 मार्च के बाद लगातार देशी विदेशी मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों का आना जाना था. ये वो टाइम था जब केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के बीच सतर्कता बरतने को कहा था. यहां तक की एक मार्च के बाद से ही पीएम नरेंद्र मोदी ने COVID-19 कोरोना वायरस के प्रसार से बचने के लिए सामूहिक समारोहों को कम करने की सलाह दी थी. यही नहीं, होली मिलन समारोह को भी रद्द कर दिया था. इसी कड़ी में 19 मार्च को राष्ट्र को संबोधित करते हुए 22 मार्च को ‘जनता कर्फ्यू’ का भी ऐलान किया था. इसके बावजूद सभी सावधानियों और कानूनी नियमों को तांक पर रखते हुए मरकज में आयोजन जारी रहे. यहां तक की दो हजार के करीब देशी विदेशी मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों का यहां जमावड़ा लगा रहा लेकिन न तो पुलिस और न ही जिला प्रशासन को इसकी भनक लगी. मामला सामने आते ही निजामुद्दीन कॉलोनी सील कर दी गई है. इलाके में स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है.
गौर करने वाली बात तो ये है कि पिछले दिनों यहां से करीब 800 लोग बाहर जा चुके हैं. पुलिस अब जाकर इन्हें तलाश कर रही है. आशंका जताई जा रही है कि इनमें से कई अन्य राज्यों और अन्य देशों में भी पहुंच चुके हैं. प्रशासन अब हर किसी को ट्रैक कर रहा है. कार्यक्रम में शामिल होकर अंडमान पहुंचे 9 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.
ये मामला अधिक बढ़ता लेकिन लॉकडाउन के चलते आने जाने पर पाबंदी लगने से यहां के लोग यहीं रह गए. इतने के बाद भी न तो इन लोगों ने सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन किया और न ही अन्य बातों का. जब यहां तलाशी ली गई तो बिना किसी सुरक्षा के एक एक कमरे में 8 से 10 लोग मिले. तेलंगाना में हाल में जो 6 लोगों की मौत हुई, वो सभी इस आयोजन में शामिल होकर लौटे थे. लॉकडाउन और सरकार की इतनी सख्ती के बावजूद मरकज के मौलाना ने न तो इनकी सुरक्षा का ध्यान रखा, न ही किसी को सूचना दी बल्कि इस जानकारी को दबाकर रखा.
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रविवार को जब प्रशासन और पुलिस यहां पहुंची तो इतनी तादात में एक साथ लोगों को देख सबके तौते उड़ गए. रविवार को यहां से 99 सैंपल लिए गए थे जिनमें से 24 पॉजिटिव मिले. इसके बाद मरकज में मौजूद 253 लोगों को डीटीसी बसों से तीन अस्पतालों में पहुंचाया गया. जबकि 1500 से अधिक लोगों को मरकज में ही क्वारेंटाइन किया गया. इनमें 100 विदेशी भी शामिल हैं जो टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे. इतने लोगों की जान खतरे में डालने के बावजूद मरकज के मौलाना अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है और न ही माफी मांगने को तैयार हैं. उनका कहना है कि हम किसी को मना नहीं कर सकते. इस बीच, दिल्ली सरकार ने मरकज के मौलाना साद कंदालवी के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया है. उन पर हजारों लोगों की जिंदगी खतरे में डालने का आरोप है. सोशल डिस्टेंसिंग की तमाम अपीलों के बावजूद यहां हजारों लोग मौजूद थे.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए एलजी को सख्त कार्यवाही करने को कहा. उन्होंने कहा कि संकट की ऐसी परिस्थतियों में आयोजकों ने घोर अपराध किया है. जानकारी देते हुए जैन ने कहा कि 24 लोगों के पॉजिटिव होने की बात कबूली. साथ ही 250 लोगों को अस्पताल ले जाने की बात भी बताई. वहीं अब मुस्लिम धर्म गुरूओं ने इस आयोजन और घटना से अपने हाथ खींचना शुरु कर दिया है. जाहिर सभी बात है कि जिस आयोजन में दो हजार से अधिक देशी विदेशी लोग जुड़े हुए हो, उस आयोजन का अन्य लोगों को पता न हो, सच नहीं लगता. खैर यहां कहीं न कहीं पुलिस और स्थानीय प्रशासन की भी ढिलाई साफ तौर पर दिखाई देती है.
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मरकज से जुड़े मामले में साउथ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी आरपी मीणा ने सफाई देते हुए कहा कि हमने कार्यक्रम को रद्द और भीड़ न एकत्रित करने को लेकर 2 बार नोटिस दिया था. साथ ही आग्रह किया था कि कोरोना महामारी फैली है, इसलिए कार्यक्रम का आयोजन रद्द कर दें. लेकिन नोटिस देने के बाद भी कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जो लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन है.
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. भारत में अब तक मरीजों की संख्या 1352 को पार कर चुकी है. पिछले 24 घंटों की बात करें तो यहां 250 से अधिक पॉजिटिव मामले सामने आए हैं जबकि 10 से अधिक लोगों की मौत हुई है. देशभर में कोरोना वायरस की चपेट में आने से 38 लोगों की मौत हो चुकी है.