Politalks.News/Rajasthan. देश की राजनीति में लगभग हाशिए पर जा चुकी इंडियन नेशनल कांग्रेस की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. भाजपा के आॅपरेशन लोटस से कई राज्यों में कांग्रेस की सरकारें जा चुकी है, तो कई राज्यों में संकट उबाल पर है. लगभग सभी राज्यों में कांग्रेस के नेताओं के बीच वर्चस्व की लडाई चल रही है.
इस बीच खबर आ रही है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष का पद संभाल रही सोनिया गांधी कभी भी अपने पद से इस्तीफा दे सकती है. ऐसा कांग्रेस के 23 दिग्गज नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखे गए एक पत्र के कारण होता नजर आ रहा है. इस पत्र में कांग्रेस नेताओं ने पार्टी की हालत पर चिंता जताते हुए कांग्रेस में आतंरिक लोकतंत्र स्थापित करने की मांग की है. सोनिया को लिखे गए पत्र में देश के लगभग सभी प्रदेशों के दिग्ग्ज नेता शामिल हैं.
लोकसभा चुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से स्तीफा दे दिया था. उस समय राहुल ने यह भी कहा था कि जिन राज्यों में हार मिली हैं, वहां के जिम्मेदार नेताओं को भी इस्तीफे दे देने चाहिए. जिससे कांग्रेस का पुनर्गठन किया जा सके, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. राहुल गांधी के अलावा किसी ने भी इस्तीफा नहीं दिया. इसके बाद राहुुल गांधी ने एक बात और कही थी कि गांधी परिवार से कोई भी अध्यक्ष नहीं होगा. बाद में प्रियंका गांधी ने भी इस बात के प्रति सहमति जताई थी.
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राहुल गांधी के अचानक इस्तीफा देने से कांग्रेस में एक तरह का संकट खडा हो गया था. गांधी परिवार से जुडे कुछ नेताओं ने सोनिया गांधी को अगला अध्यक्ष नहीं चुने जाने तक अंतरिम अध्यक्ष बना दिया. अब अंतरिम अध्यक्ष का एक साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है. ऐसे में कांग्रेस के अंदर नए अध्यक्ष की मांग उठने लगी है. इसके साथ ही कांग्रेस को हमेशा बनाए और बचाए रखने के लिए नए मैकेनिज्म की भी चर्चा हो रही है.
दिग्गज नेताओें के इस पत्र के बाद बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी से मिलने गए कुछ नेताओं को उन्होंने कहा कि वो अध्यक्ष पद को और अघिक समय तक नहीं संभाल सकती है. इसलिए सारे नेता मिलकर नए अध्यक्ष का चुनाव करे लें.
उल्लेखनीय है कि पिछले 20 सालों से ज्यादा समय से कांग्रेस को गांधी परिवार ही संभाल रहा है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को एक परिवार की पार्टी बताने का अभियान शुरू हुआ. इसे भाजपा का गांधी परिवार के खिलाफ आॅपरेशन लोटस भी कह सकते हैं. समय जरूर लगा लेकिन भाजपा अपने मकसद में कामयाब हो गई. भाजपा अच्छी तरह से जानती है कि राजनीतिक तौर पर कांग्रेस जो भी कुछ बची हुई है, वह भी गांधी परिवार के हटते ही बिखर जाएगी.
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जब राज्यों में चल रहे नेताओं के झगडे ही नहीं सुलझ पा रहे हैं तो नेशनल कांग्रेस में पदों के लिए मचने वाले घमासान को सुलझाया कैसे जाएगा. जानकारों के अनुसार भाजपा के पीछे इस तरह की स्थितियों को संभालने के लिए आरएसएस की टीम काम करती है. लेकिन कांग्रेस के पास तो कोई ऐसी टीम नहीं है, जो विपरीत परिस्थितियों में ना सिर्फ निर्णय कर सके बल्कि अपनी बात मनवा भी सके.